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बुधवार, 21 मई, 2025
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समान नागरिक संहिता का उद्देश्य सद्भाव और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना: न्यायमूर्ति शेखर यादव

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प्रयागराज, नौ दिसंबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डॉ. शेखर यादव ने कहा कि समान नागरिक संहिता का मुख्य उद्देश्य विभिन्न धर्मों और समुदायों पर आधारित असमान कानूनी प्रणालियों को समाप्त कर सामाजिक सद्भाव लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना है।

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, न्यायमूर्ति शेखर यादव ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पुस्तकालय हॉल में रविवार को विहिप के विधि प्रकोष्ठ और उच्च न्यायालय इकाई के प्रांतीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा, “समानता न्याय और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों पर आधारित समान नागरिक संहिता भारत में लंबे समय से एक बहस का मुद्दा रही है।”

उन्होंने कहा, “एक समान नागरिक संहिता, एक ऐसे सामान्य कानून को संदर्भित करती है जो व्यक्तिगत मामलों जैसे विवाह, विरासत, तलाक, गोद लेने आदि में सभी धार्मिक समुदायों पर लागू होता है।”

न्यायमूर्ति यादव ने कहा कि समान नागरिक संहिता का उद्देश्य विभिन्न व्यक्तिगत कानूनों को प्रतिस्थापित करना है, जो वर्तमान में विभिन्न धार्मिक समुदायों के भीतर व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करते हैं।

उन्होंने कहा कि इसका लक्ष्य ना केवल समुदायों के बीच, बल्कि एक समुदाय के भीतर भी कानूनों की एकरूपता को सुनिश्चित करना है।

उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय सह संयोजक अभिषेक आत्रेय ने वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर कहा कि बांग्लादेश में दूसरा कश्मीर दिखता है और अस्मिता को बचाए रखने के लिए हम सभी को संगठित रहना होगा।

कार्यक्रम में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता वीपी श्रीवास्तव ने “धर्मांतरण- कारण और निवारण” विषय पर अपना अनुभव साझा किया।

इस अधिवेशन में जौनपुर, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, अमेठी, प्रयागराज, कौशांबी, भदोही, मिर्जापुर, चंदौली, सोनभद्र, गाजीपुर, और वाराणसी के विहिप कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

भाषा राजेंद्र जितेंद्र

जितेंद्र

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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