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Friday, 29 March, 2024
होमदेश'सुरक्षा' का हवाला देते हुए सरकार ने जांच एजेंसियों से चीनी फर्मों के खिलाफ कार्रवाई पर कोऑर्डिनेट करने को कहा

‘सुरक्षा’ का हवाला देते हुए सरकार ने जांच एजेंसियों से चीनी फर्मों के खिलाफ कार्रवाई पर कोऑर्डिनेट करने को कहा

कुछ कंपनियां भारत में पंजीकृत तो हैं, लेकिन वे अपने निर्देश 'चीन से ले रही हैं' और कहा जा रहा कि उनका डेटा क्लाउड सर्वर में संरक्षित किया गया है, जहां से भारतीय संस्थाओं के एकाउंट्स की सारी जानकारी चीनी फर्मों के साथ साझा की जाती है.

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नई दिल्ली: ऐसा लगता है कि संदिग्ध वित्तीय अपराध ही एकमात्र कारण नहीं हैं, जिनकी वजह से भारतीय कानून-प्रवर्तन एजेंसियां हमारे देश में कार्यरत चीनी कंपनियों पर नकेल कस रही हैं.

दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार भारत में उनके संचालन के साथ इसी तरह की चिंताजनक सुरक्षा सम्बन्धी चिंताएं भी जुड़ी हैं, और इसी वजह से कर विभाग (टैक्स डिपार्टमेंट) सहित सभी कानून-प्रवर्तन एजेंसियों को इन कंपनियों के खिलाफ चल रहे मामलों के बारे में पूरी तरह से अवगत रहने के लिए एक-दूसरे के साथ जानकारियां साझा करने के लिए कहा गया है.

उदाहरण के लिए, गृह, वित्त और विदेश मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिए एक साथ काम करने जा रहे हैं कि यदि किसी चीनी कंपनी द्वारा कर चोरी का कोई ऐसा मामला बनता है जहां विदेशी चैनल भी शामिल हैं, तो इससे संबंधित लेनदेन की जानकारी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के साथ भी साझा की जा सके.

यह घटनाक्रम विभिन्न एजेंसियों द्वारा भारत में व्यापार करने वाली कुछ सबसे बड़ी चीनी दूरसंचार कंपनियों, जिनमें ओप्पो, वीवो, हुआवेई और श्याओमी जैसी कम्पनियां शामिल हैं, के खिलाफ की गई कार्रवाई के बाद हुआ है. इन कंपनियों की कर चोरी, गलत तरीके से शुल्कों में छूट का लाभ उठाने और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे कई कथित अपराधों के लिए जांच की जा रही है.

हालांकि ये फर्में कानून के अनुपालन के साथ काम करने का दावा करती हैं, मगर चीन ने इस तरह की कार्रवाई के बारे में एक नाराजगी वाला रवैया अपना रखा है. कुछ वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने दिप्रिंट से कहा कि कुछ कंपनियां भारत में पंजीकृत तो हैं, लेकिन चीन से निर्देश लेती हैं और उनका डेटा क्लाउड सर्वर में संरक्षित किया जाता है, जहां से भारतीय संस्थाओं के खातों की जानकारी सीधे उनकी चीनी मूल वाली प्रमुख फर्मों के साथ साझा की जाती है.

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एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘ओप्पो और वीवो कुछ ऐसी कंपनियां हैं जिन्हें आप प्रत्यक्ष रूप से देखते हैं, लेकिन कई ऐसी चीनी कंपनियां हैं, उदाहरण के लिए वित्तीय प्रौद्योगिकी वाले क्षेत्र में, जिनका यहां कोई व्यवसाय नहीं है, लेकिन वे यहां पंजीकृत हैं और इन कंपनियों का उपयोग चीन में स्थित अपनी मूल कंपनियों को पैसे वापस भेजने के लिए करती हैं. यह मुख्य रूप से एक सुरक्षा से सम्बंधित मुद्दा है.’

उन्होंने कहा, ‘वे पारदर्शिता नहीं बरतती हैं, उनके हिसाब-किताब का लेखा-जोखा (बुक्स ऑफ़ अकाउंट) क्लाउड सर्वर में है, उस क्लाउड का पासवर्ड बीजिंग में है. हम सरकारी विभागों के बीच उचित समन्वय चाहते हैं.‘

अपना नाम न छापे जाने की शर्त पर वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘यहां तक कि कर विभाग में भी, हमने सबको सूचित कर दिया है कि यदि कोई जानकारी है, तो कृपया इसे अन्य एजेंसियों के साथ साझा करें.’

