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Monday, 20 May, 2024
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हम डरेंगे तो काम नहीं चलेगा लेकिन पुलिसवालों की एक ही है चिंता घरवाले कोरोना संक्रमित न हों

दिल्ली पुलिस के पूर्व प्रमुख नीरज कुमार का कहना है कि अभी जैसी स्थिति है उसकी वजह से आने वाले समय में कोविड से पुलिस वाले भारी संख्या में हताहत होंगे.

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नई दिल्ली: कोरोनावायरस संक्रमण से निपटने में फ्रंटलाइन मेडिकल कर्मियों के अलावा पुलिस का काम भी काफी जोखिम भरा है. देश भर से पुलिसवालों के कोरोना संक्रमित होने की खबरें आ रही हैं तो कुछ की जान भी इस बीमारी ने ली है. लेकिन पुलिस ड्यूटी फर्स्ट के मूल मंत्र पर काम कर रही है.

हाल ही में आगरा में एक शटर तोड़ रहे चोर को पुलिस ने गिरफ्तार किया. जांच के बाद पता चला कि वो कोरोना पॉज़िटिव है. गिरफ्तारी में शामिल पुलिस वालों को क्वारेंटाइन होना पड़ा. यानि उन्हें बीमारी और चोर दोनों से ही खतरा है.

दिल्ली के लाल किले के सामने लगे बैरिकेड पर तैनात 50 साल के एक हेड कांस्टेबल ने पूछा कि ‘अगर कहीं कोई किसी का मर्डर कर रहा हो तो हम उसे पकड़ेंगे या कोरोना के डर से छोड़ देंगे? हम डर गए तो काम कैसे चलेगा’.

उस हेड कॉन्सटेबल समेत राजधानी में कोविड-19 के दौरान ड्यूटी कर रहे पुलिस वालों से जब ये पूछा गया कि क्या उनके ज़ेहन में आगरा जैसी घटनाओं को लेकर डर होता है तो लगभग सबने एक सुर में उल्टा सवाल किया कि ऐसे डर से कब तक ड्यूटी से दूर रहेंगे?

परिवार वाले संक्रमित न हो जाए ये डर ज्यादा है

हालांकि, इनके अंदर अपराध और वायरस से ज़्यादा अपने परिवार वालों को कोविड से संक्रमित कर देने का डर रहता है.

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लाजपत नगर थाने के एएसआई हसन खान ने कहा कि घर जाने को लेकर कोई मनाही नहीं है. लेकिन परिवार वालों की चिंता की वजह से कई पुलिस वाले घर नहीं जाते. दिल्ली-नोएडा बॉर्डर के टोल पर तैनात ऐसे ही एक सब इंस्पेक्टर का रहना भी थाने में ही हो रहा है.


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उन्होंने कहा, ‘सोशल डिस्टेंसिंग नहीं हो पाती इसलिए थाने में ही रहना होता है और वहीं से तीन टाइम का खाना मिलता है.’ आगरा के मामले का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अपराधियों को कोरोना का भय नहीं होता लेकिन इस भय के साथ भी पुलिस को उन्हें पकड़ना पड़ता है और लोग भी कई बार लापरवाही बरतते हैं जिसका नतीजा पुलिस को भुगतना पड़ता है.

दिल्ली हाट मेट्रो के पास तैनात सब इंस्पेक्टर ने कहा कि वो अपने परिवार से डेढ़ महीने से नहीं मिले. वहीं तैनात राजस्थान के एक कॉन्सटेबल के दादा के गुज़रने के दो दिनों के भीतर उन्हें कोविड ड्यूटी पर लौटना पड़ा. जो पुलिस वाले घर जाते हैं वो डेटॉल में कपड़े भिगोने से लेकर गर्म पानी से नहाने के बाद भी परिवार से पर्याप्त दूरी बनाए रखते हैं.

राजधानी में कोविड ड्यूटी में लगे कई पुलिस वाले घर से खाना लाते हैं. जो घर से खाना नहीं लाते उन्हें मेस से खाना मिलता है. लेकिन जिन्हें मेस का खाना पसंद नहीं आता उनका जीना मुहाल है क्योंकि बाहर खाना बेहद जोखिम भरा है. वहीं, कई पुलिस वालों ने दिप्रिंट से कहा कि उनको इन दिनों थाने में ही ठहरना पड़ रहा है.

दिल्ली पुलिस के पूर्व प्रमुख नीरज कुमार ने दिप्रिंट से कहा, ‘पुलिस कॉलोनियों में पुलिस वाले अपने परिवार के साथ रहते हैं. अगर एक पुलिसकर्मी पॉज़िटिव हुआ तो पूरी कॉलोनी चपेट में आ सकती है.’

एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर पॉज़िटिव पाए गए इन कर्मियों की संख्या बताई और राहत भरी सांस लेकर कहा कि अभी सबकी जान सलामत है. दिल्ली पुलिस के पीआरओ अनिल मित्तल के मुताबिक दिल्ली पुलिस के लिए लगभग 90,000 लोग काम करते हैं.

