नैनीताल, तीन नवंबर (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उच्च शिक्षण संस्थानों, व्यावसायिक पाठ्यक्रम वाले कॉलेज और मेडिकल कॉलेजों में रैगिंग रोकने के मुद्दे पर केंद्र सरकार, राज्य सरकार और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) को हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
मामले में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने उत्तराखंड सरकार से यह भी पूछा कि क्या रैगिंग को रोकने के लिए कोई कानून बनाया जा रहा है।
राज्य सरकार ने अपने जवाब में कहा कि अब तक किसी कॉलेज या मेडिकल संस्थान में रैगिंग की कोई घटना सामने नहीं आई है।
हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील ने आरोप लगाया कि अदालत को गुमराह करने के लिए झूठे हलफनामे दाखिल किए जा रहे हैं। इस पर न्यायालय ने याचिकाकर्ता को प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 17 नवंबर तय की है।
पहले की सुनवाइयों के दौरान, न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिया था कि जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जिला निगरानी समितियां बनाई जाएं और प्रत्येक विश्वविद्यालय में ‘एंटी रैगिंग’ प्रकोष्ठ स्थापित किया जाए।
उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग रोकने के लिए कई दिशा-निर्देश जारी करते हुए न्यायालय ने जोर दिया था कि इनका अनुपालन सुनिश्चित करना प्रत्येक संस्थान के प्रमुख की जिम्मेदारी है।
न्यायालय ने यह भी कहा था कि यदि किसी संस्थान में रैगिंग की कोई घटना सामने आती है, तो उस संस्थान के प्रमुख को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
भाषा सं दीप्ति खारी
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