(आसिम कमाल)
नयी दिल्ली, 27 मार्च (भाषा) पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने वर्षों से मुस्लिम तुष्टीकरण की दलीलों को ‘छलावा’ करार देते हुए रविवार को कहा कि ऐसा लगता है कि बढ़ चुके ध्रुवीकरण के कारण लगभग सभी राजनीतिक दल मुस्लिम समुदाय से कन्नी काट रहे हैं और उनके मुद्दों पर बात नहीं कर रहे हैं।
कुरैशी ने यह भी कहा कि 1980 और 1990 के दशक में ध्रुवीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए मुस्लिम तुष्टीकरण का एक ‘मिथक’ बनाया गया था। उन्होंने कहा कि 14 प्रतिशत से अधिक आबादी वाले समुदाय के लिए सिविल सेवाओं और अन्य सरकारी कैडर में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व लगभग दो से तीन प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि वर्षों से मुसलमानों के तुष्टीकरण की बात एक ‘भ्रम’ और ‘बनावटी रिवायत’ है, जिसने गैर-मुसलमानों के मन में यह धारणा पैदा की कि उनकी नौकरियां छीनी जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि ध्रुवीकरण में इसका प्रभाव पड़ा।
कुरैशी ने पीटीआई-भाषा के साथ एक साक्षात्कार में मुसलमानों के खिलाफ ‘नफरत फैलाने वाले भाषणों’ पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वे मुखर हो गए हैं और उनके खिलाफ सरकार की ओर से कार्रवाई लगभग नगण्य है, यही वजह है कि इस तरह की बयानबाजी में शामिल ‘ताकतों’ का हौसला बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस (अभद्र भाषा) के लिए कोई सहिष्णुता नहीं होनी चाहिए। हमारे पास अभद्र भाषा के खिलाफ पर्याप्त और सख्त कानून हैं। सवाल प्रवर्तन और कार्यान्वयन का है जो बिल्कुल निकृष्ट है।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या हाल के विधानसभा चुनावों में चुनाव आयोग ने कथित नफरत भरे भाषण देने वाले उम्मीदवारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की, कुरैशी ने कहा कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से ऐसे मामलों की जानकारी नहीं है, लेकिन उन्होंने कहा कि यह ‘संभव है’ कि जैसी कार्रवाई की जानी चाहिए वैसी नहीं की गयी हो।
उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव आयोग हमेशा बहुत सतर्क था और मुझे उम्मीद है कि वे भविष्य के चुनावों में सतर्क रहेंगे।’’
‘द पॉपुलेशन मिथ: इस्लाम, फैमिली प्लानिंग एंड पॉलिटिक्स इन इंडिया’ पुस्तक के लेखक कुरैशी ने इस कथन को भी खारिज कर दिया कि मुसलमानों की आबादी खतरनाक दर से बढ़ रही है और वे हिंदुओं से आगे निकल जाएंगे या उन्हें संख्यात्मक रूप से चुनौती देंगे। उन्होंने हालांकि कहा कि मुस्लिम और हिंदू जन्म दर के बीच का अंतर वास्तव में अब कम हो गया है।
पूर्व सीईसी ने कहा, ‘‘हम वर्षों से सुनते आ रहे हैं कि मुसलमान बढ़ रहे हैं और वे जनसंख्या विस्फोट के लिए जिम्मेदार हैं। यह धारणा बनाई जाती है कि अगर एक हिंदू परिवार में दो बच्चे हैं, तो मुस्लिम परिवार में 10 बच्चे हैं। अब यह हकीकत से बहुत दूर है।’’
उन्होंने प्रोफेसर दिनेश सिंह और अजय कुमार द्वारा तैयार किए गए एक गणितीय मॉडल का भी उल्लेख किया, जो दर्शाता है कि मुसलमान कभी भी हिंदुओं से आगे नहीं बढ़ सकते हैं, एक हजार साल में भी नहीं।
कुरैशी ने यह भी कहा कि विधानसभाओं और संसद में मुस्लिम विधायकों की संख्या और उनकी आबादी के अनुपात में अंतर है, जो लोकतंत्र में ‘बड़ी चिंता’ का विषय है।
ध्रुवीकरण को रोकने की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है क्योंकि हिंदू धर्मनिरपेक्ष हैं।
हिजाब क्या इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा है, इस सवाल के जवाब में कुरैशी ने कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर ऐसा नहीं मानते हैं, लेकिन यह व्यक्ति की अपनी इच्छा पर निर्भर करता है।
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