नीरज कुमार ने कहा कि पुलिस वालों का जैसा काम होता है उसकी वजह से सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करना असंभव है. उनका मानना है कि जैसी स्थिति है उसकी वजह से आने वाले समय में कोविड से पुलिस वाले भारी संख्या में हताहत होंगे. ये बात सही भी लगती है क्योंकि जनवरी से अब तक दिल्ली में 40 पुलिसकर्मी पॉज़िटिव पाए गए हैं.

50 पार के लिए विशेष सुविधा

एक और राहत की बात ये है कि अन्य समस्याओं के बीच 50 साल के ऊपर वाले कई पुलिस कर्मियों को आराम भी दिया जा रहा है. इनकी ड्यूटी रोटेशन के आधार पर लगाई जा रही है. दरअसल, दिल्ली के पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने ये फ़ैसला लॉकडाउन शुरू होने के दिन लिया था.

फ़ैसले के मुताबिक हर पुलिस थाने के 25-33% स्टाफ को 10 दिनों के क्वारेंटाइन पर भेजना है. हालांकि, कोविड ड्यूटी कर रहे दिल्ली पुलिस वालों में ऐसी राहत मिलने को लेकर राय बटी हुई है. लाजपत नगर में तैनात पुलिस वालों ने 50 साल से ऊपर वालों को राहत मिलने की बात मानी.


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हालांकि, दिल्ली नोएडा एक्सप्रेस वे के बीच तैनात सनलाइट थाने के एक एएसआई ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘मैं 50 से ऊपर का हूं. एक दिन का आराम नहीं मिला. कभी-कभी 12 घंटे ड्यूटी करनी पड़ती है. खाना-पीना भी ख़ुद जुटाना पड़ता हैै.’

सुविधा है, पर स्तर निम्न

वहीं, मास्क, ग्लव्स और सैनिटाइज़र सबको मिल रहा है लेकिन कइयों की शिकायत है कि इनकी क्वालिटी बहुत ख़राब है. साउथ एवेन्यु थाने के एक एएसआई ने कहा, ‘मास्क, सैनिटाइज़र और ग्लव्स तो मिल रहा है लेकिन क्वालिटी बहुत ख़राब है.’ 

दूसरे चरण के लॉकडाउन में पुलिस वालों के लिए कई जगह टेंट तो लगे हैं लेकिन ड्यूटी पर तैनात महिला कॉन्सटेबल तक को वॉशरूम इस्तेमाल करने के लिए स्कूटी से पेट्रोल पंप या आस-पास के पब्लिक टॉयलेट में जाना पड़ता है.

हालांकि, अधिकारियों का दावा है कि वो अपनी तरफ से तमाम सुविधाएं देने का प्रयास कर रहे हैं. पूर्वोत्तर दिल्ली के ज़िला डीसीपी आरपी मीणा ने दिप्रिंट से कहा, ‘एहतियातन हम पांच-छह चीज़ें कर रहे हैं जिनमें सबको ग्लव्स, सैनिटाइज़र, मास्क देना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाना शामिल है.’

उन्होंने कहा कि अब कोई गैर ज़रूरी गिरफ्तारी नहीं हो रही और ड्यूटी भी रोटेशन के तहत लगाई जा रही है. रोटेशन से मैनपावर की कमी होने से जुड़े सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बाकी अपराध नहीं हो रहे जिसकी वजह से संख्या बल कम होने पर भी दिक्कत नहीं होती.

उन्होंने जानकारी दी कि को जो कंटेनमेंट ज़ोन जैसी सेसेंटिव ड्यूटी पर है उनके लिए होटल और गेस्ट हाउस में रहने का इंतज़ाम किया गया है, कुछ लोग स्वेच्छा से थाने में रहते हैं और बाकी के लोग घर जाते हैं.


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ऐसे दावों के बीच दिल्ली हाई कोर्ट में दिल्ली पुलिस की वकील ऋचा कपूर का कहना है कि अब पुलिस वाले सिर्फ़ अपना काम नहीं कर रहे बल्कि ट्रांसपोर्टेशन देने, खाना पहुंचाने, सैनिटाइज़ेशन करवाने से लेकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने का भी काम रहे हैं. कई जगहों पर वो प्राथमिक स्वास्थ्य कर्मियों का भी काम कर रहे हैं.

ऋचा का कहना है कि ऐसे में पुलिस वाले सबसे ज़्यादा ख़तरे का सामना कर रहे हैं. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘पुलिस वालों का रूटीन से कोविड टेस्ट होना चाहिए और टेस्ट के नतीज़ों के आधार पर ही उन्हें काम पर भेजना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि हताहतों की संख्या कम करने का इससे बेहतर उपाए नहीं हो सकता.

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