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शनिवार, 3 मई, 2025
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चीन के साथ व्यापार घाटा कम करने में भारत की मदद को तैयार ताइवान: उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार

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(मानस प्रतिम भुइयां)

(तस्वीर सहित)

नयी दिल्ली, 20 मार्च (भाषा) ताइवान के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) सु चिन शू ने बृहस्पतिवार को कहा कि ताइवान चीन से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के आयात को कम करने में भारत की मदद कर सकता है और सेमीकंडक्टर क्षेत्र समेत विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा देने का सबसे अच्छा तरीका मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) करना होगा।

सु चिन शू ने ‘पीटीआई-भाषा’ से एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि व्यापार समझौते से उच्च प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में ताइवान की कंपनियों के लिए भारत में अधिक निवेश का मार्ग प्रशस्त होगा और इससे ‘‘उच्च शुल्क’’ को कम करने में मदद मिलेगी।

भू-राजनीति पर भारत के प्रमुख सम्मेलन ‘रायसीना डायलॉग’ में भाग लेने और वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों के साथ वार्ता के लिए राष्ट्रीय राजधानी आए सु चिन शू ने कहा कि ताइवान की प्रौद्योगिकी और जनसांख्यिकी के मामले में भारत के लाभ की स्थिति के मद्देनजर भारत में उच्च-स्तरीय प्रौद्योगिकी वाले उत्पादों का उत्पादन किया जा सकता है जिससे भारत को चीन से आयात कम करने में मदद मिलेगी।

सु चिन शू ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि खासकर आर्थिक सहयोग के मामले में संबंधों के विस्तार की काफी संभावनाएं हैं।’’

ताइवान के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि भारत विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का चीन से आयात करने के बजाय उनका संयुक्त उत्पादन करके चीन के साथ अपने ‘‘बड़े’’ व्यापार घाटे को कम कर सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘इनमें से अधिकतर आईसीटी (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) उत्पाद हैं और हमारे नजरिये से उनके उत्पादन की भारत में बहुत संभावना है। ताइवान न केवल सेमीकंडक्टर बल्कि अन्य सभी आईसीटी उत्पादों में मदद कर सकता है।’’

सु चिन शू ने कहा, ‘‘भारत अपने आप में एक बहुत बड़ा बाजार है और आपके पास बड़ी संख्या में युवा आबादी है, जिसका उपयोग कार्यबल में किया जा सकता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए ताइवान की प्रौद्योगिकी और जनसांख्यिकी के मामले में लाभ की स्थिति के मद्देनजर मुझे आर्थिक सहयोग का बहुत उज्ज्वल भविष्य नजर आता है।’’

उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़ता जा रहा है। चीन से 2023-24 में उसका आयात कुल 101.75 अरब अमेरिकी डॉलर था, जबकि निर्यात 16.65 अरब अमेरिकी डॉलर था।

ताइवान दो करोड़ 30 लाख से अधिक आबादी वाला एक स्व-शासित द्वीप है, जो दुनिया के लगभग 70 प्रतिशत सेमीकंडक्टर और 90 प्रतिशत से अधिक ऐसे उन्नत चिप का उत्पादन करता है, जो स्मार्टफोन, कार उपकरणों, डेटा केंद्रों, लड़ाकू जेट और एआई प्रौद्योगिकियों जैसे लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए आवश्यक हैं।

ताइवान के उप राष्ट्रीय सलाहकार ने कहा कि ताइवान भारत के साथ व्यापार समझौता करने का इच्छुक है। उन्होंने कहा कि ताइवान का भारत के साथ व्यापार वार्ता करने का ‘‘बहुत मजबूत इरादा’’ है।

उन्होंने कहा कि शुल्क वास्तव में बहुत अधिक है। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हमारे दृष्टिकोण से व्यापार समझौता करना पारस्परिक रूप से लाभकारी होगा।’’

दोनों पक्षों ने प्रस्तावित एफटीए के लिए पहले ही अध्ययन कर लिया है तथा समझौते पर प्रारंभिक चर्चा भी कर ली है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत ताइवान का 17वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और ‘मेक इन इंडिया’ नीति के तहत भारत में ताइवानी उद्यमों का कुल निवेश चार अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है जिसमें जूते, मशीनरी, ऑटोमोबाइल घटकों से लेकर पेट्रोकेमिकल और आईसीटी उत्पाद क्षेत्र तक शामिल हैं।

चीन, ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है और वह इसे चीनी मुख्य भूमि के साथ एकीकृत करने पर जोर देता है लेकिन ताइवान खुद को चीन से पूरी तरह अलग मानता है।

भारत और ताइवान के बीच औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं। इसके बावजूद उनके बीच द्विपक्षीय व्यापारिक संबंध बढ़ रहे हैं।

भाषा सिम्मी देवेंद्र

देवेंद्र

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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