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Friday, 29 March, 2024
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जगन्नाथ मिश्रा को मंच पर देख तिलमिलाए तेजस्वी ने पूछा, क्या सब दलित-पिछड़े चोर हैं?

चारा घोटाले में लालू यादव और जगन्नाथ मिश्रा दोनों को सज़ा हुई है. दोनों को ही सीबीआई की विशेष अदालत ने पांच साल के लिए दोषी करार दिया है.

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नई दिल्ली: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र की पुस्तक ‘ बिहार बढ़कर रहेगा’  के विमोचन में भाजपा नेता सुशील मोदी का दिखना बिहार की राजनीति में विवाद को जन्म दे रहा है. राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष और लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव ने मंगलवार को अपने ट्विटर हैंडल पर एक फोटो जारी की है. फोटो ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा है, ‘पूर्व सीएम पंडित जगन्नाथ मिश्रा जी, कथित चारा घोटाले में कथित सज़ायाफ्ता है. मेदांता में ईलाज के लिए ज़मानत पर है. घोटाले के याचिकाकर्ता सुशील मोदी सज़ायाफ्ता मिश्रा जी की पुस्तक ‘बिहार बढ़कर रहेगा’ का विमोचन कर रहे हैं. बेटा भाजपा का उपाध्यक्ष है. बाक़ी सब दलित-पिछड़े चोर हैं. है ना?’

इस ट्वीट के कई मायने निकल रहे हैं. तेजस्वी ट्वीट में लिखा है दलित-पिछड़े चोर हैं? हैना…राजनीतिक हलकों में इस लाइन के कई मायने निकाले जा रहे हैं. वहीं तेजस्वी ने भी जातिवाद पर तंज़ कस कर बड़ी राजनीतिक बहस शुरू कर दी है. उनका सीधे-सीधे इशारा है कि उच्च जाति का होना जगन्नाथ मिश्र को स्टेज पर सम्मानजनक स्थान देता है वहीं पिछड़ी जाति के लालू यादव को बेल के लिए भी जूते घिसने पड़ रहे हैं.

आपको बता दें कि चारा घोटाले में लालू यादव और जगन्नाथ मिश्रा दोनों को सज़ा हुई है. दोनों को ही सीबीआई की विशेष अदालत ने पांच साल के लिए दोषी करार दिया है. लालू यादव पिछले एक साल से रांची की बिरसा मुंडा जेल में सज़ा काट रहे हैं. दिल की बीमारी, मधुमेह की वजह से लालू वहां के राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में ईलाज करा रहे हैं वहीं जगन्नाथ मिश्रा ज़मानत पर हैं. दोनों ही बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री है. दोनों चाईबासा कोषागार से फर्जी ढंग से धन निकालने के मामले में विशेष अदालत ने दोषी ठहराया है. दोनों बीमार भी है. पर फर्क ये है कि जगन्नाथ मिश्रा 81 साल के हो रहे हैं और वह कैंसर से पीड़ित हैं. इलाज के लिए लगातार जमानत पर चल रहे हैं. वही लालू जेल की सलाखों के पीछे हैं.

जगन्नाथ मिश्रा के वकील का कहना था कि मिश्रा का हरियाणा के गुड़गांव स्थित मेदान्ता अस्पताल में कैंसर का इलाज चल रहा है और यह इलाज रांची में राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में संभव नहीं है. इस मामले में रिम्स के चिकित्सकों के दल ने अपनी रिपोर्ट में मिश्रा की बीमारी की पुष्टि की और बताया कि इसका इलाज यहां संभव नहीं है.
मिश्रा को चारा घोटाले के दो मामलों में सज़ा सुनाई जा चुकी है. इससे पहले 2013 में भी उन्हें सज़ा सुनाई गई थी लेकिन पिछले साल 23 दिसंबर को चारा घोटाले के एक अन्य मामले में उन्हें बरी भी कर दिया गया था.

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कौन हैं जगन्नाथ मिश्रा

राजनीति में अपना करियर शुरू करने से पहले जगन्नाथ मिश्रा बिहार विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर भी रहे. उन्होंने कई किताबें भी लिखीं. जगन्नाथ मिश्रा तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. वह पहली बार 1975 में बिहार की मुख्यमंत्री बने उसके बाद बिहार की जनता ने उन्हें 1980 में भी बिहार की कमान सौंपी. आखिरी बार 1989-90 में कुछ ही महीने मुख्यमंत्री के तौर पर बिहार की कमान संभाल सके. उनकी लोकप्रियता और विजन को देखते हुए केंद्र की कांग्रेस सरकार ने उन्हें अपनी कैबिनेट में स्थान दिया और वह कैबिनेट मंत्री भी रहे. जगन्नाथ मिश्रा की रुचि राजनीति में बचपन से ही थी. परिवार में बड़े भाई ललित नारायण मिश्रा देश और बिहार की राजनीति में बड़ा नाम थे.

एक वक्त आया जब उन्हें कांग्रेस पार्टी छोड़नी पड़ी. पार्टी छोड़ने के बाद वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए और अब जनता दल के नेता हैं. रांची की विशेष अदालत ने उन्हें 30 सितंबर 2013 को उन्हें चारा घोटाले में 44 अन्य लोगों के साथ सज़ा सुनाई थी. उस वक्त उन्हें चार साल की कारावास और 200,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था उनपर दुमका और डोरंडा निधि से धोखाधड़ी से रुपये निकाले.

तेजस्वी यादव ने जिस तरह ‘बेल’ पर जातिवाद होने का तंज़ किया है वो विश्लेषक मानते हैं कि चाहे उनके लिए राजनीतिक फायदे का सौदा हो पर वो संवैधानिक संस्थाओं की तठस्थता पर सवाल उठाता है, यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है.

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