औरैया: उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में सोमवार को एक 15 वर्षीय दलित लड़के की मौत हो गई. बताया जा रहा है कि कुछ दिनों पहले ही उसके उच्च जाति वाले सामाजिक विज्ञान शिक्षक ने कथित तौर पर उसे पीटा था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, उसकी मौत का कारण सेप्टीसीमिया (बैक्टीरिया के कारण खून में जहर फैलना) था.
पुलिस जहां यह दावा कर रही है कि किशोर किडनी के संक्रमण से पीड़ित था, वहीं, उसके परिवार वालों ने इस बात से इंकार किया है.
औरैया के अछल्दा कस्बे में रहने वाले निखित कुमार की मौत के बाद क्षेत्र में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया और गुस्साई भीड़ ने एक पुलिस वाहन को भी आग के हवाले कर दिया. प्रदर्शन तब शुरू हुआ जब निखित के परिजनों ने दावा किया कि आदर्श इंटर कॉलेज में पढ़ाने वाले उसके शिक्षक अश्विनी सिंह ने गत 7 सितंबर को उसे कथित तौर पर लात-घूंसों और डंडे से पीटा था. उसके बाद ही उसकी तबीयत खराब होने लगी थी. निखित की गलती यह थी कि उसने एक एग्जाम पेपर में ‘सामाजिक विज्ञान’ विषय का नाम गलत लिखा था.
औरैया में सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) शिष्य पाल ने दिप्रिंट को बताया, ‘पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उसकी मौत सेप्टीसीमिया के कारण होने की पुष्टि की गई है और किसी भी बाहरी या आंतरिक चोट से इंकार किया गया है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘जांच में पता चला है कि किशोर किडनी के संक्रमण से पीड़ित था. मैंने अभी कागजात तो नहीं देखे हैं लेकिन अभी तक यही बात सामने आई है.’
हालांकि, निखित के परिवारवालों ने इस बात से इनकार किया कि वह किडनी के संक्रमण से पीड़ित था और उनका दावा है कि मौत कथित तौर पर पिटाई के कारण ही हुई है. स्थानीय मीडिया ने ऐसी तस्वीरें भी प्रकाशित की हैं जो मृत किशोर की पीठ पर ‘चोट’ के निशान होने का दावा करती हैं.
तस्वीरों के बारे में पूछे जाने पर, निखित के पिता ने दावा किया कि वे उनके बेटे की ही हैं, जिन्हें उसकी मौत के बाद लिया गया था. हालांकि, एएसपी पाल ने कहा कि वह इसकी ‘पुष्टि’ नहीं कर सकते कि तस्वीरें किशोर की ही थीं या नहीं.
उसी शिक्षक ने 7 सितंबर को ही कथित तौर पर एक अन्य किशोर अजय को भी पीटा था. हालांकि, जब दिप्रिंट ने उसके घर का दौरा किया, तो वह बंद मिला और एक पड़ोसी संजू देवी ने कहा कि परिवार ‘कुछ महीनों के लिए’ चला गया है.
निखित की कथित पिटाई की सूचना सबसे पहले उसकी मौत से दो दिन पूर्व 24 सितंबर की शाम को पुलिस को दी गई थी. उसी दिन अश्विनी कुमार के खिलाफ एस/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की विभिन्न धाराओं के अलावा आईपीसी की धारा 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 323 (चोट पहुंचाना) और 504 (शांति भंग के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई थी.
दिप्रिंट को मिली एफआईआर की प्रति के मुताबिक, किशोर के पिता राजू दोहरे ने आरोप लगाया है कि अश्विनी ने उसके बेटे के इलाज के लिए कुछ पैसे दिए थे लेकिन जब इसी काम के लिए उनसे और पैसे मांगे गए तो उन्होंने जातिवादी टिप्पणी की और दोहरे को धमकाया कि अगर वह तुरंत वहां से नहीं गया तो उसे भी पीटा जाएगा. अश्विनी कुमार को पुलिस अभी तक गिरफ्तार नहीं कर पाई है.
