scorecardresearch
Thursday, 25 April, 2024
होमदेशजल्द आ रहा है टैक्सेबल ग्रीन बॉन्ड; क्लाइमेट चेंज को रोकने के लिए पैसे जुटाने की मोदी सरकार की योजना

जल्द आ रहा है टैक्सेबल ग्रीन बॉन्ड; क्लाइमेट चेंज को रोकने के लिए पैसे जुटाने की मोदी सरकार की योजना

क्लाइमेट फाइनेंसिंग पर केंद्रित निवेशकों के एक अलग वर्ग के साथ आने वाले आगामी फ्रेमवर्क से भारत को हरित ऊर्जा और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को वित्तपोषित करने और कॉप 26 में की गई प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में मदद मिलने की उम्मीद है.

Text Size:

नई दिल्ली: दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार नरेंद्र मोदी सरकार एक ऐसे फ्रेमवर्क (ढांचे) को अंतिम रूप देने के करीब है जो भारत द्वारा अपनी हरित ऊर्जा और बुनियादी ढांचा सम्बन्धी परियोजनाओं को वित्तपोषित करना संभव बनाएगा और इसके तहत क्लाइमेट फाइनेंसिंग (जलवायु वित्तपोषण) पर केंद्रित निवेशकों का एक अलग वर्ग होगा.

ये ऋण ‘ग्रीन बॉन्ड’ नाम के एक कार्व-आउट के माध्यम से लिए जायेंगें, जो भारतीय रुपये में मूल्यवर्ग वाले कागजात होंगे और हरित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की आवश्यकताओं के अनुरूप इनकी भुगतान अवधि काफी लंबी होगी.

हालांकि, पहले से ही ग्रीन बॉन्ड जारी कर रहे कई अन्य देशों के विपरीत, भारत ग्रीन बॉन्ड से होने वाली कमाई पर किसी तरह की कर छूट देने का इरादा नहीं रखता है.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम हरित परियोजनाओं को परिभाषित करने और उन परियोजनाओं की एक सूची बनाने के काफी करीब हैं, जिनके लिए कॉप-26 में किए गए हमारे वादों को पूरा करने में मदद हेतु वित्तपोषण (फाइनेंसिंग) की आवश्यकता होगी.’

अधिकारी ने कहा कि सरकार की वार्षिक ऋण योजना के एक से दो चरण – लगभग 36,000 करोड़ रुपये की राशि –बांड बाजारों से जुटाई जाने वाली ग्रीन फाइनेंसिंग (हरित वित्तपोषण) के लिए समर्पित होगी. ग्रीन फाइनेंसिंग के जरिये पैसे जुटाने की शुरुआत चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में होने की संभावना है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

पिछले साल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लासगो में आयोजित कॉप 26 शिखर सम्मेलन में क्लाइमेट एक्शन (जलवायु संरक्षण संबधी कार्रवाई) में भारत के योगदान को निर्धारित करने वाली पांच प्रतिबद्धताओं को सूचीबद्ध किया था. मोदी ने कहा था कि साल 2030 तक भारत की गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता  500 गीगावॉट तक पहुंच जाएगी और हमारा देश उस वर्ष तक अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 50 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा से पूरा करेगा.

उन्होंने यह भी कहा था कि साल 2030 तक भारत अपने कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कटौती करेगा और 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन (नेट जीरो कार्बन एमिशन) का लक्ष्य हासिल करेगा.

हरित परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए तैयार किया गया यह फ्रेमवर्क स्व-नियामक व्यापार निकाय, इंटरनेशनल कैपिटल मार्किट एसोसिएशन द्वारा ग्रीन बांड के लिए निर्धारित दिशा-निर्देशों को अपनाता है. अधिकारी ने कहा कि सरकार जल्द ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के परामर्श से यह फ्रेमवर्क जारी करेगी.

ग्रीन बॉन्ड के माध्यम से बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए पैसे जुटाने का विचार पहली बार वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 2022-23 के बजट में पेश किया गया था, जिन्होंने पहली बार अपने समग्र बाजार ऋण के एक हिस्से के रूप में ग्रीन बांड जारी करने के सरकार के इरादे की घोषणा की थी.

इस साल मार्च में की गयी एक सरकारी घोषणा के अनुसार, उसके द्वारा चालू वित्त वर्ष में बाजार से 14.31 लाख करोड़ रुपये उधार लेने की योजना है. इसमें से 8.45 लाख करोड़ रुपये अप्रैल-सितंबर की अवधि में और शेष राशि मार्च 2023 में समाप्त होने वाले वर्ष की दूसरी छमाही में उधार ली जाएगी.


यह भी पढ़ेंः ‘सुरक्षा’ का हवाला देते हुए सरकार ने जांच एजेंसियों से चीनी फर्मों के खिलाफ कार्रवाई पर कोऑर्डिनेट करने को कहा


ग्रीन बॉन्ड पर नहीं मिलेगी करों की छूट

ग्रीन बॉन्ड निश्चित आय वाले निवेश हैं जो किसी भी अन्य नियमित बॉन्ड की ही तरह होते हैं, लेकिन निवेशकों से जुटाई गई धनराशि का उपयोग विशेष रूप से उन परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए किया जाता है, जिनका जलवायु और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जैसे कि अक्षय ऊर्जा और हरित इमारतें (ग्रीन बिल्डिंग्स).

आमतौर पर, ग्रीन बॉन्ड जारी करने वाले देश यह सुनिश्चित करते हैं कि इन बॉन्ड में निवेश से होने वाली आय कर-मुक्त हो. यह उन्हें उधार लेने की कम लागत का लाभ प्रदान करता है. हालांकि, ऊपर उद्धृत अधिकारी के अनुसार, भारत इस तरह के किसी भी लाभ की पेशकश नहीं करेगा.

इन अधिकारी का कहना था कि भारत को यह लगता है कि वैश्विक दृष्टिकोण से हरित ऊर्जा की तरफ स्थानांतरित होने को जिस हद तक संभव हो उस हद तक प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, और इसी वजह से विदेशी निवेशकों को किसी भी कर छूट की परवाह किये बिना भारत के ग्रीन बॉन्ड में निवेश करना चाहिए.

अधिकारी ने कहा कि इस बीच, सरकार इन बांडों के संभावित निवेशकों से बात कर रही है ताकि इस तरह की पेशकश के प्रति उनकी रूचि और मांग का आकलन किया जा सके.

क्लाइमेट एक्शन के लिए वैश्विक स्तर पर पूंजी जुटाने के लिए काम कर रहे एक अंतरराष्ट्रीय संगठन, क्लाइमेट बॉन्ड्स इनिशिएटिव के अनुसार, साल 2022 में दुनिया भर में ग्रीन बांड जारी करने के माध्यम से क्लाइमेट फाइनेंसिंग 271.6 बिलियन डॉलर तक पहुंच गयी है.

इस तरह के बांड जारी करने वाली कुछ प्रमुख संस्थाओं में यूरोपीय संघ, बैंक ऑफ चाइना, जर्मन और फ्रांसीसी सरकारें, डच स्टेट ट्रेजरी एजेंसी और चाइना डेवलपमेंट बैंक शामिल हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ेंः ‘केंद्र से पैसा लेने पर राज्य नहीं लगा सकेंगे CM का लोगो’- ब्याज-मुक्त ऋण पर मोदी सरकार ने लगाई शर्त


 

share & View comments