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Friday, 22 November, 2024
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स्टरलाइट को ऑक्सीजन निर्माण की अनुमति देगा तमिलनाडु, दूसरे संयंत्रों के संचालन पर रहेगी रोक

राज्य सरकार ने मई 2018 में दक्षिणी जिले में स्टरलाइट के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की गोलीबारी में 13 प्रदर्शनकारियों के मारे जाने के बाद संयंत्र बंद कर दिया था.

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चेन्नई: तमिलनाडु सरकार ने कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर चार महीने के लिए तूतीकोरिन में वेदांता स्टरलाइट इंडस्ट्रीज को ऑक्सीजन निर्माण की अनुमति देने के मुद्दे पर चर्चा के लिए सोमवार को सर्वदलीय बैठक बुलायी.

इससे प्रदूषण की चिंताओं के कारण बंद पड़े स्मेल्टिंग संयंत्र को आंशिक रूप से फिर से खोले जाने का रास्ता साफ हुआ.

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए वेदांता ने कहा कि वह 1,000 टन की पूरी उत्पादन क्षमता का उपयोग चिकित्सकीय ऑक्सीजन के उत्पादन के लिए करेगा और वह राज्य में जरुरत वाली जगहों पर प्राथमिकता के आधार पर इसे भेजने के लिए काम कर रहा है.

राज्य सरकार ने मई 2018 में दक्षिणी जिले में स्टरलाइट के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की गोलीबारी में 13 प्रदर्शनकारियों के मारे जाने के बाद संयंत्र बंद कर दिया था.


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सिर्फ ऑक्सीजन निर्माण की मिली इजाजत

मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी की अगुवाई में सोमवार को बैठक हुई जिसमें मुख्य विपक्षी पार्टी द्रमुक एवं अन्य शामिल हुए. बैठक में स्टरलाइट को अपने तूतीकोरिन संयंत्र में ऑक्सीजन निर्माण की इजाजत देने के लिए समाधान तलाशा गया. कुछ दिन पहले वेदांता ने इस संबंध में उच्चतम न्यायालय का रुख कर ऑक्सीजन निर्माण की इच्छा जतायी थी.

बैठक में कहा गया, ‘उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार तूतीकोरिन में वेदांता के स्टरलाइट इंडस्ट्रीज को मरम्मत एवं ऑक्सीजन के निर्माण तथा संबंधित उपकरण के लिए चार महीने बिजली आपूर्ति बहाल की जा सकती है.’

आदेश में कहा गया कि इस अवधि को बढ़ाया जा सकता है लेकिन किसी कीमत पर वहां अन्य गतिविधि जैसे कि तांबा निर्माण और सह-निर्माण संयंत्र को नहीं चलाया जायेगा. इस अवधि (चार महीने) के बाद संयंत्र को बिजली आपूर्ति बंद कर दी जायेगी.

यहां उत्पादित ऑक्सीजन प्राथमिकता के आधार पर तमिलनाडु को मिलना चाहिए और राज्य की जरुरतें पूरी होने के बाद ही उसे अन्य राज्यों को दिया जा सकता है.

उसमें कहा गया है कि जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, तूतीकोरिन से पर्यावरण इंजीनियर, ऑक्सीजन उत्पादन में विशेषज्ञ सरकारी अधिकारी, स्थानीय निवासी, एनजीओ के सदस्य और प्लांट का विरोध कर रहे कार्यकर्ता ऑक्सीजन उत्पादन और संयंत्र को चलाने की निगरानी करेंगे.

ऑक्सीजन उत्पादन से ‘प्रत्यक्ष रूप से जुड़े’ तकनीकी कर्मचारियों को ही अनुमति पत्र के आधार पर प्लांट में प्रवेश करने की अनुमति होगी और सरकार सभी प्रकार की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी.

शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को कहा था कि ऑक्सीजन की कमी से लोग मर रहे हैं. अदालत ने तमिलनाडु सरकार से सवाल किया कि कोविड-19 के मरीजों के उपचार के लिए ऑक्सीजन निर्माण को लेकर आखिर राज्य सरकार स्टरलाइट तांबा संयंत्र को अपने हाथ में क्यों नहीं ले रही है.

तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश ए ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘हमें इस बात में कोई रूचि नहीं है कि संयंत्र को वेदांता या ए, बी या सी चलाता है. हमें बस इतना पता है कि ऑक्सीजन निर्माण होना चाहिए.’

इसबीच राज्य सरकार ने सोमवार को बताया कि वेदांता ने अदालत को अर्जी दी है कि दो से चार सप्ताह में वह स्टरलाइट की दो इकाइयों में रोजाना 1,050 टन तरल और गैस ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकता है.


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