इस बीच, किशोर की मौत पर विरोध प्रदर्शन के बाद पुलिस ने उसके पिता, स्थानीय बसपा नेता संघप्रिय गौतम और दर्जनों नामजद और अनाम लोगों के खिलाफ धारा 307 (हत्या का प्रयास), 147 (दंगा) 148 (सशस्त्र दंगा), और 436 (आग या विस्फोटक पदार्थ से घर नष्ट करने की कोशिश आदि) समेत आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की हैं.
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‘किडनी इंफेक्शन’ पर परस्पर विरोधी दावे
निखित की ऑटोप्सी रिपोर्ट के मुताबिक मौत का कारण सेप्टीसीमिया है, जो तब होता है जब किसी वजह से शरीर का कोई बैक्टीरियल इंफेक्शन खून में फैल जाता है. पुलिस के मुताबिक, उसका मूल कारण किडनी में इंफेक्शन होना माना जा रहा है.
हालांकि, किशोर का परिवार इस बात से इनकार कर रहा है लेकिन निखित के साथ पढ़ने वाले बच्चों ने दिप्रिंट को बताया कि वह अस्वस्थ रहता था और उसके परिवार ने स्कूल प्रशासन से कहा भी था कि उसे कभी पीटा न जाए.
हालांकि, चिकित्सा विशेषज्ञों के मुताबिक, सेप्टीसीमिया विभिन्न कारणों से हो सकता है.
नोएडा स्थित सरकारी जिला अस्पताल के डॉक्टर प्रदीप शैलत ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि चोट लगने से भी सेप्टीसीमिया हो सकता है.
उन्होंने कहा, ‘यह संभव है कि चोट लगने से रक्त में संक्रमण हो, जो बाद में सेप्टिक शॉक में तब्दील हो जाए.
‘पिटाई के 2-3 दिन बाद शरीर में सूजन आने लगी’
राजू दोहरे ने दिप्रिंट को बताया कि उनके बेटे निखित को कथित तौर पर इसलिए पीटा गया क्योंकि उसने सामाजिक विज्ञान की परीक्षा के दौरान अपनी ओएमआर शीट में गलत शब्द लिखा था. उन्होंने दावा किया कि उसी दिन उसके एक अन्य सहपाठी अजय को भी पीटा गया था.
उन्होंने कहा, ‘निकित को डंडे से बुरी तरह पीटा गया था. शिक्षक ने उसके पेट और बाजू में घूंसे भी मारे. हमारे घर आए पड़ोसी गांव तहराजपुर के उसके एक सहपाठी ने हमें बताया कि उसे भी बुरी तरह पीटा गया था. एक दोस्त ने बाद में कहा कि उसकी (निखित की) नाक से खून बह रहा था, लेकिन हमारे बेटे ने हमें इसकी जानकारी नहीं दी.’
इस बीच किशोर की मां ने कहा कि उसके दूसरे बेटे ने भी कथित पिटाई के बारे में बताया था, लेकिन निखित ने इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं बताया कि स्कूल में क्या हुआ था.
उन्होंने कहा, ‘उसने मुझे बताया कि उसे पीटा गया था, लेकिन शुरू में यह नहीं बताया कि उसे इस कदर बुरी तरह पीटा गया था. मेरे बेटे ने उस दिन खाना नहीं खाया…दो-तीन दिनों के बाद मैंने देखा कि उसके शरीर में सूजन आने लगी है.’
13 सितंबर को, निखित के माता-पिता और चाचा स्कूल वालों से मिलने गए और दावा किया कि उन्होंने सामाजिक विज्ञान के शिक्षक अश्विनी सिंह से भी बात की थी.
दोहरे ने कहा, ‘प्राचार्य तो छुट्टी पर थे क्योंकि उनके पिता अस्वस्थ थे लेकिन मैं अश्विनी और दिनेश नामक एक अन्य शिक्षक से मिला. मैंने अश्विनी से कहा कि वह मेरे बेटे का अस्पताल में इलाज करवाएं नहीं तो मैं उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराऊंगा. उन्होंने कहा कि इलाज का खर्च वहन करेंगे और उन्होंने पहले 10 हजार रुपये दिए. उसके बाद फिर 30,000 रुपये दिए.’
