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Monday, 4 November, 2024
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पश्चिम बंगाल का पहला डीप सी पोर्ट बनने को तैयार है ताजपुर, ‘पूर्वी क्षेत्र का समुद्री प्रवेश द्वार’ बन सकता है

अदानी समूह द्वारा विकसित किए जाने के लिए इस बंदरगाह को अप्रयुक्त भूमि पर बनाया जाएगा, जिससे किसी भी मौजूदा संरचना को ध्वस्त करके फिर से तैयार करने की आवश्यकता नहीं होगी, इस तरह से यह लगभग 50 वर्षों में इस राज्य का पहला ग्रीनफील्ड बंदरगाह बन जाएगा.

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नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार द्वारा ताजपुर बंदरगाह के विकास के लिए सोमवार को अदानी समूह को आशय पत्र (लेटर ऑफ इनटेंट) जारी किए जाने की मंजूरी के साथ ही यह भारत के पूर्वी क्षेत्र का व्यापार और निवेश का केंद्र बनने के लिए तैयार है. जहाजरानी क्षेत्र के विश्लेषकों ने दिप्रिंट को बताया कि इस डीप सी पोर्ट (गहरे समुद्र वाले बंदरगाह) से बांग्लादेश, नेपाल और भूटान जैसे पड़ोसी देशों तक माल के पहुंच की सुगमता सुनिश्चित होने की उम्मीद है.

खबरों के अनुसार, पश्चिम बंगाल मैरीटाइम बोर्ड जल्द ही अदानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (एपीएसईजेड), जो भारत की सबसे बड़ी बंदरगाह संचालक और अदानी पोर्ट्स के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है, को एक लेटर ऑफ इनटेंट सौंपेगा. इस बंदरगाह के विकास में तकरीबन 25,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा.

बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार के उद्योग, वाणिज्य और उद्यम विभाग द्वारा पिछले साल अक्टूबर में इस बंदरगाह के विकास के लिए प्रस्तावित रिक्वेस्ट फॉर प्रपोज़ल (प्रस्ताव के लिए अनुरोध) के बदले सबसे अधिक बोली लगाने वाली कंपनी एपीएसईजेड ही थी. लेकिन उसके बाद से ही राज्य सरकार ने एपीएसईजेड को इसके लिए लेटर ऑफ इनटेंट देने की मंजूरी देने में धीमी गति से काम किया था. लेटर ऑफ इनटेंट के बाद अदानी पोर्ट्स को औपचारिक रूप से अनुबंध (ठेका) प्रदान कर दिया जाएगा.

इस लेटर ऑफ इंटेंट को जारी किए जाने का निर्णय 5 सितंबर के सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में एक बंदरगाह परियोजना से अदानी समूह की अयोग्यता को किसी ऐसी ‘अपात्रता’ के रूप में नहीं माना जाना चाहिए जो इसे अन्य बंदरगाह परियोजनाओं के लिए बोली लगाने से रोकता हो. हालांकि, ताजपुर कोलकाता बंदरगाह – जिसे अब श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट (एसएमपी) के रूप में जाना जाता है – के बाद पश्चिम बंगाल में दूसरा सबसे बड़ा बंदरगाह होगा, मगर यह लगभग आधी सदी के दरमयान बंगाल का पहला ग्रीनफील्ड बंदरगाह होगा. एक ग्रीनफील्ड परियोजना वह परियोजना होती है जिसमें सारा निर्माण कार्य अप्रयुक्त भूमि पर होता है, यानि कि जहां किसी भी मौजूदा ढांचे को फिर से तैयार करने या ध्वस्त करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है.

एसएमपी, जो इस राज्य का एक प्रमुख बंदरगाह है, के अलावा राज्य में कुछ छोटे बंदरगाह भी हैं. एसएमपी ने 2020-21 के दौरान 61.36 मिलियन टन (एमटी) कार्गो टैरिफ (माल का यातायात) को संभाला जो भारत के 12 प्रमुख बंदरगाहों में पांचवां सबसे अधिक टैरिफ है. इसने इस अवधि के दौरान सबसे अधिक संख्या में जहाजों की आवाजाही भी देखी.


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एसएमपी के अलावा, पूर्वी क्षेत्र के अन्य प्रमुख बंदरगाहों में ओडिशा का पारादीप बंदरगाह शामिल है.

पश्चिम बंगाल सरकार और समुद्री क्षेत्र के विशेषज्ञों के अनुसार, ताजपुर डीप सी पोर्ट न केवल इस राज्य, बल्कि पूरे पूर्वी क्षेत्र के लिए एक समुद्री प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करेगा. राज्य के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हाकिम ने दिप्रिंट क साथ बातचीत में बताया कि ताजपुर बंदरगाह के माध्यम से बंगाल में विकास की लहर आने वाली है.

उनका कहना था, ‘यह वास्तव में बंगाल के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, यह बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर और बंगाल में प्रगति की लहर लेकर आएगा. मुख्यमंत्री जी बहुत जल्द एक कार्यक्रम आयोजित करेंगीं और इस परियोजना का आशय पत्र की प्रदान करेंगीं. हमें बंगाल में अपना पहला डीप सी पोर्ट देखने को मिलेगा.’

एपीएसईजेड फरवरी 2021 में पब्लिक प्राइवेट पार्ट्नरशिप मोड (सार्वजनिक निजी भागीदारी मोड़) में हल्दिया डॉक कॉम्प्लेक्स में एक बर्थ के मशीनीकरण के लिए सबसे अधिक बोली लगाने वाले के रूप में उभरा था. लेकिन उन्हें अभी तक श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट ट्रस्ट द्वारा इसके लिए ठेका नहीं दिया गया है.

