बालासोर, सात मई (भाषा) जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में अपने पति को खो चुकीं ओडिशा की प्रिया दर्शनी आचार्य ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी ठिकानों पर भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा की गई कार्रवाई का स्वागत करते हुए कहा कि अब आतंकवादियों को समझ आएगा कि इंसान की जान की कीमत क्या होती है।
प्रिया के पति प्रशांत सत्पथी 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में मारे गए 26 लोगों में शामिल थे।
उन्होंने बालासोर जिले के ईशानी गांव में स्थित अपने घर में संवाददाताओं से कहा, “मैं बहुत प्रसन्न हूं और सरकार को धन्यवाद देती हूं कि उसने इतना साहसिक कदम उठाया। जब मैं अपने पति के शव के पास थी, तो सेना के जवानों ने मुझे आश्वस्त किया था कि कार्रवाई होगी और आज वह आश्वासन पूरा हुआ।”
उन्होंने कहा, “मैं इसलिए खुश हूं क्योंकि अब आतंकवादियों को समझ आएगा कि एक इंसान की जान कितनी अनमोल होती है। मेरे पति का बलिदान व्यर्थ नहीं गया।”
भारतीय सशस्त्र बलों ने बुधवार तड़के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के बहावलपुर अड्डे और लश्कर-ए-तैयबा के मुरीदके अड्डे सहित नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए।
ऑपरेशन के नाम की सराहना करते हुए प्रिया ने कहा, “आतंकवादियों ने कई महिलाओं के माथे का सिंदूर मिटा दिया और अब उन्हें सही सजा मिली है।”
उन्होंने कहा, “मेरे पति वापस नहीं आ सकते, लेकिन मैं चाहती हूं कि ऐसा हमला अब दुनिया के किसी भी कोने में कभी न हो।”
पति की मौत के मातम में डूबी प्रिया ने बताया कि उन्हें सरकार की कार्रवाई पर भरोसा था, लेकिन समय को लेकर बेचैनी थी।
उन्होंने कहा, “मैं आश्वस्त थी क्योंकि मैंने सरकार और सैनिकों का आत्मविश्वास देखा था। आज मेरे दिल को तसल्ली हुई है।”
उन्होंने कहा, “आतंकवाद सिर्फ भारत से ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया से खत्म होना चाहिए ताकि इस धरती पर लोग बिना डर के जिंदा रह सकें।”
प्रिया ने कहा, “आतंकवाद के खिलाफ यह लड़ाई अंत तक चलनी चाहिए। मानव जीवन का मूल्य और सम्मान समझा जाना चाहिए। मुझे पता है कि मैं जीवन भर खुश नहीं रह पाऊंगी, लेकिन कोई और महिला मेरी तरह इस स्थिति का सामना न करे।”
सत्पथी के छोटे भाई जयंत ने कहा कि वह बदला लेने का इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘हमें पैसे नहीं, अपने भाई की हत्या का बदला चाहिए। आज हम राहत महसूस कर रहे हैं क्योंकि सरकार ने उम्मीद के मुताबिक काम किया है। पहलगाम हमले को अंजाम देने वाले सभी आतंकवादियों को सजा मिलनी चाहिए।’
सत्पथी केंद्रीय पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के कर्मचारी थे। वे अपनी पत्नी और बेटे के साथ छुट्टियों में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम गए थे।
सत्पथी के नौ वर्षीय बेटे तनुज ने 24 अप्रैल को अपने पिता का अंतिम संस्कार किया था।
भाषा राखी नरेश
नरेश
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