चेन्नई, आठ फरवरी (भाषा) तमिलनाडु विधानसभा ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) विरोधी विधेयक मंगलवार को फिर से पारित कर दिया, जिसे राज्य के राज्यपाल आर एन रवि ने कुछ दिन पहले लौटा दिया था।
सत्तारूढ़ द्रमुक और मुख्य विपक्षी दल अन्ना द्रमुक ने द्रविड़ विचारधारा के आधार पर इस परीक्षा के विरोध का संकल्प लिया।
मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने नीट को मारक परीक्षा बताया और कहा कि उन्हें लगता है कि राज्यपाल फिर से पारित किए गए विधेयक को बिना किसी देरी के अब राष्ट्रपति के पास उनकी मंजूरी के लिए भेजेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति के पास इसे भेजना राज्यपाल का संवैधानिक कर्तव्य है। मुझे उम्मीद है कि राज्यपाल कम से कम अब इस कर्तव्य का पालन करेंगे।’’
मुख्यमंत्री ने विधेयक को वापस लौटाने को लेकर राज्यपाल पर निशाना साधा और कहा कि इसने केंद्र-राज्य संबंधों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने पूछा कि क्या नीति निर्णय पर आधारित विधेयक को वापस लौटाने का राज्यपाल का कृत्य लोकतंत्र के सिद्धांत के खिलाफ नहीं जाता?
प्रस्ताव को पारित करते समय मेजें थपथपाई गईं और अध्यक्ष एम अप्पावु ने घोषणा की कि विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया गया है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने विधेयक पारित करने का प्रस्ताव पेश किया।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि इस विधेयक को मंगलवार को ही राज भवन भेजा जाएगा ताकि राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए इसे केंद्र के पास भेजा जा सके।
इससे पहले विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक दल के नेता नैनार नागेंद्रन के नेतृत्व में भाजपा ने इस कदम का विरोध करते हुए सदन से बहिर्गमन किया।
विधेयक पर चर्चा के दौरान सदन में उस समय हंगामा हुआ जब पूर्व सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे अखिल भारतीय द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के नेता सी विजयभास्कर ने कहा कि नीट की शुरुआत 2010 में कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में हुई थी, तो कांग्रेस विधायकों ने इसका विरोध किया।
विपक्ष के नेता के पलानीस्वामी ने कहा कि उनके पार्टी सहयोगी केवल सच्चाई बता रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने पिछले सप्ताह विधेयक की वापसी पर राज्यपाल रवि से प्राप्त संवाद का जिक्र करते हुए कहा कि उनके द्वारा जो कारण बताए गए, वे सही नहीं थे।
स्टालिन ने कहा कि रवि ने नीट पर न्यायमूर्ति ए के राजन पैनल की सिफारिशों का हवाला देते हुए कहा कि वे ‘‘अनुमान’’ पर आधारित थीं, लेकिन वे आंकड़ों और एक लाख से अधिक लोगों की राय पर आधारित थीं।
उन्होंने योग्यता परीक्षा के खिलाफ अपनी सरकार के रुख को दोहराते हुए कहा, ‘‘नीट एक शिक्षा प्रणाली नहीं है, बल्कि चिकित्सा उम्मीदवारों को प्रशिक्षित करने की एक प्रणाली है।’’
भाषा
गोला नरेश
नरेश
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