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Sunday, 22 December, 2024
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‘देश ने मेडल खो दिया’, एशियाई खेलों में हार के बाद पुनिया की आलोचना पर INDIA गुट ने कहा- उन पर ‘गर्व’ है

एशियाई खेलों में हार का सामना करने वाले पुनिया को साथी पहलवानों और INDIA गुट का समर्थन मिला और 'महिला पहलवानों' के साथ विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए उनकी सराहना की गई.

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गुरुग्राम: शुक्रवार को हांग्जो एशियाई खेलों में कांस्य पदक के प्लेऑफ में जापान के कैकी यामागुची द्वारा से 10-0 से पराजित होने के बाद पहलवान बजरंग पुनिया को INDIA गठबंधन और कई साथी पहलवानों से समर्थन मिला.

हालांकि, हर कोई पुनिया का इतना समर्थक नहीं था, जिसमें पहलवान विशाल कालीरमन के परिवार के सदस्य भी शामिल थे – वह पहलवान जिसने 65 किलोग्राम पुरुष फ्रीस्टाइल वर्ग के लिए क्वालीफाई किया था, लेकिन बाद में उसे पुनिया के लिए स्टैंडबाय बनने के लिए कहा गया था, जिसे भारतीय ओलंपिक संघ की तदर्थ समिति द्वारा एशियाई खेलों में सीधे प्रवेश दिया गया था. कालीरमन के पिता ने दिप्रिंट को बताया कि परिवार देश के लिए दुखी है क्योंकि देश ने एक ‘सुनिश्चित’ मेडल खो दिया है.

सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने यह भी सवाल किया कि पुनिया और विनेश फोगट को कालीरमन और अंतिम पंघाल के बजाय एशियाई खेलों में सीधे प्रवेश क्यों दिया गया, जिन्होंने अपने-अपने वेट कैटगरी में ट्रायल जीता था. फोगाट अंततः चोट के कारण टूर्नामेंट से हट गईं और पंघाल (19) ने महिलाओं के 53 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक जीता.

एशियाई खेलों से कुछ दिन पहले, भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह ने भी पुनिया के सीधे प्रवेश पर सवाल उठाया था और कहा था कि प्रशिक्षण की कमी के कारण उन्हें पहलवानों से ज्यादा उम्मीद नहीं है. कुश्ती प्रतियोगिता शुरू होने से ठीक तीन दिन पहले, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी कहा था कि कालीरमन एशियाई खेलों में भेजे जाने के योग्य हैं, न कि पुनिया.

शुक्रवार को पुनिया के प्रदर्शन का मजाक उड़ाने वालों की निंदा करते हुए, विपक्षी दलों के INDIA गठबंधन ने यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे बृज भूषण शरण सिंह के साथ खड़े होने के लिए उनके साहस की प्रशंसा करते हुए उन पर तंज कसा.

गठबंधन ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर दो पोस्ट किए, जिसमें कहा गया कि पुनिया हार गए क्योंकि उन्हें “तानाशाही सरकार और एक गुंडे का सामना करना पड़ा, और महिला पहलवानों के न्याय के लिए जंतर मंतर पर महीनों तक लड़ना पड़ा था.”

एक पोस्ट में उन्होंने कहा, “एक जमात (पार्टी) जो किसानों की मौत पर खुश थी, जब महिला पहलवानों के बारे में अनुचित शब्द बोले गए थे, अब बजरंग पुनिया की हार पर खुश है. लेकिन इस जमात का परिवार, जिसने कभी नहीं देखा कि पदक कैसा दिखता है, अब एक भारतीय खिलाड़ी की हार पर खुश है.”

एक्स पर एक दूसरे पोस्ट में, गठबंधन ने कहा कि उनके सदस्यों को पुनिया पर गर्व है और उन्हें ओलंपिक के लिए शुभकामनाएं दीं.

यह कहते हुए कि पुनिया एशियाई खेलों में हार गए क्योंकि उन्हें बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए “अभ्यास से दूर रहना” पड़ा, इसमें कहा गया कि “डब्ल्यूएफआई की ओर से लापरवाही और मानसिक दबाव ने उनकी कड़ी मेहनत पर पानी फेर दिया.”

इस बीच, बृज भूषण शरण सिंह ने शनिवार को कहा कि अगर सभी पहलवानों को ट्रायल के बाद एशियाई खेलों में भेजा जाता, तो भारत 65kg वाले वर्ग में स्वर्ण पदक जीतता.

राष्ट्रीय राजधानी में राउज़ एवेन्यू कोर्ट कॉम्प्लेक्स के बाहर मीडिया को संबोधित करते हुए, जहां उन्हें सुनवाई के लिए उपस्थित होना था, सिंह ने कहा, “अगर पुनिया को ट्रायल के बाद खेलों में भेजा गया होता, तो उन्होंने स्वर्ण पदक जीता होता.”

