चेन्नई, 23 फरवरी (भाषा) तमिलनाडु में संपन्न शहरी निकाय चुनाव ने राज्य में सत्तारूढ़ द्रमुक को अपनी स्थिति सुदृढ करने, और मजबूत तथा बड़े राजनीतिक दल के रूप में सामने आने का अवसर दिया है।
वहीं 2019 के लोकसभा और पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों के बाद हाल में हुए इन शहरी स्थानीय निकाय चुनावों ने राज्य में विपक्षी दल अन्नाद्रमुक की स्थिति और नाजुक बना दी है।
इन चुनावों में तय लक्ष्य प्राप्त करने के साथ-साथ एम. के. स्टालिन नीत पार्टी ने ना सिर्फ अपने धुर प्रतिद्वंद्वी (अन्नाद्रमुक) को बेहद निचले पायदान पर धकेल दिया है, बल्कि राज्य में सभी स्थानीय निकाय चुनावों में 60 फीसदी से ज्यादा मतप्रतिशत हासिल किया है।
द्रमुक अध्यक्ष व मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि यह अभूतपूर्व जीत शासन के द्रविड़ मॉडल के लिए ‘ताजपोशी जैसा’ है।
पार्टी को ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन सहित अभी 21 नगर पालिका परिषदों में जीत मिली है। साथ ही उन्हें 138 नगर निगमों और 490 नगर पंचायतों में जीत मिली है।
सत्तरूढ़ दल को नगर पालिका परिषदों में 952 वार्ड, नगर निगमों में 2,360 वार्ड और नगर पंचायतों में 4,389 वार्ड में जीत हासिल हुई है। इनमें अन्नाद्रमुक के नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी (एदाप्पडी, सलेम जिला) और ओ. पनीरसेल्वम (पेरियाकुलम, थेनी जिला) के गृह नगर भी शामिल हैं।
नगर पालिका परिषदों में द्रमुक का मत प्रतिशत 69.29 फीसदी रहा है, वहीं नगर निगमों में यह 61.41 प्रतिशत रहा। वहीं, विपक्षी दल अन्नाद्रमुक को नगर पालिका परिषदों में 11.94 फीसदी जबकि नगर निगमों में 16.60 प्रतिशत वोट मिला है।
इस साल हुए चुनाव में दशक भर सत्ता में रहने के बाद बाहर हुई अन्नाद्रमुक की स्थिति और खराब हुई है, जबकि राज्य में भाजपा के प्रभाव में विस्तार हुआ है। राज्य में शहरी निकाय चुनाव के लिए मतदान 19 फरवरी को हुए और 22 फरवरी को परिणाम की घोषणा हुई। इसमें द्रमुक को मिली जीत का पूरा-पूरा श्रेय मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन के नौ महीने के सुशासन को दिया जा रहा है।
स्टालिन ने बुधवार को जारी बयान में कहा, ‘‘हममें विश्वास जताने के बाद लोगों ने सरकार को जनादेश दिया है। हमें उस विश्वास की रक्षा करनी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लोगों ने विपक्षी दलों और उनकी दलीलों को पूरी तरह नकार दिया है। उन्होंने चुनाव प्रचार किया कि हमने विधानसभा चुनाव जीतने के लिए लुभावने वादे किए थे, लेकिन उन्हें पूरा नहीं किया।’’
उन्होंने कहा, लेकिन हम अपने 70 प्रतिशत वादे पूरा कर चुके हैं।
द्रमुक के प्रवक्ता ए. सरवनन ने कहा, ‘‘द्रमुक की अभूतपूर्व जीत मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन की कल्याणकारी नीतियों और सुशासन पर मुहर है। देश के तमाम मुख्यमंत्रियों के बीच वह आदर्श और लोकप्रिय मुख्यमंत्री बन गए हैं।’’
पार्टी की अभूतपूर्व जीत पर एक वरिष्ठ नेता ने पीटीआई/भाषा से कहा , ‘‘अन्नाद्रमुक ने आरोप लगाया कि द्रमुक ने अपने चुनावी वादे पूरे नहीं किए हैं। हमारे मुख्यमंत्री ने रिपोर्ट कार्ड पेश किया, जिसे जनता ने स्वीकार किया और अन्नाद्रमुक को खारिज कर दिया।’’
संभवत: स्टालिन एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो चुनाव के दौरान राज्य का व्यापक दौरा किए बगैर अपनी पार्टी को जीत दिलाने में कामयाब हुए हैं।
द्रमुक के एक वरिष्ठ नेता ने अन्नाद्रमुक के नेताओं पर पार्टी के स्थान पर सिर्फ अपनी चिंता करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए ऐसी अपमानजनक हार हुई है। उनके नेताओं को आत्ममंथन करना चाहिए।’’
शहरी निकाय चुनावों के बाद अन्नाद्रमुक के पास मुस्कुराने की वजह हो या ना हो, लेकिन भाजपा के पास खुश होने का कारण जरूर है। के. अन्नामलाई के नेतृत्व में राज्य में पहली बार चुनाव लड़ रही पार्टी ने 300 से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज की है। तमिलनाडु में अपनी जगह नहीं बना पाने के कांग्रेस के तंज को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने झूठ साबित कर दिया है। राज्य में भाजपा के महासचिव कारू नागराजन ने कहा कि उनकी पार्टी ने कुछ दलों के ‘‘धन और बाहुबल’’ के खिलाफ लड़ाई लड़ी और जनता का विश्वास हासिल किया।
उन्होंने दावा किया, ‘‘कई वार्ड में हम (भाजपा) सत्तारूढ़ द्रमुक के बाद दूसरे नंबर पर, जबकि कई अन्य में द्रमुक और अन्नाद्रमुक के बाद तीसरे स्थान पर रहे। राज्य में हमारा मतप्रतिशत 8 से बढ़कर 10 प्रतिशत हो गया और चेन्नई में यह 3 फीसदी से बढ़कर 8.04 फीसदी हो गया है।’’
उन्होंने कहा कि अंतिम समय में, अन्नाद्रमुक से नाता तोड़ने के बाद, अकेले दम पर चुनाव लड़ने के बावजूद इसमें भाजपा का विकास नजर आया है।
नागराजन ने कहा कि भविष्य में लोग भाजपा से राजनीति में बदलावों और उपलब्धियों की आशा कर सकते हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष अन्नामलाई ने दावा किया कि पार्टी ने उन क्षेत्रों में भी जीत दर्ज की है जहां ‘‘पहले हमारे जनप्रतिनिधि नहीं थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम आधिकारिक रूप से द्रमुक और अन्नाद्रमुक के बाद तमिलनाडु में तीसरी बड़ी पार्टी हैं।’’
विधानसभा में वर्षों तक कोई सदस्य नहीं रहने के बाद, पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष वनति श्रीनिवासन सहित कुल चार नेता निर्वाचित होकर सदन पहुंचे।
अन्नाद्रमुक सभी 21 नगर पालिका परिषदों में जीत दर्ज करने में असफल रही है और द्रमुक से हार मान ली है।
अन्नाद्रमुक के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘हार अस्थाई है। कैडर और जनता अभी भी हमारे साथ हैं। अगले विधानसभा चुनावों में हम जीत दर्ज करेंगे।’’
भाषा अर्पणा नरेश
नरेश
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