(आनन्द राय)
गोरखपुर (उप्र) 26 जनवरी ( भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का उम्मीदवार घोषित किये जाने के बाद आजाद समाज पार्टी (एएसपी) ने बसपा के संस्थापक कांशीराम की रणनीति से प्रेरणा लेते हुए गोरखपुर के हर वार्ड में अपनी सेना बनाकर नुक्कड़ कार्यक्रमों के जरिये भाजपा से मुकाबले की कार्ययोजना तैयार की है।
इस सीट पर एएसपी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद चुनाव मैदान में हैं। योगी और चंद्रशेखर के अलावा अभी तक किसी प्रमुख दल ने गोरखपुर में अपने उम्मीदवार की घोषणा अधिकृत तौर पर नहीं की है।
आजाद समाज पार्टी की राष्ट्रीय कोर कमेटी के सदस्य और गोरखपुर के पार्टी के मुख्य चुनाव प्रभारी डॉ मोहम्मद आकिब ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ”हमारी पार्टी के युवाओं की टोली बनी है जो चार-चार, पांच-पांच की संख्या में नुक्कड़ कार्यक्रमों के जरिये मतदाताओं तक अपनी बात पहुंचाएगी।” उन्होंने कहा, ‘‘सोशल मीडिया पर हमारे प्रचार अभियान ने रफ्तार पकड़ ली है और मान्यवर कांशीराम साहब जिस तरह एक-एक व्यक्ति को जोड़कर सेना खड़ी करते थे वैसे ही हम लोगों ने भी गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र के हर वार्ड में अपनी सेना बना ली है।
कांशीराम का नाम लेकर एएसपी की रणनीति के दावे पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) गोरखपुर मंडल के मुख्य सेक्टर प्रभारी सुरेश कुमार गौतम ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”लोग जानते हैं कि चंद्रशेखर का चाल और चरित्र क्या है, कांशीराम का नाम लेकर कोई उनका मिशन पूरा नहीं कर सकता है। ऐसे बहुत से लोग मिशन की बात कर मिशन को बेचने का काम करते हैं। सिर्फ बसपा ही कांशीराम के मिशन को पूरा करने में सक्षम है।”
आजाद ने 2014 में भीम आर्मी की स्थापना कर दलितों के हितों को लेकर संघर्ष शुरू किया। आजाद ने अपने संगठन भीम आर्मी के राजनीतिक दल आजाद समाज पार्टी का गठन किया और 2020 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के उप चुनाव में बुलंदशहर की सदर विधानसभा सीट पर अपना पहला उम्मीदवार उतारा। एएसपी उम्मीदवार मोहम्मद यामीन बुलंदशहर के उपचुनाव में पराजित हो गये, लेकिन 13 हजार से अधिक मत पाकर उन्होंने पार्टी की मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। कुछ दिनों पहले तक आजाद ने समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव से मिलकर चुनाव लड़ने के लिए प्रयास किया लेकिन बात नहीं बनी और इसके बाद अकेले दम पर चुनाव लड़ने की घोषणा के साथ पार्टी ने सबसे पहले गोरखपुर से आजाद को उम्मीदवार घोषित कर दिया।
डा.आकिब ने कहा, ” यह चुनाव धनतंत्र बनाम जनतंत्र होगा और हम लोगों का चुनाव जनता लड़ेगी क्योंकि यह लड़ाई सामंती सोच के खिलाफ है।” आकिब ने दावा किया कि सामंती सोच के खिलाफ हर वर्ग के इंसाफ पसंद लोग चंद्रशेखर के साथ आएंगे।
वहीं भाजपा राष्ट्रीय परिषद के सदस्य तथा उप्र सहकारी ग्राम विकास बैंक के सभापति गोरखपुर निवासी संतराज यादव ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में दावा किया, ” योगी के सामने गोरखपुर में चंद्रशेखर आजाद का कोई असर नहीं रहेगा, यहां के लोग तो उनको जानते भी नहीं हैं।”
उल्लेखनीय है कि गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र में करीब साढ़े चार लाख मतदाता हैं और राजनीतिक जानकारों के मुताबिक यहां 60 से 70 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं। इसके अलावा दूसरे नंबर पर 55 से 60 हजार कायस्थ, लगभग 50 हजार वैश्य, लगभग 40 हजार मुसलमान, 25 से 30 हजार क्षत्रिय, 50 हजार अनुसूचित जाति और पिछड़ी जातियों में सैंथवार, चौहान (नोनिया), यादव आदि मिलाकर 75 हजार से अधिक मतदाता हैं। शहरी क्षेत्र में बंगाली, पंजाबी, ईसाई और सिंधी समाज के लोग भी निवास करते हैं और अलग-अलग मोहल्लों में इनकी बसावट है।
गौरतलब है कि गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र में 2017 में भाजपा के राधा मोहन दास अग्रवाल ने एक लाख 22 हजार से अधिक मत पाकर चौथी बार लगातार चुनाव जीता था जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा के गठबंधन से कांग्रेस उम्मीदवार राणा राहुल सिंह को लगभग 61 हजार वोट मिले थे। बसपा उम्मीदवार जनार्दन चौधरी 24,297 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे।
भाषा आनन्द पवनेश देवेंद्र
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