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बुधवार, 2 जुलाई, 2025
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न्यायालय ने एम3एम समूह की कुर्क की गई संपत्ति के प्रतिस्थापन से जुड़ी याचिका स्वीकार की

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नयी दिल्ली, दो जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने रियल्टी फर्म एम3एम समूह की उस याचिका को स्वीकार कर लिया है, जिसमें धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत प्रवर्तन निदेशालय द्वारा अस्थायी रूप से कुर्क की गई संपत्ति को प्रतिस्थापित करने का अनुरोध किया गया था।

हालांकि, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि संपत्ति का प्रतिस्थापन ईडी द्वारा सुझाई गई नौ शर्तों के तहत किया जाएगा।

पीठ ने कहा, ‘‘हमने याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी की दलील सुनी और मामले पर विस्तार से विचार किया। याचिकाकर्ताओं, मेसर्स एम3एम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स एम3एम इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड ने भी शर्तों से सहमति जताते हुए हलफनामा दाखिल किया है। हम संपत्ति के प्रतिस्थापन की अनुमति देते हैं…यह शर्तों के तहत होगा…।’’

शीर्ष अदालत का यह आदेश एम3एम समूह द्वारा दायर उस याचिका पर आया है, जिसमें पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी। आदेश में फर्म की अस्थायी रूप से कुर्क की गई संपत्ति का प्रतिस्थापन करने से इनकार कर दिया गया था।

शीर्ष अदालत के समक्ष ईडी द्वारा प्रस्तुत शर्तों में से एक में कहा गया कि एम3एम समूह को प्रतिस्थापन के लिए प्रस्तावित परिसंपत्तियों के निर्विवाद स्वामित्व के साथ-साथ स्पष्ट और विपणन योग्य स्वामित्व स्थापित करना चाहिए, जो कि सत्यापन योग्य दस्तावेजी साक्ष्य द्वारा समर्थित हो।

शर्त के अनुसार, प्रतिस्थापित परिसंपत्तियां बंधक नहीं हो, या किसी तीसरे पक्ष के दावे से मुक्त होनी चाहिए और इस आशय का प्रमाण पत्र याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

भाषा सुभाष नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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