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Wednesday, 8 January, 2025
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पीएमएलए में धनशोधन के अपराध की अवधारणा काफी व्यापक : शीर्ष अदालत

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नयी दिल्ली, 22 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) में धन शोधन के अपराध की अवधारणा बहुत व्यापक है और अपराध से अर्जित आय से जुड़ी कोई भी गतिविधि इस कानून की धारा तीन की अभिव्यक्ति के दायरे में आती है।

न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय पीठ पीएमएलए के कुछ प्रावधानों की व्याख्या संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। पीठ में न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायामूर्ति सी टी रविकुमार शामिल हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘मामले का तथ्य यह है कि धनशोधन के अपराध की अवधारणा बहुत व्यापक है। यह अलग तरह का है। यह किसी एक शब्द या एक अभिव्यक्ति पर आधारित नहीं है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘इसलिए अपराध से अर्जित आय से जुड़ी कोई भी गतिविधि धारा तीन की अभिव्यक्ति के दायरे में आती है।’’

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हमारे अधिनियम को इस तरह तैयार किया गया है कि अपराध की आय से जुड़ी किसी भी गतिविधि का अर्थ है इसमें उपयोग भी शामिल हो सकता है, इसमें छुपाना भी शामिल हो सकता है, इसमें कब्जा भी शामिल हो सकता है।’’

याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील ने दलील दी कि कानून में, अपराध की आय को पकड़ने के लिए पर्याप्त टूलकिट मौजूद हैं और पीएमएलए अपराध की आय से संबंधित कानून नहीं, बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग क़ानून है।

मामले में कल भी सुनवाई जारी रहेगी।

भाषा सुरेश नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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