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मंगलवार, 10 जून, 2025
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प्रादेशिक सेना को यमुना नदी की सफाई के काम से हटाया गया

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(गौरव सैनी)

नयी दिल्ली, आठ जुलाई (भाषा) अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि दिल्ली में यमुना के बाढ़ क्षेत्रों की सुरक्षा और सफाई की जिम्मेदारी जिस टेरीटोरियल आर्मी कंपनी को सौंपी गई थी उसे अब हटा दिया गया है।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने नदी की सफाई के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए इस साल की शुरुआत में टीए कंपनी उपलब्ध कराई थी।

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) को हाल ही में सौंपी गई एक रिपोर्ट में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने कहा, ‘‘टीए को 30 जून को हटा लिया गया।’’

एनएमसीजी के एक वरीष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘कंपनी कानपुर, वाराणसी और प्रयागराज में एनएमसीजी के लिए कार्यरत प्रादेशिक सेना के इकोलॉजिकल टास्क फोर्स (ईटीएफ) का हिस्सा थी। इसे दिल्ली में यमुना सफाई के काम में अस्थायी तौर पर तैनात किया गया था।’’

अधिकारी ने कहा, ‘‘इस कंपनी को दिल्ली में लोगों के बीच जागरुकता फैलाने और यमुना में कचरा फेंकने पर रोक लगाने के लिए लाया गया था। यह एक विशेष छोटा अभियान था जो अब संपन्न हो चुका है।’’

डीपीसीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि टीए कंपनी को हटाने के बाद शीघ्र ही वैकल्पिक उपाय करने की जरूरत है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘इसके अलावा, दिल्ली में यमुना और नजफगढ़ नाले के लिए तीन नयी कंपनी आधारित टीए बटालियन बनाने का एक अलग प्रस्ताव एनएमसीजी के समक्ष उठाए जाने की जरूरत है। नई बटालियन गंगा के लिए प्रयागराज में स्थित 137 ईसीओ टीए बटालियन की तर्ज पर हो सकती है, जिसे एनएमसीजी द्वारा केंद्र सरकार की संपत्ति के रूप में वित्त पोषित किया जाएगा।’’

घटनाक्रम से अवगत एनएमसीजी के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि दिल्ली में यमुना के लिए टीए बटालियन गठित करने के अनुरोध को स्वीकार करना मुश्किल होगा और सुझाव दिया कि शहर सरकार इस उद्देश्य के लिए नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों को तैनात करे।

सफाई का कार्य दो चरणों में होना है- पहले चरण के तहत वजीराबाद बैराज से आईटीओ बैराज तक और दूसरे चरण में आईटीओ बैराज से ओखला बैराज तक। एनजीटी को डीपीसीसी ने बताया कि पहले चरण के तहत सफाई का काम पूरा हो चुका है।

दिल्ली में वजीराबाद और ओखला के बीच नदी का 22 किलोमीटर का हिस्सा नदी के 75 फीसदी प्रदूषण भार के लिए जिम्मेदार है, जबकि यह हिस्सा नदी की कुल लंबाई के दो प्रतिशत से भी कम है।

दिल्ली सरकार ने फरवरी 2025 तक यमुना को साफ करके नहाने लायक बनाने का वादा किया है। यदि जैव-रासायनिक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) तीन मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है और घुलनशील ऑक्सीजन (डीओ) पांच मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक है, तो नदी को स्नान के लिए उपयुक्त माना जा सकता है।

दिल्ली में प्रतिदिन लगभग 792 मिलियन गैलन (एमजीडी) सीवेज उत्पन्न होता है। दिल्ली भर में 20 स्थानों पर स्थित 35 एसटीपी 632 एमजीडी सीवेज तक का उपचार कर सकते हैं जो अपनी क्षमता का लगभग 86 प्रतिशत उपयोग कर रहे हैं। यानी लगभग 245 एमजीडी सीवेज सीधे नदी में गिरता है।

डीपीसीसी ने एनजीटी को सूचित किया कि दिसंबर 2023 तक सीवेज उपचार क्षमता बढ़कर 814 एमजीडी और जून 2024 तक 964.5 एमजीडी हो जाएगी।

रूड़की स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी द्वारा किए गए एक अध्ययन में 2019 में सिफारिश की गई थी कि कम पानी के मौसम में हरियाणा के यमुनानगर जिले में स्थित हथिनीकुंड बैराज से नदी में 23 घन मीटर प्रति सेकंड (क्यूमेक्स) पानी (प्रति दिन 437 एमजीडी) छोड़ा जाना चाहिए ताकि निचले हिस्से के पारिस्थितिकी तंत्र को बरकरार रखा जा सके।

वर्तमान में बैराज से केवल 10 क्यूमेक्स (190 एमजीडी) पानी छोड़ा जाता है यानी 13 क्यूमेक्स (247 एमजीडी) का अंतर बना हुआ है। मंत्रालय के अनुसार, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली जैसे तटवर्ती राज्यों के बीच 1994 का जल बंटवारा समझौता 2025 में संशोधित किया जाएगा।

डीपीसीसी के मुताबिक, प्रवाह के 23 क्यूमेक्स रहने पर प्रति लीटर बीओडी 25 मिलीग्राम से घटकर 12 मिलग्राम हो जाएगा और अन्य कदम उठाकर इसे और कम किया जा सकता है।

भाषा संतोष माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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