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Sunday, 22 December, 2024
होमदेश‘टीम राजस्थान’ बना BJP का नया मूलमंत्र, 2023 के चुनाव में किसी को CM का चेहरा न बनाने का संकेत

‘टीम राजस्थान’ बना BJP का नया मूलमंत्र, 2023 के चुनाव में किसी को CM का चेहरा न बनाने का संकेत

दो बार मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा राजे और दिल्ली आलाकमान में बढ़ती दूरियों के बीच ‘टीम राजस्थान’ पर जोर दिया जाना इस बात का संकेत है कि पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव के लिए उन्हें अपना चेहरा घोषित करने की अनिच्छुक है.

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नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव की तरफ से बार-बार 2023 में ‘टीम राजस्थान’ के सरकार बनाने पर जोर दिए जाने से राज्य के राजनीतिक गलियारों में खासी हलचल मच गई है. भाजपा नेताओं का मानना है कि यह इस बात का संकेत है कि पार्टी दो बार मुख्यमंत्री रह चुकीं वसुंधरा राजे को आगामी विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने को तैयार नहीं है.

राजे का भाजपा आलाकमान के साथ काफी समय से टकराव जारी है और वह पार्टी की बैठकों में भी हिस्सा नहीं लेती हैं.

हालांकि, वह व्यापक जनाधार के साथ राज्य की सबसे कद्दावर भाजपा नेता हैं, लेकिन दिल्ली में पार्टी आलाकमान नई पीढ़ी के नेताओं को आगे बढ़ाना चाहता है.

पिछले सप्ताहांत राजस्थान में अपनी जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान सभाओं को संबोधित करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता और पार्टी रणनीतिकार यादव इस पर जोर देते रहे कि अगला चुनाव प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. हालांकि, पत्रकारों की तरफ से मुख्यमंत्री को लेकर पूछे गए सवालों को उन्होंने टाल दिया.

यादव ने 20 अगस्त को आयोजित एक रैली में कहा कि हाल में सम्पन्न पंचायत चुनावों में ‘टीम राजस्थान’ के नेतृत्व में राज्य भाजपा ने कड़ी मेहनत की और अच्छा प्रदर्शन किया.

अजमेर के किशनगढ़ में आयोजित रैली में यादव ने कहा, ‘पंचायत चुनाव हाल ही में हुए थे. हमारे प्रदेश अध्यक्ष यहां बैठे हैं, उनके नेतृत्व में ‘टीम राजस्थान’ ने कड़ी मेहनत की और सफलता हासिल की.’

उन्होंने कहा, ‘सतीश पूनिया जी ने 2023 में भाजपा की सरकार बनने की बात कही है, और मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कह सकता हूं, और मुझे पता है कि मीडिया भी इस पर ध्यान दे रहा है, कि 2023 में टीम राजस्थान के तहत हम तीन-चौथाई बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में हमारी राज्य भाजपा की टीम को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम अगला चुनाव जीतें और पीएम मोदी के सपनों को मजबूती से आगे बढ़ाएं.’

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक यादव ने अलग-अलग रैलियों में बार-बार प्रदेश भाजपा का जिक्र किया.

19 अगस्त को अलवर जिले में एक रैली को संबोधित करते हुए भूपेंद्र यादव ने कहा था कि राजस्थान में बदलाव की लहर चलने लगी है और अशोक गहलोत सरकार ‘परिवर्तन की सुनामी’ में बह जाएगी.

उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के नेतृत्व में टीम राजस्थान का उत्साह यह बता रहा है कि राजस्थान में बदलाव की लहर चलने लगी है.

लेकिन भाजपा इन टिप्पणियों के कुछ खास मायने होने से इनकार कर रही है.


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21 अगस्त को अजमेर में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री पद के चेहरे के बारे में पूछे जाने पर यादव ने कहा कि इस तरह के फैसले पार्टी के संसदीय बोर्ड की तरफ से लिए जाएंगे.

राजस्थान भाजपा के मुख्य प्रवक्ता राम लाल शर्मा ने कहा, ‘भूपेंद्र जी ने सतीश पूनिया जी के नेतृत्व में हुए कोविड-19 संबंधित कार्यों की प्रशंसा की है. वहीं प्रदेश इकाई ने विपक्ष की भूमिका बखूबी निभाई है. हमने जनता से जुड़े मुद्दे उठाए. और उनके बयान उसी संदर्भ में थे.’

बढ़ती दरार के बीच आई टिप्पणियां

बहरहाल, केंद्रीय मंत्री के बयानों को काफी अहम माना जा रहा है और इस पर एक नई बहस छिड़ गई है क्योंकि ये ऐसे समय में आए हैं जब राजे और दिल्ली में पार्टी आलाकमान के बीच टकराव के कारण राजस्थान भाजपा गुटबाजी से जूझ रही है.

भाजपा के एक दूसरे नेता ने कहा, ‘राजे उस राजनीति को भी समझ रही हैं जो खेली जा रही है और उन्होंने जन आशीर्वाद यात्रा के पोस्टरों में नजर आकर अपनी उपस्थिति सुनिश्चित की है.’

उन्होंने कहा, ‘अर्जुन मेघवाल, कैलाश चौधरी और गजेंद्र शेखावत आदि मंत्री और अन्य वरिष्ठ नेता जहां रैलियों में शामिल हुए, राजे ने इसमें हिस्सा नहीं किया. उनके समर्थक चाहते हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाए.’

राजस्थान भाजपा में कई लोगों का दावा है कि राजे एक ‘समानांतर व्यवस्था’ चलाने की कोशिश कर रही हैं, जिसमें पूरा फोकस केवल उन पर हो, न कि पार्टी पर.

जनवरी में राजे के समर्थकों ने ‘वसुंधरा राजे समर्थक मंच राजस्थान’ का गठन किया था, और मांग की थी कि उन्हें 2023 के चुनावों के लिए पार्टी का मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया जाए.

अगर राजस्थान भाजपा मुख्यमंत्री के चेहरे के बिना चुनाव लड़ने का फैसला करती है, तो ऐसा करने वाली वह दूसरी राज्य इकाई होगी.

इसी साल जुलाई में भाजपा ने घोषणा की थी कि छत्तीसगढ़ में 2023 का विधानसभा चुनाव वह मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए बिना ही लड़ेगी. पार्टी में कई लोगों ने इसे पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के लिए एक बड़े झटके के तौर पर देखा था.

दिप्रिंट ने पूर्व में जानकारी दी थी कि इस बारे में घोषणा भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव और छत्तीसगढ़ प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी ने की थी.

पुरंदेश्वरी ने रायपुर में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा था, ‘हम अगले विधानसभा चुनावों में केवल विकास के मुद्दों के साथ लोगों के सामने जाएंगे. विकास हमारा चेहरा बनने जा रहा और विकास एक अहम मुद्दा बनने जा रहा है. मुख्यमंत्री के बारे में फैसला उसके बाद पार्टी की तरफ से किया जाएगा.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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