नयी दिल्ली, 11 मार्च (भाषा) केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने तमिलनाडु सरकार को मंगलवार को ‘पाखंडी’ करार दिया और आरोप लगाया कि राज्य में चुनाव नजदीक होने पर राजनीतिक एजेंडा के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को लागू करने से इनकार किया जा रहा है।
मजूमदार ने संसद के बाहर पत्रकारों से कहा कि तमिलनाडु के साथ किसी भी तरह के भेदभावपूर्ण व्यवहार के संबंध में किए गए दावे झूठे हैं।
मजूमदार ने ‘पीटीआई-वीडियो’ से कहा, ‘‘वे (तमिलनाडु सरकार) ऐसा केवल इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि राज्य में चुनाव नजदीक हैं। तमिलनाडु के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार के संबंध में किए गए दावे झूठे हैं। हम पांचवी कक्षा तक के छात्रों के लिए मातृभाषा में शिक्षण और सीखने की वकालत कर रहे हैं। तमिलनाडु में मातृभाषा तमिल है, फिर समस्या कहां है?’’
उन्होंने एम के स्टालिन नीत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘वे एनईपी और तीन-भाषा फार्मूले को लागू करने से इनकार करके सिर्फ एक राजनीतिक एजेंडा तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं।’’
मजूमदार ने कहा, ‘‘वे पाखंडी हैं।’’
तमिलनाडु में एनईपी को लागू करने को लेकर जारी विवाद की गूंज सोमवार को संसद में भी सुनाई पड़ी थी।
द्रमुक सदस्यों द्वारा प्रधान की टिप्पणी पर विरोध जताए जाने के बाद सोमवार को लोकसभा की कार्यवाही लगभग 30 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई थी। प्रधान ने तमिलनाडु सरकार पर पीएम स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम श्री) योजना के कार्यान्वयन के मुद्दे पर ‘‘बेईमान’’ होने का आरोप लगाया था।
पीएम श्री योजना पर एक प्रश्न का उत्तर देते हुए प्रधान ने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने केंद्र प्रायोजित इस योजना के कार्यान्वयन पर अपना रुख बदल दिया है, जिसमें केंद्र, राज्य या स्थानीय निकायों द्वारा प्रबंधित स्कूलों को मजबूत बनाने की परिकल्पना की गई है।
संबंधित राज्य को केंद्र सरकार के साथ इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना होगा कि वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को लागू करेगा और इसके बदले में केंद्र सरकार निधि आवंटित करेगी।
तमिलनाडु सरकार और केंद्र के बीच नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन और नीति में प्रस्तावित त्रि-भाषा फार्मूले को लेकर तकरार चल रही है।
भाषा
प्रीति दिलीप
दिलीप
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