नयी दिल्ली, 30 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर छह फरवरी को सुनवाई करेगा, जिसमें छात्रों को 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में तमिल भाषा का पर्चा (पेपर) देने से छूट देने संबंधी दिशानिर्देशों को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था।
उच्च न्यायालय ने सितंबर 2019 में कहा था कि 18 जुलाई 2016 के सरकारी पत्र को रद्द नहीं किया जा सकता, जिसमें छात्रों को 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में तमिल भाषा का पर्चा लिखने से छूट देने के लिए दिशानिर्देश दिये गये हैं।
हालांकि, उच्च न्यायालय ने संबद्ध प्राधिकारों को भाषायी अल्पसंख्यक स्कूलों में छात्रों को शैक्षणिक वर्ष 2020 से 2022 तक के लिए 10वीं कक्षा की परीक्षा में तमिल भाषा का पर्चा लिखने से छूट देने का निर्देश दिया था।
यह विषय सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति ए.एस. ओका के समक्ष आया।
याचिकाकर्ता ‘लिंग्विस्टिक माइनॉरीटिज फोरम ऑफ तमिलनाडु’ की ओर से पेश हुए वकील ने पीठ को उच्च न्यायालय में दायर की गई याचिका के बारे में बताया और जुलाई 2016 के पत्र का हवाला दिया।
शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला दिया और कहा कि इसने शैक्षणिक वर्षों 2020-2022 के लिए छूट प्रदान की है।
उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘‘हम इसकी पड़ताल करेंगे। मुद्दा यह है कि छात्रों के लिए क्या कुछ किया जा सकता है।’’
पीठ ने तमिलनाडु की ओर से पेश हुए वकील से कहा कि राज्य सरकार ने यह दलील दी है कि जो लोग बाहर से आकर राज्य में रह रहे हैं, उन्हें छूट दी जाएगी।
पीठ ने कहा, ‘‘आप मान्यता प्राप्त भाषायी अल्पसंख्यकों को छूट क्यों नहीं दे रहे हैं।’’
शीर्ष न्यायालय ने मामले की आगे की सुनवाई छह फरवरी के लिए निर्धारित कर दी।
भाषा सुभाष दिलीप
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