गुवाहाटी, सात जून (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) से संबंधित मामलों के कारण ‘‘रोकी गई’’ अवैध विदेशियों की पहचान करने की प्रक्रिया में तेजी लायी जाएगी।
इस बीच, राज्य के विभिन्न हिस्सों में अवैध प्रवासियों का पता लगाने के नाम पर अल्पसंख्यकों के कथित ‘‘उत्पीड़न’’ के खिलाफ शनिवार को ईद की नमाज के दौरान विरोध प्रदर्शन हुए।
शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार पुराने कानून के विवरण पर विचार कर रही है, जो उसे घोषित किये जा चुके घुसपैठियों को न्यायपालिका का रुख किये बिना ही ‘‘वापस भेजने’’ की अनुमति देता है।
नलबाड़ी में एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए शर्मा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय की एक संवैधानिक पीठ ने नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए पर एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि विदेशियों की पहचान करने के लिए असम सरकार को हमेशा न्यायपालिका से संपर्क करने की कोई कानूनी आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘घुसपैठियों को निकालने का आदेश है, जो एक पुराना कानून है। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि यह कानून लागू है और इसके तहत उपायुक्त तत्काल वापस भेजने की अनुमति दे सकते हैं।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘किसी कारण हमारे वकीलों ने हमें सूचित नहीं किया और हमें भी इसके बारे में पता नहीं था। पूरा मामला पिछले कुछ दिनों में सामने आया है। अब हम इस पर आगे चर्चा करेंगे।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि अवैध प्रवासियों को वापस भेजने का काम जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि विदेशियों की पहचान की प्रक्रिया, जो एनआरसी से जुड़े मामलों के कारण रुकी हुई थी, अब तेज की जाएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘और जब किसी विदेशी की पहचान हो जाएगी, तो मामले को किसी अधिकरण में भेजने की जरूरत नहीं होगी। हम सीधे उन्हें वापस भेजेंगे। हम इसके लिए तैयारी कर रहे हैं।’’
शर्मा ने कहा कि वापस भेजने की प्रक्रिया जारी रहेगी, हालांकि अदालत में लंबित किसी भी मामले से संबंधित व्यक्ति को वापस नहीं भेजा जाएगा।
इस बीच, ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन (आमसु) के सदस्यों और समर्थकों ने राज्य में, बांग्लादेशियों को हाल ही में वापस भेजे जाने की कथित घटना के खिलाफ काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने तख्तियां भी ले रखी थीं।
ईद की नमाज के बाद, चिरांग और जोगीघोपा समेत विभिन्न इलाकों में उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया।
आमसु के अध्यक्ष रिजाउल करीम सरकार ने कहा कि अगर सरकार वास्तविक नागरिकों का ‘‘उत्पीड़न’’ बंद नहीं करती है तो विरोध प्रदर्शन बढ़ा दिया जाएगा।
भाषा सुभाष माधव
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