ठाणे, 13 मई (भाषा) ठाणे जिले की एक विशेष अदालत ने राजमार्ग पर लूटपाट और डकैती के 17 साल पुराने मामले में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत निरुद्ध एक आरोपी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
अतिरिक्त विशेष न्यायाधीश ए.एन. सिरसीकर ने शोभन को भारतीय दंड संहिता और मकोका के संबंधित प्रावधानों के तहत लगाए गए आरोपों से बरी कर दिया।
इस संबंध में आदेश 29 अप्रैल को दिया गया और इसकी प्रति सोमवार को उपलब्ध कराई गई।
मुंबई-अहमदाबाद राजमार्ग पर नौ दिसंबर 2007 को वाहनों को रोककर उसमें बैठे लोगों से तीन लाख रुपये से अधिक मूल्य के कीमती सामान की लूटपाट के मामले में शोभन को 2008 में गिरफ्तार किया गया था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार यूथ कांग्रेस के तीन नेता एक जनसभा के लिए सूरत जा रहे थे तभी डकैतों के एक गिरोह ने राजमार्ग पर उनके वाहन को रोक लिया और उन पर हमला कर लूटपाट की।
न्यायाधीश सिरसीकर ने अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य को अपर्याप्त बताया और इस बात पर गौर किया कि गवाह आरोपियों को नहीं पहचान पाए।
अदालत ने पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा दर्ज किए गए इकबालिया बयान की स्वीकार्यता पर भी सवाल उठाया।
प्रक्रिया में उल्लंघन की तरफ इशारा करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि सह-आरोपी का इकबालिया बयान दर्ज करने वाले अधिकारी ने स्वीकार किया है कि जो पुलिस थाना मामले की जांच कर रहा था वह उसके अधिकार क्षेत्र में आता है।
न्यायाधीश ने फैसला सुनाया, ‘‘यह मकोका नियमों के नियम-3(2) का स्पष्ट उल्लंघन है। यह नियम जांच अधिकारियों को इकबालिया बयान दर्ज कराने के दौरान मौजूद रहने से प्रतिबंधित करता है।’’
शोभन के कथित कबूलनामे के बारे में जज ने कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष आरोपी के इकबालिया बयान को साबित नहीं कर पाया। इसके अलावा, कुछ अन्य सबूत भी होने चाहिए। अपराध को साबित करने के लिए इकबालिया बयान ही पर्याप्त नहीं है।’’
अदालत ने शोभन और तीन फरार सह-आरोपियों को बरी कर दिया।
भाषा खारी नरेश
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