हैदराबाद, एक अगस्त (भाषा) तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने उच्चतम न्यायालय द्वारा राज्यों को वंचित जातियों के उत्थान के लिए अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए निर्धारित आरक्षण में उप-वर्गीकरण करने का अधिक अधिकार दिये जाने के फैसले का बृहस्पतिवार को स्वागत किया।
रेड्डी ने विधानसभा को बताया कि तेलंगाना सरकार ने ही उप-वर्गीकरण के लिए उच्चतम न्यायालय में जोरदार तरीके से दलील रखी थी।
मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं भारत के उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। सात में से छह न्यायाधीशों ने कहा कि राज्य सरकारें उपवर्गीकरण पर विचार कर सकती हैं। राज्य सरकार की ओर से मैं यह बयान दे रहा हूं कि तेलंगाना उपवर्गीकरण लागू करने वाला पहला राज्य होगा।”
उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो उनकी सरकार मौजूदा नौकरी अधिसूचनाओं में भी उपवर्गीकरण लागू करने के लिए अध्यादेश लाएगी।
भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामा राव ने एक बयान में कहा कि उनकी पार्टी उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करती है।
उन्होंने कहा कि बीआरएस पार्टी ने शुरू से ही उपवर्गीकरण के लिए ईमानदारी से काम किया जबकि अन्य राजनीतिक दल इस मुद्दे पर वोट बैंक की राजनीति में लिप्त रहे।
राम राव ने कहा, “हम राज्य सरकार से तुरंत उपवर्गीकरण लागू करने की मांग करते हैं। पार्टी सरकार को समर्थन देगी।”
उन्होंने कहा कि पिछली के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली सरकार ने सत्ता में आने के बाद एक प्रस्ताव पारित कर इसे व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंपा था।
भारत के प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत से व्यवस्था दी कि राज्यों को अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) में उपवर्गीकरण करने की अनुमति दी जा सकती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन समूहों के भीतर और अधिक पिछड़ी जातियों को आरक्षण दिया जाए।
भाषा जितेंद्र प्रशांत
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