नयी दिल्ली, 28 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय सेना में गुर्जर रेजिमेंट के गठन के लिए केंद्र को निर्देश देने संबंधी जनहित याचिका पर विचार करने से बुधवार को इनकार कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने जनहित याचिका को ‘‘पूर्णत: विभाजनकारी’’ करार दिया और याचिकाकर्ता की वकील से कहा कि ऐसी याचिकाओं को प्रस्तुत करने से पहले वे कुछ शोध किया करें।
अदालत ने याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाने की चेतावनी दी, जिसके बाद अदालत का ‘मूड’ भांपते हुए वकील ने याचिका वापस ले ली।
पीठ ने कहा, ‘‘काफी लंबी बहस के बाद याचिकाकर्ता की वकील ने कहा कि उन्हें अदालत में मौजूद याचिकाकर्ता से याचिका वापस लेने के लिए निर्देश मिले हैं। याचिका को वापस लिया मानकर खारिज किया जाता है।’’
अदालत रोहन बसोया की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दावा किया गया था कि गुर्जर समुदाय की बहादुरी का इतिहास अच्छी तरह से प्रलेखित है, जिसने 1857 के विद्रोह, 1947, 1965, 1971 के भारत-पाक युद्ध, करगिल युद्ध (1999) और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद-रोधी अभियानों सहित विभिन्न संघर्षों में भाग लिया है।
याचिका में कहा गया, ‘‘समृद्ध सैन्य विरासत के बावजूद, उन्हें (गुर्जरों को) सिख, जाट, राजपूत, गोरखा और डोगरा जैसे अन्य सैन्य समुदायों की तरह एक समर्पित रेजिमेंट नहीं दी गई है।’’
भाषा खारी सुरेश
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