चेन्नई (तमिलनाडु) : मणिपुर में जारी संकट ने कई देश के कई सारे लोगों को किसी न किसी तरह से प्रभावित किया है. पिछले कुछ सालों में मणिपुर ने देश को कई शानदार खिलाड़ी दिए हैं. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन भविष्य के टूर्नामेंट्स के लिए मणिपुर के खिलाड़ियों को प्रैक्टिस की सुविधाएं प्रदान करने में सहायता के लिए आगे आए हैं.
‘सात बहनें’ कहे जाने वाले राज्यों का हिस्सा मणिपुर ने खेल के इतिहास में कई महान एथलीट दिए हैं, जिनमें मैरीकोम, चानू सैखोम मीराबाई, कुंजरानी देवी और कई अन्य नाम हैं.
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा, “एशियन गेम्स, खेलो इंडिया जैसे प्रतियोगिताओं को लेकर मणिपुर में खिलाड़ियों के लिए प्रैक्टिस का माहौल अच्छा नहीं है. मैंने खेल और युवा कल्याण मंत्री उदयनिधि स्टालिन से कहा है कि वह मणिपुर के खिलाड़ियों को तमिलनाडु में प्रैक्टिस की सुविधाएं मुहैया कराएं.”
“उदयनिधि स्टालिन ने भरोसा दिया है कि तमिलनाडु खेल विकास विभाग मणिपुर के खिलाड़ियों को हाई क्वालीफाइड प्रैक्टिस की सुविधा देगा.”
उन्होंने कहा, “प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को लेकर मणिपुर राज्य का नाम है. तमिलनाडु मणिपुर के मौजूदा हालात को देखकर चिंतित है. मणिपुर ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी पैदा किए हैं, खासकर महिला खिलाड़ी. तमिलनाडु खेलो इंडिया गेम्स 2024 की मेजबानी करेगा. इसको लेकर पहले से ही तैयारी शुरू हो गई है.”
मणिपुर की कुछ जानी-मानी खिलाड़ी जैसे मैरीकोम, 2012 लंदन ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी थीं. भारात्तोलक, सैखोम मीराबाई चानू ने 2020 टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक जीता था. मीराबाई चानू ने कई वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में प्रतिस्पर्धा जीतकर मणिपुर और देश गर्व महसूस करने का मौका दिया है.
वेटलिफ्टर कुंजारानी देवी ने एशियन गेम्स 1990 और 1994 दोनों में कांस्य पदक जीता था. कुंजारानी ने 2006 मेलबर्न कॉमनवेल्थ गेम्स में रिकार्ड बनाते हुए 48 किलो भारवर्ग में स्वर्ण पदक जीता था.
फुटबॉल खिलाड़ी बोइथांग हाओकिप इंडियन सुपर लीग में एससी ईस्ट बंगाल के लिए खेलते हैं. एक फ्री किक स्पेशलिस्ट, वह मुख्य तौर से सेंट्रल मिडफील्डर के रूप में खेलते हैं लेकिन फुल-बैक या वाइड प्लेयर के रूप में भी खेल सकते हैं.
जूडो खिलाड़ी कल्पना देवी ने ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में 52 किलो भारवर्ग में कांस्य पदक जीता था.
एक क्लिप वायरल हुई थी, जिसमें कुकी-ज़ो समूह की दो महिलाओं को सड़क पर नग्न घूमाते हुए दिखाया गया है, जिसमें कथित तौर पर मैतेई समुदाय की भीड़ द्वारा उनका उत्पीड़न किया जा रहा है.
यह तब हुआ जब नौकरी में कोटा और भूमि अधिकारों को लेकर बहुसंख्यक मैतेई और अल्पसंख्यक कुकी-ज़ो के बीच हिंसा भड़क उठी. तब से रुक-रुक कर यह हिंसा जारी है.
यह अशांति की स्थिति अदालत के एक आदेश से शुरू हुई थी कि सरकार को कुकी-ज़ो लोगों द्वारा प्राप्त विशेष लाभों को मैतेई आबादी तक भी बढ़ाने पर विचार करना चाहिए.
जब से हिंसा शुरू हुई तब से अभी तक कम से कम 130 लोग मारे गए हैं और 50 हजार से ज्यादा लोग अपने घरों से भाग गए हैं. 10 हजार लोग सरकार द्वारा संचालित राहत शिविरों में हैं.
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