गोलपाड़ा (असम), 24 जून (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने मंगलवार को कहा कि पारिस्थितिक संतुलन सुचारू रखने और अतिक्रमण के कारण पूर्व में हुए नुकसान की भरपाई किए जाने के मकसद से सरकार गोलपाड़ा जिले में तीन प्रमुख जलाशयों के संरक्षण की पहल कर रही है।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने जलाशयों पर अतिक्रमण किया है, उन्हें दोष नहीं दिया जाना चाहिए, क्योंकि कुछ नेताओं ने उन्हें इन क्षेत्रों में बसने के लिए ‘आमंत्रित’ किया था।
पिछले सप्ताह कथित अतिक्रमण हटाए जाने के बाद हसिलाबील की स्थिति की समीक्षा करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए शर्मा ने कहा, ‘‘मंत्रिमंडल ने पहले ही हसिलाबील और उरपोद बील को प्रस्तावित आरक्षित वन (पीआरएफ) के रूप में अधिसूचित करने का फैसला किया है। कुमरी बील के लिए भी ऐसा ही किया जाएगा। हम तीन महीने के भीतर जनता की राय लेंगे और इन्हें पीआरएफ घोषित करने पर काम करेंगे।’’
शर्मा ने पर्यटन विभाग को, पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण इन क्षेत्रों के आसपास पर्यटन संभावनाओं को विकसित करने के लिए एक ‘मास्टर प्लान’ तैयार करने का भी निर्देश दिया।
शर्मा ने कहा, ‘‘मैंने आज यहां स्थिति की समीक्षा की। हमें लोगों के सहयोग की आवश्यकता होगी। दो अन्य बीलों (जलाशय) पर अतिक्रमण किया गया है और उसे भी हटा दिया जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि अतिक्रमणकारियों से ‘जगह खाली करने का अनुरोध’ किया जाएगा, जबकि सरकार उन लोगों से भूमि खरीदेगी जो कानूनी रूप से वहां बसे हैं और जिनके पास भूमि स्वामित्व के दस्तावेज हैं।
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि इन क्षेत्रों में अतिक्रमण नया है और अवैध बस्तियां कब शुरू हुईं, इसका पता ‘सैटेलाइट इमेजरी’ के जरिए लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें सबसे पहले यह जानना होगा कि अतिक्रमणकारी कहां से आए हैं। आप देख सकते हैं कि ये घर 12 से 15 साल पुराने हैं। हम उन्हें उनके मूल स्थान पर वापस भेजने में मदद करेंगे। जो लोग भूमिहीन हैं, उनके लिए यह अलग मामला है।’’
शर्मा ने कहा, ‘‘हमें हर व्यक्ति के भूगोल और इतिहास को समझने की जरूरत है। हमारा लक्ष्य लोग नहीं हैं, लेकिन बीलों की रक्षा करना हमारा मकसद है। हम अतिक्रमण नहीं होने देंगे।’’
उन्होंने कहा कि कुछ मुद्दों का समाधान जगह खाली करवाकर किया जाना चाहिए, जबकि कुछ मुद्दों का समाधान बातचीत के माध्यम से किया जा सकता है।
राज्य मंत्रिमंडल ने रविवार को उरपद बील क्षेत्र (1256 हेक्टेयर) और हसिला बील क्षेत्र (245 हेक्टेयर) को पीआरएफ के रूप में अधिसूचित करने के प्रस्तावों को मंजूरी दी थी।
पीआरएफ ‘सामाजिक और प्राकृतिक संतुलन’ को बनाए रखने का एक उपाय है।
पिछले सप्ताह हसिलाबील गांव के 1,555 बीघा क्षेत्र के लगभग 45 प्रतिशत हिस्से से कथित अवैध अतिक्रमण हटाया गया।
भाषा यासिर मनीषा
मनीषा
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