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Wednesday, 9 October, 2024
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सीएपीएफ कर्मियों की आत्महत्या पर गठित कार्यबल साथी सैनिकों की हत्या के मामलों का भी अध्ययन करेगा

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(नीलाभ श्रीवास्तव)

नयी दिल्ली, सात मार्च (भाषा) केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) में आत्महत्या के मामलों को लेकर कुछ महीने पहले गठित वरिष्ठ अधिकारियों का एक कार्यबल दो दिन पहले सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के सात कर्मियों पर बीएसएफ के ही एक कर्मी द्वारा गोलीबारी की घटना पर भी व्यापक रिपोर्ट तैयार करेगा। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।

समिति न केवल सैनिकों के आत्महत्या जैसे कदम उठाने बल्कि अपने ही साथी सैनिकों को निशाना बनाने के मामलों पर ‘‘केस स्टडी विश्लेषण और सिफारिशें’’ तैयार करेगी।

सूत्रों ने पीटीआई-भाषा को बताया कि इन अर्द्धसैनिक बलों में अपने ही साथी सैनिकों पर हमले की पिछली कुछ घटनाओं को ध्यान में रखा जाएगा। समिति बैठकें कर रही है। ताजा घटना पिछले सप्ताह की थी। मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा, ‘‘काम प्रगति पर है।’’ एक अन्य अधिकारी ने बताया कि मसौदा रिपोर्ट पहले तैयार की जाएगी और सीएपीएफ के बीच उनकी अंतिम टिप्पणियों के लिए उन्हें यह रिपोर्ट दी जाएगी, जिसके बाद इसे गृह मंत्रालय (एमएचए) को सौंपा जाएगा। कार्यबल का नेतृत्व गृह मंत्रालय में विशेष सचिव (आंतरिक सुरक्षा) भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी वीएसके कौमुदी कर रहे हैं, जिसमें बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, एसएसबी और असम राइफल्स के विशेष/अतिरिक्त महानिदेशक रैंक के अधिकारी समिति के सदस्य होते हैं।

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक (डीजी) कुलदीप सिंह ने इससे पहले पिछले साल दिसंबर में समिति का गठन किया था। पंजाब और पश्चिम बंगाल में क्रमश: रविवार और सोमवार को हुई दो अलग-अलग घटनाओं में बीएसएफ के सात जवानों की मौत हुई।

पीटीआई-भाषा ने पहली बार दिसंबर में रिपोर्ट दी थी कि कार्यबल को ‘‘व्यक्तिगत स्तर पर संबंधित जोखिम कारकों और सुरक्षात्मक कारकों की पहचान करने, मौजूदा और भविष्य के सुरक्षात्मक कारकों को देखने तथा रोकथाम रणनीतियों का अध्ययन करने एवं अनुसंधान और विशेषज्ञों से बातचीत करने के लिए एक योजना तैयार करने को कहा गया है।’’

पिछले साल अगस्त तक अद्यतन किए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले छह वर्षों में कुल 680 सीएपीएफ या केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों ने आत्महत्या की। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ये संख्या अब 700 से अधिक है।

सीएपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ‘‘चुनावों के संचालन के लिए और कानून व्यवस्था से जुड़े कई मामलों में सीएपीएफ कंपनियों को ड्यूटी क्षेत्रों से बार-बार निकालने का मुद्दा भी कर्मियों की मानसिक शांति पर भारी पड़ रहा है, क्योंकि जिन कर्मियों को दूर भेज गया उनकी जगह बचे हुए मौजूद कर्मियों को ड्यूटी पर लगाया जाता है।’’

भाषा सुरभि पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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