बाद के दिनों में किशोर के इलाज के लिए परिवार को एक से दूसरे अस्पताल के बीच कई चक्कर काटने पड़े.
उसे पहले अछल्दा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और फिर इटावा के एक निजी अस्पताल ले जाया गया. हालांकि, निखित के स्वास्थ्य में सुधार नहीं होने के कारण अस्पताल ने उसे एक बड़े मेडिकल सेंटर रेफर कर दिया गया।
24 सितंबर को, निखित को इटावा के सैफई स्थित उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय ले जाया गया, लेकिन उसके पिता का दावा है कि वहां एडमिड करने से मना कर दिया गया क्योंकि डॉक्टरों ने कहा कि उसकी हालात काफी गंभीर है, और फिर उसे लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीसीआई) ले जाया गया.
परिवार ने दावा किया कि इसके बाद ही उन्होंने और पैसे देने के लिए अश्विनी से संपर्क किया.
दोहरे ने कहा, ‘उन्होंने एक बार मेरा फोन उठाया और कहा कि वह और पैसे नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि हम इलाज करवाएं या नहीं, वह और पैसे नहीं देंगे.’ दोहरे का कहना है कि इसके बाद जब वह अश्विनी से मिलने गए तो वहां उन्हें धमकाया गया था.
इसके बाद दोहरे ने 24 सितंबर को पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी.
अगली सुबह, 25 सितंबर निखित को फिर अछल्दा सीएचसी ले जाया गया. ओपीडी स्लिप—जिसे दिप्रिंट ने देखा है—से पता चलता है कि ‘शरीर की सामान्य सूजन’ और ‘सांस लेने में कठिनाई’ का इलाज किया गया था. किशोर को लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया और फिर एसजीपीजीआई लखनऊ रेफर कर दिया गया.
दोहरे ने बताया, ‘जब हम एसजीपीजीआई पहुंचे तो कर्मचारियों ने बताया कि उनके पास कोई बेड खाली नहीं है. हम लखनऊ से लौटे और अपने बेटे को औरैया के दिबियापुर मेडिकल कॉलेज ले गए. वहां से उसे फिर इटावा मेडिकल यूनिवर्सिटी रेफर कर दिया गया.’
26 सितंबर को निकित को इटावा ले जाया गया, लेकिन भर्ती कराए जाने से कुछ देर पहले ही उसकी मौत हो गई.
पिता ने बताया, ‘जब हम सोमवार सुबह मेडिकल यूनिवर्सिटी पहुंचे और उसे अस्पताल के अंदर ले जाने वाले थे, तो ऑक्सीजन मास्क हटाने के तुरंत बाद उनकी मृत्यु हो गई.’
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किशोर के पिता, प्रदर्शनकारियों के खिलाफ केस
निखित की मौत पर उग्र विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर अछल्दा में पुलिस ने किशोर के पिता और स्थानीय बसपा नेता संघप्रिया गौतम सहित 34 अन्य लोगों के खिलाफ दंगा, आपराधिक धमकी और अन्य धाराओं के लिए एफआईआर दर्ज की है. एफआईआर में 250 अन्य अनाम लोगों को भी आरोपी बनाया गया है.
इंस्पेक्टर ललित कुमार की तरफ से दर्ज कराई गई एफआईआर में कहा गया है कि 26 सितंबर को आरोपियों ने निखित के शव को एंबुलेंस से उतारकर आदर्श इंटर कॉलेज के सामने रख दिया था. इसके बाद उन्होंने कथित तौर पर अपने हाथों में लाठी लेकर विरोध किया, नारे लगाए और प्रशासन और सरकार के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया.
एफआईआर में कहा गया है कि वरिष्ठ अधिकारियों के आश्वासन के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने ‘अनुपयुक्त मांगं’ कीं और पुलिस वाहनों को आग लगा दी.
इस बारे में पूछे जाने पर निखित के पिता ने दावा किया कि विरोध से उनका कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा, ‘हमने अपना बेटा खो दिया है. हमारे पास यह सब करने का समय नहीं था. हम इस सबका सहारा कैसे ले सकते हैं?’
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