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बुधवार, 7 मई, 2025
होमदेशआतंकवादी कुछ भी करने से पहले 100 बार सोचेंगे: पहलगाम हमले में मारे गए नरवाल के पिता ने कहा

आतंकवादी कुछ भी करने से पहले 100 बार सोचेंगे: पहलगाम हमले में मारे गए नरवाल के पिता ने कहा

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चंडीगढ़, सात मई (भाषा) पहलगाम आतंकवादी हमले में मारे गए लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के पिता राजेश नरवाल ने पाकिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ भारत की कार्रवाई की बुधवार को सराहना की और कहा कि मोदी सरकार ने एक कड़ा संदेश दिया है तथा अब 22 अप्रैल के हमले के साजिशकर्ता भविष्य में ऐसे हमले दोहराने से पहले ‘‘100 बार सोचेंगे।’’

भारतीय सशस्त्र बलों ने पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेते हुए मंगलवार देर रात पाकिस्तान और इसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए जिनमें जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ बहावलपुर और मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा का ठिकाना भी शामिल है।

राजेश नरवाल ने करनाल में अपने आवास पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब यह (पहलगाम) घटना हुई थी, तब भी आप (मीडिया) मेरे घर आए थे और पूछा था कि मुझे सरकार से क्या उम्मीद है। मेरा जवाब था कि मुझे अपनी सरकार पर भरोसा है। और आज सरकार ने उस भरोसे को सही साबित किया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कहा था कि ऐसा (जवाबी हमला) किया जाना चाहिए ताकि कोई दोबारा ऐसा कायराना कृत्य करने की हिम्मत न कर सके… (पाकिस्तान और पीओके में) आतंकी ठिकानों पर किए गए हमले हमेशा उनके दिमाग में गूंजते रहेंगे।’’

मिशन के नाम पर पूछे गए सवाल के जवाब में राजेश ने कहा, ‘‘इस अभियान का नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रखा जाना एकदम उपयुक्त है।’’

वहीं, नरवाल की मां आशा ने करनाल में संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह बिलकुल सही किया कि (प्रधानमंत्री नरेन्द्र) मोदी ने (पहलगाम) हमले का बदला लिया। मैं उनके (सरकार के) साथ हूं, लोग उनके साथ हैं, और हमारा पूरा परिवार उनके साथ है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपनी सेना से कहना चाहती हूं कि वह मुंहतोड़ जवाब दे ताकि ऐसी घटनाएं (पहलगाम जैसी) दोबारा न हों।’’

आशा ने कहा कि जिन लोगों ने पहलगाम हमले में जान गंवाई, उन्हें आज न्याय मिला है।

लेफ्टिनेंट नरवाल (26) अपनी पत्नी हिमांशी के साथ पहलगाम में हनीमून मनाने गए थे जहां 22 अप्रैल को आतंकवादियों ने उन्हें गोली मार दी। हमले से तीन सप्ताह पहले ही नरवाल की शादी हुई थी।

हमले के बाद हिमांशी की एक भावुक तस्वीर ने लोगों को आतंकवादियों के प्रति गुस्से और आक्रोश से भर दिया था, जिसमें वह अपने पति के मृत शरीर के बगल में बैठी थीं और उनके चेहरे पर दुख के भाव थे।

भाषा नेत्रपाल शफीक

शफीक

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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