नई दिल्ली: गुजरात में अहमदाबाद की एक मेट्रोपॉलिटन कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और गुजरात के पूर्व डीजीपी आर.बी श्रीकुमार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
साबरमती सेंट्रल जेल के लिए रवाना होने से पहले सीतलवाड़ ने अपने वकील सोमनाथ वत्स के जरिए जेल में अपनी सुरक्षा का मुद्दा उठाया.
26 जून को गुजरात पुलिस की क्राइम ब्रांच ने तीस्ता को गिरफ्तार किया था उनपर आरोप था कि उनके एनजीओ ने पुलिस को 2002 के गुजरात दंगों के बारे में आधारहीन जानकारी दी थी.
लोक अभियोजक अमित पटेल ने कहा, ‘पुलिस ने आरोपी तीस्ता सीतलवाड़ और आरबी श्रीकुमार की और रिमांड की मांग नहीं की लेकिन अदालत से उन्हें न्यायिक हिरासत में रखने का अनुरोध किया था. मेट्रोपॉलिटन कोर्ट ने उन्हें 14 दिनों की हिरासत में भेज दिया है.’
तीस्ता की गिरफ्तारी केंद्रीय मंत्री अमित शाह के एक साक्षात्कार के बाद हुई थी जिसमें उन्होंने कहा था कि तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ ने 2002 के गुजरात दंगों के बारे में पुलिस को आधारहीन जानकारी दी थी.
गुजरात आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) की टीम ने सीतलवाड़ को उसके एनजीओ पर एक मामले के सिलसिले में मुंबई से हिरासत में लिया था और बाद में रात में उसे अहमदाबाद ले जाया गया.
24 जून को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को दंगों से जुड़े मामलों में एसआईटी की क्लीन चिट को चुनौती देने वाली याचिका में जकिया जाफरी की अपील को ‘योग्यता रहित’ बताते हुए खारिज कर दिया था. जकिया जाफरी कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी हैं जो दंगों में मारे गए थे.
इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त के कार्यालय (OHCHR) का तीस्ता और दो अन्य की गिरफ्तारी को मानवाधिकारों के उल्लंघन बताने को विदेश मंत्रालय ने ‘पूरी तरह से अनुचित’ बताया था. विदेश मंत्रालय ने कहा था कि OHCHR की टिप्पणी पूरी तरह से अनुचित है और भारत की स्वतंत्र न्यायिक प्रणाली में हस्तक्षेप करती है.
OHCHR ने सीतलवाड़ की गिरफ्तारी और उनकी हिरासत पर चिंता व्यक्त की थी और उन्हें तत्काल रिहा करने का आह्वान किया था.
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