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Thursday, 25 April, 2024
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टेबल टेनिस की शीर्ष संस्था को ‘कुरियर सर्विस’ बना दिया- दिल्ली HC द्वारा नियुक्त पैनल ने क्या पाया

दिल्ली हाई कोर्ट को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में समिति ने टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया की शासन प्रणाली में कई प्रमुख खामियों को चिह्नित किया और इसके कामकाज में प्रणालीगत सुधारों का सुझाव दिया.

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नई दिल्ली: न्यायमूर्ति गीता मित्तल के नेतृत्व वाली प्रशासकों की एक समिति (कमिटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स- सीओए) का कहना है कि टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीटीएफआई) में पेशेवरों की काफी कमी, इसके कामकाज में कुप्रबंधन और बिना किसी खेल के अनुभव वाले लोगों द्वारा नियंत्रण जमाये जाने ने इस शीर्ष निकाय को विभिन्न प्रतियोगिताओं के लिए प्रविष्टियां भेजने और धन एवं अनुदान के संग्रह के लिए ‘एक कूरियर सेवा’ के रूप में बदल दिया है.

समिति ने 12 सितंबर को दिल्ली उच्च न्यायालय को सौंपी गई एक रिपोर्ट, जिसे दिप्रिंट द्वारा भी देखा गया है, में इन बिंदुओं पर प्रकाश डाला. समिति ने अपनी रिपोर्ट में टीटीएफआई के लिए कई सारे सुधारों का सुझाव दिया है, और इसके शासन प्रणाली में प्रमुख खामियों को ध्यान में रखते हुए इस राष्ट्रीय खेल महासंघ के कामकाज में प्रणालीगत सुधारों की मांग की है.

बता दें कि प्रख्यात टेबल टेनिस चैंपियन मनिका बत्रा द्वारा टीएफएफआई की चयन प्रक्रिया में पूर्वाग्रह का आरोप लगाते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किये जाने के बाद अदालत ने इस खेल संचालन निकाय के मामलों की देखरेख के लिए इस साल फरवरी में एक तीन सदस्यीय सीओए का गठन किया गया था

अपने चार्टर ऑफ ड्यूटीज (कर्तव्यों के आदेश पत्र) के तहत जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल की अध्यक्षता वाले इस पैनल को प्रशासनिक और नियमित कामकाज निभाने के अलावा टूर्नामेंट भी आयोजित करने होते हैं.

रिपोर्ट में चिह्नित किये गए अन्य बिंदुओं में खिलाड़ियों के चयन में पारदर्शिता का आभाव, सुधारों का प्रतिरोध और हितधारकों के बीच काफी कम संवाद शामिल हैं.

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‘अधिकारियों की मनमर्जी और उनकी पसंद’

सीओए की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर यह खेल महासंघ अपने कर्तव्यों का ठीक से पालन करता है, पेशेवर रूप से काम करता है, खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करता है और प्रतिभाओं की सही पहचान करता है, तो यह खेल काफी अच्छे परिणाम दे सकता है

मगर, जैसा कि इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है, यह महासंघ खिलाड़ियों के कल्याण कोई परवाह किये बिना सिर्फ अधिकारियों की मनमर्जी और उनकी पसंद को बढ़ावा देने के लिए अपनी स्थिति का दुरुपयोग कर रहा है.

जनशक्ति की कमी को दूर करने के लिए, यह समिति आवश्यक दिशानिर्देशों के अनुसार पेशेवरों, कोचों और सलाहकारों को काम पर रखने की सिफारिश करती है और इसने यह भी सुझाव दिया है कि बेंगलुरू में एक राष्ट्रीय स्तर का शिविर स्थापित किया जाए.

समिति ने खिलाड़ियों के अनुचित चयन से जुड़े कई मुद्दों को भी चिन्हित किया है. इसका कहना है कि ‘चयन के लिए अपनायी गई नीति में, या किसी अन्य नीतिगत मामलों से सदर्भ में भी, कोई पारदर्शिता नहीं है.’ साथ , इसने अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों के लिए ‘विस्तृत रैंकिंग मानदंड’ और चयन दिशानिर्देशों को लागू करने के उपायों को रेखांकित किया है.

पैनल ने कहा कि इस फेडरेशन (महासंघ) एवं खिलाड़ियों, कोचों तथा राज्य संघों सहित अन्य हितधारकों के बीच आपसी संवाद की भारी कमी है.

इस तरह के संघर्ष को समाप्त करने के लिए, इसने एक व्यापक नीति के माध्यम से खिलाड़ियों के स्थानांतरण के नियमन की सिफारिश की. इसने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंटों के लिए इलेक्ट्रॉनिक ड्रॉ का लॉट्स (लाटरी द्वारा चयन) का भी सुझाव दिया.

इस खेल तक लोगों की पहुंच बढ़ाने के लिए टियर-III और टियर-IV शहरों में भी इस खेल के बुनियादी ढांचे के विकास का प्रस्ताव रखा गया है.

समिति ने खिलाड़ियों की सहायता करने के लिए राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर विशेषज्ञ प्रशिक्षकों के साथ एक ‘उत्कृष्टता केंद्र’ (‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) बनाने का प्रस्ताव रखा. इसने पैरा टेबल टेनिस के खिलाड़ियों के खेल के विकास लिए भी सिफारिश की.

टीटीएफआई को राष्ट्रीय खेल संहिता- जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय खेल संघों के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है- के अनुपालन की भी सलाह दी गई है.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘फेडरेशन, यानि कि टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया (जैसा कि वर्तमान मामले में है) को प्रासंगिक बने रहने के लिए तत्काल अपने घर को व्यस्थित करना होगा.’


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‘प्रगतिशील कदमों को रोकने का हर संभव प्रयास’

पैनल ने इस बात का भी उल्लेख किया है कि अदालत द्वारा सहयोग करने के लिए दिए गए विशिष्ट निर्देशों के बावजूद, ‘किसी भी प्रगतिशील कदम को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किये गए और यह भी कहा है कि टीटीएफआई के अधिकारियों द्वारा निजी या सार्वजनिक निकायों से धन जुटाने का कोई प्रयास नहीं किये गए. रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि टीएफएफआई के लिए वित्तीय संकट पैदा करने के लिए मौजूदा फंडिंग को भी रोक दिया गया था.’

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘विशेषज्ञों, अन्य हितधारकों, उच्च प्रतिष्ठा वाले पूर्व अंतर्राष्ट्रीय खिलड़ियों, और प्रतिष्ठित कोचों को पूरी तरह से हाशिए पर डाल दिया गया है.’

समिति ने टीटीएफआई कार्यालय के स्थान के शहर के ‘काफी अनुचित’ हिस्से के होने की बात को भी चिह्नित किया है. वर्तमान में, टीटीएफआई का कार्यालय मुख्य शहर से काफी दूरी पर रोहतक रोड पर स्थित है. समिति ने सिफारिश की है कि इसके कार्यालय को शहर के अधिक सुगमता से पहुंच के योग्य, उपयुक्त हिस्से में स्थानांतरित कर दिया जाए.

अक्षत जैन नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली के एक छात्र हैं, और दिप्रिंट के साथ एक इंटर्न हैं.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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