नयी दिल्ली, 10 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश मनमोहन ने शनिवार को कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसी आधुनिक प्रौद्योगिकियों को जिम्मेदारी से संचालित करने के लिए देश की कानूनी व्यवस्था में सुधार किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि साइबर सुरक्षा डिजिटल अर्थव्यवस्था की नींव है।
न्यायमूर्ति मनमोहन सेवा निर्यात संवर्धन परिषद (एसईपीसी), सोसायटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म्स (एसआईएलएफ) और इंडियन नेशनल एसोसिएशन ऑफ लीगल प्रोफेशनल्स (आईएनएएलपी) द्वारा आयोजित ‘भारत का कानूनी और नियामक ढांचा: अंतरराष्ट्रीय व्यापार अवसरों का मार्गदर्शन’ विषय पर ‘अंतरराष्ट्रीय कानूनी सम्मेलन 2025’ को संबोधित कर रहे थे।
एआई, डेटा गोपनीयता और साइबर सुरक्षा के बारे में न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि एआई संगीत की रचना कर सकता है, उत्पादों को डिजाइन कर सकता है या किताबें लिख सकता है, लेकिन इन रचनाओं का स्वामित्व एक गंभीर बौद्धिक संपदा प्रश्न है, जिसका कोई आसान जवाब नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘किसी ने एक बार एआई की तुलना एक प्रतिभाशाली लेकिन मनमौजी किशोर से की थी, जो संभावनाओं से भरा हुआ है, लेकिन अभी भी नियमों को सीख रहा है। हमारी कानूनी प्रणाली को ऐसी प्रौद्योगिकियों को जिम्मेदारी से संचालित करने के लिए विकसित होना चाहिए।’’
न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा, ‘‘डेटा गोपनीयता भी महत्वपूर्ण है। ऐसे समय में जब डेटा काफी अहम है, उच्चतम न्यायालय ने गोपनीयता को मौलिक अधिकार माना है। डिजिटल निजी डेटा संरक्षण अधिनियम, अधिकार-आधारित डेटा व्यवस्था स्थापित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक प्रयास है।’’
उन्होंने कहा कि साइबर सुरक्षा किसी भी डिजिटल अर्थव्यवस्था की नींव है और वैश्विक व्यापार एवं निवेश के लिए सुरक्षित डिजिटल वातावरण अनिवार्य है।
भाषा शफीक दिलीप
दिलीप
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