नयी दिल्ली, 26 जनवरी (भाषा) गणतंत्र दिवस परेड में बुधवार को प्रदर्शित छत्तीसगढ़ की झांकी में राज्य की ‘गोधन न्याय योजना’ को दर्शाया गया।
झांकी में दिखाया गया कि यह योजना किस प्रकार ग्रामीण संसाधनों का उपयोग करने के लिए पारंपरिक ज्ञान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के तालमेल से विभिन्न वैश्विक चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करती है।
झांकी के अग्रभाग में पारंपरिक आदिवासी वेशभूषा में ग्रामीण महिलाओं को गाय का गोबर इकट्ठा करते और उन्हें बिक्री के लिए ‘गौठानों’ के संग्रह केंद्रों में ले जाते हुए दिखाया गया। इन महिलाओं को हस्तनिर्मित वस्त्र एवं गहने पहने दिखाया गया। उनके चारों ओर सजाए गए फूलदान के जरिए गौठानों में सब्जियों और फूलों की खेती को दर्शाया गया।
झांकी में गोबर से बनाए गए दीयों की सजावट ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की आत्मनिर्भरता और आत्म विश्वास का प्रतीक थी।
झांकी के मध्य भाग में दिखाया गया कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के केंद्र में गायों को रखकर पर्यावरण संरक्षण, जैविक खेती, पोषण, रोजगार एवं आय में सुधार के लक्ष्यों को कैसे प्राप्त किया जा सकता है।
झांकी में ग्रामीण महिलाओं के माध्यम से पारंपरिक शिल्प और कलाओं के विकास, विकसित होती जल प्रबंधन प्रणालियों, बढ़ती उत्पादकता और एक भित्ति चित्र के जरिए एक खुशहाल किसान को दर्शाया गया।
भाषा सिम्मी वैभव
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