यूपी के कैसरगंज से भारतीय जनता पार्टी (सांसद) सिंह ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र और राज्य सरकारों के खेल पर जोर देने के बावजूद देश को 65kg कैटगरी में कोई पदक नहीं मिला. उन्होंने कहा, जो भी डब्ल्यूएफआई का अध्यक्ष बनेगा, उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि पहलवानों को ट्रायल में सफल होने के बाद ही अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भेजा जाए.

‘पेरिस ओलंपिक आपका इंतजार कर रहा है’

साथी पहलवान गीता और विनेश फोगाट के साथ-साथ साक्षी मलिक भी, जो बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में पुनिया के साथ शामिल हुए थे, उनके समर्थन में सामने आए.

गीता फोगट ने एक्स पर लिखा कि पुनिया “इतिहास के सबसे सफल पहलवान” और एक हार न तो उनकी उपलब्धियों को मिटा देगी और न ही उनके भविष्य को बर्बाद करेगी. “ऐसे ही मेहनत करते रहें और सभी अन्यायों के खिलाफ खड़े रहें. आप हमारा गौरव हैं. पेरिस ओलंपिक आपका इंतजार कर रहा है.”

आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, फोगट वर्तमान में हरियाणा पुलिस अकादमी में तैनात पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) हैं.

विनेश फोगाट, जो गीता की चचेरी बहन हैं और 2018 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं, ने एक्स पर अपनी पोस्ट में पुनिया के प्रभावशाली रिकॉर्ड पर प्रकाश डाला और अपने विरोधियों को “उनसे ईर्ष्या करने के बजाय उनका अनुकरण करने” की सलाह दी.

उन्होंने लिखा, “बजरंग पुनिया एक चैंपियन थे, एक चैंपियन हैं और एक चैंपियन रहेंगे. उन्होंने महिला पहलवानों के लिए जो किया वो किसी और ने करने के बारे में सोचा भी नहीं था. हम आपके ऋणी हैं बजरंग पुनिया. असली खिलाड़ी वही है जो हर बार गिरकर उठता है. कोई भी जीत आखिरी जीत नहीं होती और कोई भी हार आखिरी हार नहीं होती.”

ओलंपिक कांस्य पदक विजेता मलिक ने एक्स पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए कहा कि पुनिया “लाखों भारतीयों के लिए प्रेरणा और एक सच्चे चैंपियन” हैं. उन्होंने यह भी कहा कि वह पुनिया के प्रति कुछ व्यक्तियों द्वारा प्रदर्शित नकारात्मकता और नफरत से दुखी थीं और उनसे उन्हें नजरअंदाज करने और इसके बजाय अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया. मलिक ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि पुनिया मजबूत होकर वापसी करेंगे और देश को फिर से गौरवान्वित करेंगे.

‘देश ने एक मेडल खो दिया’

दूसरी ओर, पहलवान विशाल कालीरमन के परिवार के साथ-साथ कालीरमन खाप, जिन्होंने पुनिया को कालीरमन के खिलाफ लड़ने की खुली चुनौती दी थी, ने कहा कि पुनिया का चयन करके भारत ने एक “सुनिश्चित” पदक खो दिया है जो लंबे समय से “अभ्यास से बाहर” थे.

कालीरमन के पिता सुभाष ने दिप्रिंट को बताया, “हमने शुरुआत में ही कहा था कि यदि आप देश के लिए स्वर्ण पदक चाहते हैं, तो कालीरमन को भेजें क्योंकि उसने ट्रायल जीता था और कठिन मुकाबलों के लिए पूरी तरह से तैयार था. दूसरी ओर, पुनिया अपने विरोध प्रदर्शन के कारण लंबे समय तक अभ्यास से बाहर थे.”

कालीरामन के गांव सिसई के पूर्व पहलवान राम कुमार सिहाग, जो 23 वर्षीय पहलवान को राष्ट्रीय कुश्ती टीम में जगह दिलाने के लिए कालीरामन खाप के अभियान का नेतृत्व कर रहे थे, ने कहा कि वह पुनिया की हार से आश्चर्यचकित नहीं थे.

सिहाग ने दिप्रिंट को बताया, “एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जिसने लंबे समय तक कुश्ती की है, मैं जानता था कि बजरंग पुनिया एशियाई खेलों में एक पहलवान को मिलने वाली चुनौती के लिए अयोग्य है. कुश्ती के लिए प्रतिदिन घंटों अभ्यास की आवश्यकता होती है. पुनिया का प्रदर्शन अब यह दिखाता है. उन्हें न सिर्फ हराया गया है, बल्कि उनके विरोधियों ने उन्हें 10-0 और 8-1 जैसे स्कोर के साथ बुरी तरह हराया और अपमानित भी किया है.”

हालांकि, उन्होंने कहा कि बजरंग पुनिया के हार से भी ज्यादा जरूरी बात यह है कि “जिस देश ने पदक खोया वह पदक जीत सकता था.”

संपादन: अलमिना खातून
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