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Friday, 3 May, 2024
होमदेशदिल्ली पुलिस की चार्जशीट कहती है कि ताहिर हुसैन ने दिल्ली दंगों से पहले 50 लीटर एसिड, कांच की खाली बोतलें खरीदीं

दिल्ली पुलिस की चार्जशीट कहती है कि ताहिर हुसैन ने दिल्ली दंगों से पहले 50 लीटर एसिड, कांच की खाली बोतलें खरीदीं

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 17,000 पन्नों की चार्जशीट में दंगों से पहले के कुछ दिनों की गतिविधियों के बारे में ताहिर हुसैन के पड़ोसी एक स्क्रैप डीलर और कुछ कारोबारियों के बयान दर्ज किए हैं.

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नई दिल्ली: ताहिर हुसैन के पड़ोसी और चेक के बदले में 1.12 करोड़ रुपये नगद का इंतजाम करने में मददगार कुछ कारोबारियों के शपथ लेकर दिए गए बयानों को आम आदमी पार्टी (आप) के निलंबित पार्षद के खिलाफ दिल्ली पुलिस की चार्जशीट का आधार बनाया गया है.

फरवरी में हुए दंगों, जिसमें 53 लोगों की मौत हुई थी, के सिलसिले में एक स्थानीय अदालत के समक्ष इस हफ्ते की शुरुआत में 17,000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई थी.

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की तरफ से दाखिल चार्जशीट में हुसैन समेत 15 लोगों के नाम बतौर प्रमुख साजिशकर्ता दर्ज किए गए हैं.

ये बयान चार्जशीट के साथ पुलिस के दावों के समर्थन में बतौर सबूत संलग्न किए गए हैं, जिसमें कहा गया है कि दंगे लोकतांत्रिक तरीक से चुनी गई केंद्र सरकार के खिलाफ असंतोष भड़काने और अशांति फैलाने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा थे.

स्क्रैप डीलर ने बताया 50 लीटर एसिड की व्यवस्था की

स्क्रैप डीलर ने अपने बयान में कहा कि उसने दंगों से कम से कम 10 दिन पहले हुसैन के लिए 50 लीटर एसिड और 100 खाली कांच की बोतलों की व्यवस्था की.

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डीलर ने बताया कि हुसैन उसकी दुकान पर आए थे और यह कहते हुए एसिड और खाली बोतलों की व्यवस्था करने को कहा कि उन्हें घर में खासकर छत पर साफ-सफाई का काम कराना है.

स्क्रैप डीलर ने यह भी कहा कि हुसैन उसके पास आए थे क्योंकि वह उन सेकेंड हैंड बैटरी से निकलने वाला एसिड स्टोर करता है जिन्हें वह आप पार्षद से खरीदता था.

डीलर के बयान में आगे बताया कि हुसैन सुबह उनसे मिलने आए थे और निलंबित पार्षद के कार्यालय से एक कार शाम को उनकी दुकान पर पहुंची, जिसमें दो डिब्बे थे. डीलर ने कहा कि उसने लगभग 50 लीटर एसिड उन डिब्बों में भर दिया और 100 कांच की खाली बोलतें रख दीं.

उसने यह भी बताया कि बाद में वह जब हुसैन के घर पहुंचा तो वहां की स्थिति देखकर बेचैन हो गया क्योंकि उसने परिसर में एसिड की बोतलें रखी देखीं. स्क्रैप डीलर का दावा है कि उसने अपने पैसे का भुगतान होते ही तुरंत पूर्व पार्षद का घर छोड़ दिया. डीलर ने पुलिस को बताया कि दंगे भड़कने के बाद उसने देखा कि बोतलें वही थीं जिन्हें हुसैन ने उससे खरीदा था.

ये बयान दंगों के सात महीने बाद मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दीपाक्षी राणा के समक्ष 10 सितंबर को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए थे.

सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज बयान अदालती कार्यवाही के दौरान साक्ष्य के तौर पर स्वीकार्य होते हैं. कोई गवाह अगर अपने बयान से पलटता है तो उसे झूठी शपथ लेने के आरोपों का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि, इस तरह के बयानों को गवाह से जिरह के दौरान खुले तौर पर चुनौती दी जा सकती है.


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कुछ कारोबारियों ने भी शपथ लेकर दिए गए बयान में नगदी की व्यवस्था करने में हुसैन की मदद करने की बात मानी है लेकिन साथ ही कथित साजिश के बारे में कोई जानकारी होने से साफ इनकार किया है, उनका दावा किया कि इस बात से अनजान थे कि पार्षद को इतनी नगदी की इतनी आवश्यकता क्यों है. दिप्रिंट के पास इन बयानों की प्रति मौजूद है.

‘हुसैन परिस्थितियों का शिकार’

हुसैन के अलावा, नताशा नरवाल, देवांगना कलिता, आसिफ इकबाल तन्हा, इशरत जहां, मीरान हैदर, सफूरा जरगर और खलीफ सैफी को भी आरोपी बनाया गया है.

हुसैन के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता के.के. मनन ने गवाहों और पुलिस के बयान की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए पूर्व आप पार्षद के खिलाफ आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए खारिज कर दिया है.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘हुसैन परिस्थितियों के शिकार हैं. यह रिकॉर्ड में दर्ज है कि पुलिस ने उन्हें सुरक्षा दी थी क्योंकि भीड़ ने उनका घर जलाने की कोशिश की थी. इसके अलावा पुलिस ने स्वार्थी तत्वों और दबाव में आए गवाहों को जुटाकर काफी देरी से उनके बयान दर्ज किए हैं.’

हुसैन पर खुफिया ब्यूरो (आईबी) के अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या में शामिल होने के आरोप भी लगे हैं.

मारे गए आईबी अधिकारी ने हुसैन के घर का दौरा किया

मामले में एक अन्य गवाह हुसैन के पड़ोसी के बयान के अनुसार, दंगों के चार से पांच दिन पहले से ही पार्षद के घर पर गतिविधियां तेज हो गई थीं. हिंसा के चार महीने बाद 24 जून को उसका बयान दर्ज किया गया है.

इस गवाह ने भी दावा किया कि हुसैन ने दंगों से दो-तीन दिन पहले स्क्रैप डीलर से कांच की बोतलें खरीदी थी, यह उसने तब देखा था जब अपने वाहन में पेट्रोल भरवाने जा रहा था. उसने बताया कि हुसैन के कारखाने में काम करने वाले लोगों से ही यह जानकारी मिली थी कि इमारत परिसर में रखी एसिड से भरी कांच की बोतलें पार्षद की थीं.

गवाह ने आगे कहा कि उसने एसिड डीलर को हुसैन के घर पर जाते देखा और पार्षद के ड्राइवरों को अपनी कार से पेट्रोल भरे डिब्बे उतारते हुए भी देखा.

उसने 23, 24 और 25 फरवरी की घटनाओं के संदर्भ में दावा किया कि हुसैन ने अपने लोगों को इलाके में दुकानों को क्षति पहुंचाने के लिए उकसाया, और पत्थर और एसिड की बोतलें फिंकवाईं.

गवाह के अनुसार, आईबी अधिकारी शर्मा अपनी टीम के सदस्यों के साथ हुसैन के घर बातचीत करने गए थे, लेकिन पूर्व आप पार्षद के लोगों ने उन्हें पकड़ लिया और स्थानीय नेता के इशारे पर उनकी पिटाई शुरू कर दी.

शर्मा के साथ गए लोग कथित तौर पर वहां से भाग खड़े हुए, जिससे आईबी अधिकारी वहां अकेले रह गया. जिन लोगों ने शर्मा को पकड़ रखा था वे उन्हें हुसैन के घर के अंदर खींच ले गए, जिसके बाद गवाह भी वहां से चला गया था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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