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सोमवार, 28 अप्रैल, 2025
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न्यायालय ने पूछा, क्या आंध्र सरकार जेल में बंद माओवादी पर मुकदमा चलाने के लिए विशेष अदालत गठित करेगी

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नयी दिल्ली, 28 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को आंध्र प्रदेश सरकार से सवाल किया कि क्या वह जेल में बंद माओवादी कमांडर दुना केशव राव उर्फ ​​आजाद पर मुकदमा चलाने के लिए विशेष अदालतें गठित कर सकती है।

आजाद ने 2011 में आत्मसमर्पण कर दिया था।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ को ओडिशा सरकार के वकील ने बताया कि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के साथ विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया है कि राव के मुकदमे की सुनवाई के लिए तीन जिलों में विशेष अदालतें गठित की जाएंगी तथा इस संबंध में अधिसूचना अगले दो सप्ताह में जारी होने की संभावना है।

आंध्र प्रदेश सरकार के वकील ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि राव के खिलाफ राज्य (आंध्र प्रदेश) में एक दर्जन से अधिक मामले लंबित हैं, जिनमें से अधिकतर हत्या के अपराध से संबंधित हैं।

पीठ ने आंध्र प्रदेश के वकील से कहा, ‘‘आप भी ओडिशा सरकार की तरह ऐसा ही क्यों नहीं करते? इन मामलों में तेजी से सुनवाई के लिए विशेष अदालतें गठित करने पर विचार करें।’’

राव की ओर से मामले में पेश हुए वकील मोहम्मद इरशाद हनीफ ने कहा कि आंध्र प्रदेश पुलिस ने इन मामलों में उनके मुवक्किल को गिरफ्तार भी नहीं किया है, जिन्हें अब उठाया जा रहा है।

ओडिशा और आंध्र प्रदेश में सक्रिय सबसे दुर्दांत माओवादी कमांडरों में शामिल राव ‘सीपीआई (मॉइस्ट) उड़ीसा स्टेट आर्गेनाइजिंग कमेटी’ का सदस्य था। उसने 18 मई 2011 को हैदराबाद पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।

राव ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए आरोप लगाया था कि उस पर एक के बाद एक झूठे मामले दर्ज किए जा रहे हैं और ओडिशा तथा आंध्र प्रदेश सरकारों को उसे समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर सामान्य जीवन जीने की अनुमति देने के अपने वादे को निभाना चाहिए।

ओडिशा सरकार ने पूर्व में शीर्ष अदालत को बताया था कि राव को 10 मामलों में बरी कर दिया गया है, जबकि उसके खिलाफ 37 मामले अभी भी लंबित हैं।

बीस दिसंबर 2024 को उच्चतम न्यायालय ने उसकी याचिका पर नोटिस जारी किये और दोनों राज्यों की सरकारों से जवाब मांगा।

बाद में, ओडिशा पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया, जिस पर राव ने आरोप लगाया कि यह आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से विश्वासघात है क्योंकि उसने इस राज्य की पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण किया था।

राव की याचिका में दोनों राज्य सरकारों को निर्देश देने का आग्रह किया गया है कि वे उसके खिलाफ लंबित सभी मामलों की सुनवाई समयबद्ध तरीके से, संभवत: छह महीने के भीतर पूरी करें।

राव ने कहा कि ओडिशा सरकार ने पिछले वर्ष उसके खिलाफ 14 और आपराधिक मामले दर्ज किए, जो प्रक्रिया के दुरुपयोग के साथ-साथ एक नागरिक के तौर पर मौलिक अधिकारों के हनन का एक प्रमुख उदाहरण है।

राव ने दलील दी कि आंध्र प्रदेश सरकार ने याचिकाकर्ता को आत्मसमर्पण करने के लिए प्रोत्साहन राशि के रूप में 10 लाख रुपये का इनाम दिया था, लेकिन याचिकाकर्ता को यह नहीं पता था कि उसे 14 साल से अधिक समय तक हिरासत में रखा जाएगा।

भाषा सुभाष माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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