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Thursday, 23 October, 2025
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देश के गैर-लाभकारी संगठनों की निर्भरता आम लोगों के अंशदान पर बढ़ रही : रिपोर्ट

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नयी दिल्ली, छह अक्टूबर (भाषा) भारत में संस्थागत और विदेशी वित्तपोषण में कमी आने के कारण देश के गैर-लाभकारी संगठनों की अब आम लोगों के अंशदान पर निर्भरता बढ़ रही है। एक नये अध्ययन में यह दावा किया गया है।

‘उदारता: एवरीडे गिविंग रिपोर्ट 2025’ को सामाजिक क्षेत्र के 13 संगठनों ने विकसित किया है और 50 से अधिक अन्य संगठनों द्वारा मार्गदर्शन किया गया। यह भारत का सहयोगात्मक शोध प्रयास है, जिसमें बताया गया है कि किस प्रकार गैर-लाभकारी संगठन लोगों की परमार्थ सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं।

‘गिविंगट्यूज़डे’ और ‘रोहिणी नीलेकणी फिलैंथ्रोपीज’ द्वारा संयुक्त रूप से वित्त पोषित इस अध्ययन में 26 राज्यों के 304 गैर-लाभकारी संगठनों का सर्वेक्षण किया गया, जिनमें छोटे समूहों से लेकर 100 करोड़ रुपये से अधिक वार्षिक बजट वाली बड़ी संस्थाएं शामिल थीं।

रिपोर्ट में पाया गया है कि प्रतिदिन अंशदान देने वालों से प्राप्त दान पहले से ही गैर-लाभकारी निधि का लगभग एक-तिहाई है, तथा इस प्रकार के धन-संग्रह में लगे 96 प्रतिशत संगठनों ने इसे लाभदायक पाया है।

प्रतिदिन के अंशदान से गैर-लाभकारी संस्थाओं को अप्रतिबंधित धन प्राप्त करने में भी मदद मिलती है — जो संचालन संबंधी जरूरतों, आपात स्थितियों या नयी पहल को पूरा करने के लिए जरूरी है — ऐसे समय में जब संस्थागत वित्तपोषण अधिक प्रतिबंधात्मक होता जा रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘प्रतिदिन का दान कहीं अधिक योगदान देता है — यह समुदाय का निर्माण करता है और दीर्घकालिक समर्थन प्रदान करता है।’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘वेबसाइट डोनेशन बटन’ या व्हाट्सएप अभियान जैसे सरल तकनीकी उपकरणों का उपयोग करने वाले गैर-लाभकारी संगठन कहीं अधिक धन जुटाते हैं और दानदाताओं को बेहतर तरीके से बनाए रखते हैं।

हालांकि, दानदाताओं को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि लगभग आधे संगठनों के पास दानदाताओं को जोड़े रखने के लिए ठोस रणनीतियों का अभाव है।

अध्ययन से पता चला है कि नये समर्थकों तक पहुंचने के लिए मित्र, परिवार और स्वयंसेवी नेटवर्क सबसे प्रभावी माध्यम हैं, जबकि सामान्य डिजिटल अभियान और घर-घर जाकर प्रचार करने से कमजोर परिणाम मिलते हैं।

अध्ययन से यह भी पता चलता है कि प्रशिक्षण और धन जुटाने की क्षमता में रणनीतिक निवेश से परिणामों में काफी सुधार होता है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 86 प्रतिशत गैर-लाभकारी संगठन स्वयंसेवकों को नियुक्त करते हैं और 79 प्रतिशत संस्थाएं व्यक्तियों से दान प्राप्त करती हैं, जबकि केवल 37 प्रतिशत के पास ही रोजाना दान देने वालों को बनाए रखने की व्यवस्थित रणनीतियां हैं।

अधिकांश गैर-लाभकारी संगठन अभी भी ‘‘आवश्यकतानुसार’’ आधार पर काम करते हैं और केवल आपात स्थितियों या त्योहारों के दौरान ही संपर्क करते हैं।

भाषा सुभाष मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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