नयी दिल्ली, 28 अगस्त (भाषा) केंद्र ने कार्यस्थलों पर चिकित्सकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्यों को विभिन्न कदम उठाने को कहा है, जिनमें अस्पताल परिसरों में रात में गश्त और महत्वपूर्ण स्थानों तक लोगों की पहुंच को विनियमित करना शामिल है।
कोलकाता में एक जूनियर डॉक्टर के बलात्कार-हत्या मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेशों के बाद केंद्र ने यह कदम उठाया है। पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में पिछले दिनों हुई इस घटना के बाद रेजिडेंट डॉक्टरों ने देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। उनकी मांगों में, पीड़िता को न्याय और कार्यस्थलों पर स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय कानून बनाने की मांग शामिल हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने 23 अगस्त को राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों को लिखे पत्र में अस्पतालों में हिंसा के मामलों और कोलकाता की घटना के परिणामस्वरू बाद के विरोध प्रदर्शनों के मुद्दे पर उनका ध्यान आकृष्ट किया।
उन्होंने कहा कि घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए उच्चतम न्यायालय ने 20 और 22 अगस्त को आदेश दिए।
न्यायालय ने 22 अगस्त के अपने आदेश में, अन्य बातों के साथ ही यह निर्देश दिया कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव राज्य के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ मिलकर काम करेंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य सरकारें/केंद्र शासित प्रदेश राष्ट्रीय कार्य बल (एनटीएफ) की रिपोर्ट प्राप्त होने तक कुछ बुनियादी न्यूनतम आवश्यकताओं को लागू करें जिससे कार्यस्थल पर चिकित्सकों की सुरक्षा को लेकर उनकी चिंताओं को दूर किया जा सके।
न्यायालय द्वारा नियुक्त एनटीएफ चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक ‘प्रोटोकॉल’ तैयार करेगा।
चंद्रा ने कहा, ‘इसने (शीर्ष अदालत ने) यह निर्देश भी दिया है कि राज्य सरकारें दो सप्ताह की अवधि के भीतर स्थिति की आवश्यकताओं को देखते हुए उपचारात्मक और उचित कार्रवाई करेंगी।
उन्होंने अपने पत्र में कहा, ‘इस संबंध में, निम्नलिखित कुछ तत्काल कदम हैं, जिन पर स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा और उनके लिए सुरक्षित माहौल प्रदान करने के वास्ते विचार किया जा सकता है।’
चंद्रा ने स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए राज्य के कानूनों और भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं के साथ-साथ दंडात्मक विवरणों को स्थानीय भाषा और अंग्रेजी में अस्पताल परिसर में प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित करने पर जोर दिया।
उन्होंने अस्पताल सुरक्षा समिति और हिंसा रोकथाम समिति के गठन का भी आह्वान किया, जिसमें वरिष्ठ डॉक्टर और प्रशासनिक अधिकारी सदस्य के तौर पर शामिल हों।
रात की ड्यूटी के दौरान अस्पताल के विभिन्न हिस्सों, छात्रावास भवनों और अन्य क्षेत्रों में रेजिडेंट डॉक्टरों एवं नर्सों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए प्रावधान करने का आह्वान भी पत्र में किया गया है। इसमें अस्पताल के सभी क्षेत्रों में उचित रोशनी सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है।
पत्र में इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि रात में अस्पताल परिसर में नियमित गश्त होनी चाहिए, 24 घंटे काम करने वाले सुरक्षा नियंत्रण कक्ष और निकटतम पुलिस स्टेशन के साथ संपर्क होना चाहिए।
इसमें यह भी बताया गया कि यौन उत्पीड़न के संबंध में अस्पतालों द्वारा एक आंतरिक समिति का गठन किया जाना चाहिए और सीसीटीवी कैमरों की स्थिति और आवश्यकता की समीक्षा की जानी चाहिए।
मंत्रालय इन कदमों के क्रियान्वयन की तैयारियों पर मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ बैठक कर रहा है।
भाषा अविनाश सुरेश
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