(कुणाल दत्त)
नयी दिल्ली, आठ अक्टूबर (भाषा) भारत की प्रादेशिक सेना (टेरिटोरियल आर्मी)ने मंदारिन भाषा विशेषज्ञों के एक बैच की भर्ती की है और उन्हें अग्रिम इलाकों में तैनात किया है। इस कदम का मकसद चीन की सेना के साथ सीमा मामले पर बातचीत के दौरान भारतीय पक्ष की भाषाई क्षमता को बढ़ाना है।
सूत्रों ने बताया कि इसके साथ ही प्रादेशिक सेना (टीए) कुछ साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की नियुक्ति के संबंध में बातचीत कर रही है और उसने इसके लिए ‘‘मानदंड तैयार’’ कर लिए हैं।
युद्ध और शांति काल में देश में सेवाएं देने वाली भारत की प्रादेशिक सेना का सोमवार को 75वां स्थापना दिवस है।
रक्षा से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि पांच विशेषज्ञों का समूह सीमा कार्मिक बैठकों के दौरान भारत और चीन के अधिकारियों के बीच दुभाषियों की भूमिका निभाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘ ये विशेषज्ञ भारतीय सेना को यह समझाने में मदद करेंगे कि अगले पक्ष (चीनी सेना) की ओर से वास्तव में क्या कहा जा रहा है। इससे पूरे परिदृश्य को भारत के दृष्टिकोण से समझने में मदद मिलेगी।’’
एक अन्य सूत्र ने कहा कि इन लोगों को बीपीएमएस में भारतीय सेना की मदद के अलावा अन्य नौकरियों में भी पदस्थ किया जा सकता है।
लद्दाख के पेंगोंग लेक इलाके में पांच मई 2020 को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख में तीन वर्ष से जारी गतिरोध के बीच यह कदम उठाया गया है।
भारतीय और चीनी सेना के बीच पूर्वी लद्दाख में तीन वर्ष से कई स्थानों को लेकर गतिरोध बना हुआ है। हालांकि दोनों पक्षों ने कई चरण की राजनयिक और सैन्य स्तर की वार्ता के बाद कई इलाकों से अपने सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया पूरी की है।
एक सूत्र ने बताया, ‘‘टीए की स्थापना नौ अक्टूबर 1949 को की गई थी और अब इसका 75वां स्थापना दिवस है। इन दशकों में इसने देश में युद्ध और शांति काल में सेवाएं दी हैं। इसके अलावा, मानवतावादी और पर्यावरण संरक्षण के कार्यों में भी इसने योगदान दिया है।’’
सूत्रों के मुताबिक, बदलते समय के साथ तालमेल बैठाते हुए टीए इकाइयां (वर्तमान में लगभग 60 इकाइयां) भी आधुनिक हो रही हैं और मौजूदा माहौल के अनुरूप स्वयं को ढालने के लिए कई कदम उठा रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इस वर्ष चीनी भाषा (मंदारिन) के पांच विशेषज्ञों की भर्ती ऐसा ही एक कदम है।’’
सूत्र ने कहा, ‘‘इन विशेषज्ञों को नियुक्त करने की पहले चरण की प्रक्रिया जनवरी में शुरू हुई थी, जो कुछ महीने पहले ही पूरी हुई। यह प्रक्रिया कठिन थी और इसमें मंदारिन भाषा में विशेषज्ञता रखने वाले विभिन्न उम्मीदवारों की लिखित और मौखिक परीक्षाएं ली गई थीं।’’
नियुक्त किए गए इन विशेषज्ञों की औसत आयु 30 वर्ष है।
भाषा शोभना नरेश
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