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Wednesday, 16 July, 2025
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राफेल-एम, स्कॉर्पीन परियोजनाओं पर तकनीकी-वाणिज्यिक बातचीत को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया: सूत्र

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नयी दिल्ली, 18 जुलाई (भाषा) भारत द्वारा फ्रांस से 26 राफेल-एम लड़ाकू विमान और तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की प्रस्तावित खरीद से संबंधित लागत और तकनीकी-वाणिज्यिक विवरण पर बातचीत अभी पूरी नहीं हुई है। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने 13 जुलाई को फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमानों के 26 नौसैनिक प्रारूपों और फ्रांस द्वारा डिजाइन की गयी तीन स्कॉर्पीन श्रेणी पनडुब्बियों की खरीद के प्रस्तावों को मंजूरी दी जिस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो दिवसीय पेरिस यात्रा शुरू की।

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान दोनों सौदों पर औपचारिक घोषणा होने का अनुमान था। हालांकि, दोनों पक्षों द्वारा जारी अंतिम संयुक्त दस्तावेज में दोनों परियोजनाओं का कोई विशिष्ट उल्लेख नहीं था।

सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों की वार्ता के बाद दोनों पक्षों द्वारा लाए गए 25 साल के रोडमैप में दोनों परियोजनाओं का उल्लेख नहीं होने के विशेष निहितार्थ नहीं निकाले जाने चाहिए।

एक सूत्र ने कहा कि लागत और तकनीकी-वाणिज्यिक पहलुओं पर बातचीत पूरी होने के बाद अंतिम सौदे पर मुहर लगाई जाएगी।

भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के पोत निर्माता उपक्रम- मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) और फ्रांसीसी रक्षा विनिर्माता नेवल ग्रुप ने स्कॉर्पीन पनडुब्बी परियोजना के लिए छह जुलाई को रूपरेखा समझौते को अंतिम रूप दिया था, लेकिन मूल्य और अन्य तकनीकी पहलुओं पर अभी बातचीत नहीं हुई है।

राफेल के नौसैनिक संस्करण राफेल-एम की खरीद के संबंध में सूत्रों ने कहा कि तकनीकी-वाणिज्यिक बातचीत पूरी होने पर सौदे पर अंतिम मुहर लगा दी जाएगी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों की बातचीत में एक प्रमुख निष्कर्ष समग्र भारत-फ्रांस रक्षा सहयोग का विस्तार, विशेष रूप से अहम सैन्य प्लेटफॉर्म का सह-विकास तथा सह-उत्पाद से संबंधित था।

फ्रांसीसी रक्षा उपकरण विनिर्माता कंपनी साफरान द्वारा भारत में एक लड़ाकू विमान के इंजन के सह-विकास के लिए दोनों पक्षों के निर्णय के संबंध में सूत्रों ने कहा कि यह भारतीय सशस्त्र बलों की आवश्यकता पर आधारित होगा।

उन्होंने कहा कि जीई एयरोस्पेस के मौजूदा एफ-414 इंजन का सह-उत्पादन भारत में होगा, वहीं साफरान के साथ इसका सह-विकास भारत की जरूरत पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह नया इंजन होगा।

जीई एयरोस्पेस के भारतीय वायुसेना के लिए लड़ाकू विमान के इंजन के उत्पादन के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ सौदे की घोषणा पिछले महीने मोदी की वाशिंगटन यात्रा के दौरान की गयी थी।

भाषा

वैभव माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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