सरकारी अधिकारियों के अनुसार, हालांकि ये कंपनियां भारत में अपनी मूल फर्मों से अलग संस्थाओं के रूप में पंजीकृत हैं, लेकिन वे सीधे चीन से निर्देश ले रही हैं और पड़ोसी देश में बड़ी रकम वापस भेज रही हैं ताकि उन्हें भारत में कर का भुगतान न करना पड़े.

सरकार 2020 की शुरुआत से ही ऐसी संस्थाओं पर नकेल कस रही है – पहले चीनी मोबाइल एप्लिकेशन पर प्रतिबंध लगाकर और फिर भारतीय कानूनों का उल्लंघन करते हुए कथित रूप से आयकर की चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग करने वाली चीनी फर्मों की पहचान करके.

सितंबर 2020 में, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69A के तहत अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए 118 मोबाइल ऐप को ‘खतरों की उभरती प्रकृति के मद्देनजर’ ब्लॉक कर दिया था. उसने ऐसा यह कहते हुए किया था कि ये एप भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के खिलाफ प्रतिकूल गतिविधियों में लगे हुए थे.

जुलाई में, आयकर विभाग ने करों की गणना के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण जानकारी को कथित रूप से छुपाने और भारत में अपनी कर योग्य आय को कम करने के लिए चीन स्थित मूल कंपनी को लाभांश के रूप में एक बड़ी राशि वापस करने के सिलसिले में हुआवेई दूरसंचार (भारत) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ली ज़िओंगवेई सहित इसके कई शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

इससे पहले मई महीने में, नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर तैनात कर अधिकारियों ने ली को बैंकॉक के लिए उड़ान भरने से रोक दिया था.

जहां श्याओमी की अपनी मूल चीनी कंपनी को कथित रूप से ‘अवैध रूप से पैसे भेजे जाने’ के लिए ईडी द्वारा जांच की जा रही है, वहीं इस एजेंसी ने जुलाई महीने में वीवो मोबाइल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से संबंधित 48 स्थानों और इसकी 23 संबद्ध कंपनियों की मनी लॉन्डरिंग के आरोपों के संबंध में तलाशी अभियान चलाया.


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सीमा पार तनाव ने तेज की इस तरह की कठोर कार्रवाई

कहा जाता है कि लद्दाख वाले इलाके में साल 2020 में शुरू हुए सीमा गतिरोध के कारण भारत और चीन के बीच आपसी संबंधों के नए निचले स्तर पर पहुंचने के बाद चीनी फर्मों के खिलाफ कार्रवाई की घटनाएं काफी बढ़ गई है. जून 2020 में गलवान घाटी में हुए खुनी संघर्ष, जिसके कारण दोनों पक्षों के कई सैनिकों की मौत हो गई थी, के बाद यह मामला विशेष रूप से खराब हो गया.

जिन विशेषज्ञों से दिप्रिंट ने बात की उनका यह मानना है कि सीमा पार तनाव ने चीनी स्वामित्व वाली कंपनियों के खिलाफ सरकार की कार्रवाई को और तेज कर दिया है तथा घरेलू अधिकारियों को भारत में निवेश करने वाली चीनी फर्मों पर बहुत कम भरोसा है.

8 अगस्त को ब्लूमबर्ग द्वारा प्रकाशित एक खबर में कहा गया है कि भारत सरकार चीनी स्मार्टफोन निर्माताओं द्वारा भारत में 12,000 रुपये (करीब 150 डॉलर) से कम कीमत के उपकरण (डिवाइस) बेचे जाने को प्रतिबंधित करना चाहती है, ताकि उसके अपने लड़खड़ाते हुए घरेलू स्मार्टफोन उद्योग को फिर से अपने पैरों पर खड़ा किया जा सके. इससे श्याओमी कोर्प सहित कई चीनी ब्रांडों को तगड़ा झटका लगेगा.’

चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा चीन के पक्ष में काफी बढ़ गया है. इस वर्ष अप्रैल-जून की अवधि में चीन से भारत का आयात 24.3 बिलियन डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 18 प्रतिशत की वृद्धि दिखाता है. लेकिन इसी तिमाही के दौरान चीन को इसका निर्यात 31 फीसदी घटकर 4.6 अरब डॉलर रह गया.

भारत द्वारा चीन से आयात किए जाने वाली प्रमुख वस्तुओं में इलेक्ट्रॉनिक्स, रसायन, कंप्यूटर हार्डवेयर और दूरसंचार उपकरण शामिल हैं, जबकि यह उसे पेट्रोलियम उत्पादों, समुद्री उत्पादों, लौह अयस्क, अरंडी का तेल और मसालों जैसी वस्तुओं का निर्यात करता है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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