‘यह सिर्फ एक बंदरगाह नहीं बल्कि एक बंदरगाह की अगुआई में हो रहा विकास भी है’

ताजपुर बंदरगाह पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर जिले में ताजपुर के पास और कोलकाता से लगभग 200 किमी की दूरी पर स्थित है. यह इस बंदरगाह पर एक बड़े ‘कैपेसाइज’ – टन के नज़रिए से एक लाख टन ड्राइ वेट (सूखे का बिना माल के वजन वाले) के मालवाहक जहाजों का सबसे बड़ा वर्ग – के जहाज़ों को पड़ाव डालने में सक्षम बनाएगा. समुद्री व्यापार के विशेषज्ञों ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है क्योंकि उथले तल (शॉलो ड्राफ्ट) ने बड़े जहाजों को इस राज्य में स्थित बंदरगाहों पर पड़ाव डालने को बाधित कर रखा है.

ताजपुर बंदरगाह में 18 किमी के चैनल (गलियारे) के साथ एक 12.1 मीटर का गहरा ड्रॉफ्ट होगा. 3.9 मीटर के ज्वार को समर्थन देने के साथ यह एक 16 मीटर की सकल ड्रॉफ्ट सुविधा के ज़रिए अग्रणी श्रेणी के बड़े कैपेसाइज़ जहाजों को इस बंदरगाह पर पड़ाव डालने में सक्षम बनाएगा.

उद्योग जगत के विशेषज्ञों का कहना है कि ताजपुर सिर्फ एक बंदरगाह नहीं है बल्कि एक ‘बंदरगाह के नेतृत्व में होने वाला विकास’ है. क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेन्स एंड एनालायटिक्स के कनसल्टिंग, ट्रांसपोर्ट, मोबिलिटी एंडलजिस्टिक्स, निदेशक और प्रॅक्टीस लीडर जगनारायण पद्मनाभन ने कहा, ‘बंदरगाह के साथ लगी करीब 1,000 एकड़ भूमि के आसपास की ज़मीन उद्योग स्थापित करने और अन्य बंदरगाह के नेतृत्व में होने वाले विकास के लिए (अदानी समूह को) दी जाएगी. निवेश का परिमाण (मात्रा) भी काफी महत्वपूर्ण है.’

पद्मनाभन ने कहा कि मध्यम अवधि के दौरान यह बंदरगाह बहुत अधिक तटीय विकास की सुविधा भी प्रदान कर सकता है. पद्मनाभन ने कहा, ‘उदाहरण के लिए, यदि आप पश्चिम बंगाल से चेन्नई, केरल, महाराष्ट्र जाना चाहते हैं … अब आपके पास एक अतिरिक्त विकल्प है, जो उपलब्ध हो सकता है. यह पूर्वी माल विकास गलियारे (ईस्टर्न फ्रेट डेवेलपमेंट कॉरिडोर), जो अमृतसर (पंजाब में) से दानकुनी (पश्चिम बंगाल में) तक जाता है, पर विकास की सुविधा प्रदान कर सकता है. ताजपुर बंदरगाह के निर्माण के लिए आगे आने के साथ ही दानकुनी से कोलकाता के एकीकरण पर आगे विचार किया जा सकता है.’

उन्होंने कहा, ‘यह बहुत सारे निर्यात की सुविधा भी प्रदान कर सकता है … उस इलाक़े में कोयला, लौह अयस्क और अन्य खनिजों की प्रचुरता है. यह राज्य के समग्र विकास को एक बड़ा प्रोत्साहन दे सकता है. साथ ही, जब कोई बंदरगाह तैयार होता है तो सड़क के बुनियादी ढांचे में भी सुधार होगा, आपका रेल बुनियादी ढांचा भी उन्नत होगा.’

इस बीच पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा जारी किए गये एक बयान में कहा गया है कि इस परियोजना में कुल मिलाकर,25,000 करोड़ रुपये का निवेश शामिल होगा. इसके अलावा, यह प्रत्यक्ष रूप से 25,000 और परोक्ष रूप से एक लाख से अधिक नौकरियों का सृजन करेगा.

पद्मनाभन के अनुसार, राज्य के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि यह गहरे समुद्र वाला बंदरगाह तैयार हो जाए. उन्होंने कहा, ‘यह एक समुद्री प्रवेश द्वार है. जब आपके पास अपना बंदरगाह हो तो बांग्लादेश जैसे हमारे पड़ोसी देशों तक पहुंच बहुत आसान हो जाती है.’

उन्होंने कहा कि समुद्र तट की बनावट के दृष्टिकोण से, पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के भारी गाद से भरे होने जैसे तकनीकी मुद्दों की वजह से यहां के समुद्र तट पर ऐसे किसी भी अन्य बंदरगाह को स्थापित किया जाना मुश्किल होगा. उन्होंने कहा, ‘हालांकि आपके पास लंबा समुद्र तट है, मगर आपके पास गहरे पानी का बंदरगाह नहीं हो सकता है. उस तटरेखा में ताजपुर बंदरगाह एक प्रमुख बंदरगाह है.’

समुद्री क्षेत्र के विशेषज्ञों ने दिप्रिंट को बताया कि लंबे समय के बाद कोई राज्य समुद्री बोर्ड एक पूरे बंदरगाह के विकास के लिए बोली लगा रहा है. उन्होंने कहा कि यह काफ़ी अहम बात है क्योंकि यह अन्य राज्य सरकारों को भी इसी तरह की परियोजनाओं को अपनाने का भरोसा दिला सकता है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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