नयी दिल्ली, 26 अक्टूबर (भाषा) कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) में आमूलचूल परिवर्तन किए जााने और राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों को तत्काल अद्यतन करने का आह्वान करते हुए रविवार को कहा कि भारत का वायु प्रदूषण संकट अब केवल श्वसन संबंधी समस्या नहीं रह गया है बल्कि यह ‘‘हमारे मस्तिष्क और शरीर पर एक बड़ा हमला’’ है।
कांग्रेस महासचिव एवं संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि वायु प्रदूषण एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा है तथा यह ‘‘हमारे समाज, स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और भावी श्रम बल के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा’’ है।
पूर्व पर्यावरण मंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘भारत का वायु प्रदूषण संकट अब केवल श्वसन संबंधी समस्या नहीं रह गया। यह अब हमारे मस्तिष्क और शरीर पर व्यापक पैमाने पर हमला है।’’
रमेश ने कहा कि 2023 में भारत में लगभग 20 लाख लोगों की मौत का संबंध वायु प्रदूषण से था जो 2000 से 43 प्रतिशत की वृद्धि है।
उन्होंने कहा कि इनमें से लगभग 10 में से नौ लोगों की मौत गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) जैसे हृदय रोग, फेफड़ों के कैंसर, मधुमेह और मनोभ्रंश (डिमेंशिया) के कारण हुईं।
रमेश ने कहा कि भारत में प्रति 1,00,000 लोगों पर वायु प्रदूषण से लगभग 186 मौत दर्ज की जाती हैं जो उच्च आय वाले देशों (17 मौत प्रति 1,00,000) की दर के 10 गुना से अधिक है।
उन्होंने कहा कि भारत में सीओपीडी (‘क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज’ यानी लंबे समय तक फेफड़ों में रुकावट संबंधी रोग) से होने वाली मौत के लगभग 70 प्रतिशत मामले, फेफड़ों के कैंसर से होने वाली मौत के लगभग 33 प्रतिशत मामले, हृदय रोग से होने वाली मौत के लगभग 25 प्रतिशत मामले और मधुमेह से होने वाली मौत के लगभग 20 प्रतिशत मामले वायु प्रदूषण से जुड़े हैं।
उन्होंने कहा कि माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर में मापे जाने वाले सूक्ष्म कण यानी ‘पार्टिकुलेट मैटर’ (पीएम 2.5) से संपर्क को अब मस्तिष्क संबंधी क्षति और त्वरित संज्ञानात्मक गिरावट से भी जोड़ा गया है और वैश्विक स्तर पर 2023 में मनोभ्रंश से हुई लगभग 6,26,000 मौत के मामले वायु प्रदूषण से जुड़े हैं।
रमेश ने कहा, ‘‘वायु प्रदूषण एक जन-स्वास्थ्य आपदा है और हमारे समाज, हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और हमारे भावी कार्यबल के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पीएम 2.5 के लिए हमारा वर्तमान मानक विश्व स्वास्थ्य संगठन के वार्षिक संपर्क संबंधी दिशानिर्देशों से आठ गुना और 24 घंटे के संपर्क संबंधी दिशानिर्देश से चार गुना है। वर्ष 2017 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) की शुरुआत के बावजूद पीएम 2.5 का स्तर लगातार बढ़ रहा है और हैरानी की बात यह है कि अब भारत में हर व्यक्ति ऐसे इलाकों में रहता है जहां पीएम 2.5 का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों से कहीं अधिक है।’’
रमेश ने कहा, ‘‘हमें एनसीएपी में आमूल-चूल बदलाव करने और राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (एनएएक्यूएस) को भी तत्काल अद्यतन करने की आवश्यकता है जिन्हें नवंबर 2009 में सावधानीपूर्वक तैयार किया गया था।’’
कांग्रेस नेता ने ‘एक्स’ पर ‘स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2025’ रिपोर्ट भी साझा की, जो 2023 में दुनिया भर के देशों की वायु गुणवत्ता और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के आंकड़ों का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करती है।
भाषा
सिम्मी संतोष
संतोष
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