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Friday, 5 July, 2024
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सिरो मालाबार चर्च सामूहिक प्रार्थना विवाद: प्रदर्शनकारी पादरियों की लैटिन चर्च से दखल की मांग

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कोच्चि, 18 जून (भाषा) सिरो-मालाबार चर्च में सामूहिक प्रार्थना को लेकर बढ़ते विवाद के बीच, एर्नाकुलम-अंगामाली आर्चडायोसिस की प्रेस्बिाइटेरल काउंसिल के सचिव ने लैटिन कैथोलिक चर्च के सभी आर्चबिशप और बिशप को एक पत्र भेजकर इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है।

सोमवार को लिखे अपने पत्र में आर्चडायोसिस के प्रेस्बिाइटेरल काउंसिल के सचिव फादर कुरियाकोस मुंडादन ने आरोप लगाया कि एर्नाकुलम-अंगामाली आर्चडायोसिस के मेजर आर्कबिशप और अपोस्टोलिक प्रशासक द्वारा जारी परिपत्र में आर्चडायोसिस के प्रदर्शनकारी पादरियों को धमकी दी गई है कि यदि वे तीन जुलाई, 2024 तक ‘यूनिफॉर्म होली मास’ या ‘सिनॉड मास’ (सामूहिक प्रार्थना) में शामिल नहीं होते हैं, तो उन्हें बहिष्कृत कर दिया जाएगा।

पत्र में भारत में लैटिन कैथोलिक चर्च के आर्चबिशप और बिशप से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया गया है। इसमें कहा गया है कि हालांकि सिरो-मालाबार चर्च पोप के अधीन एक स्वशासित चर्च है, “जब उस चर्च में घटनाओं की श्रृंखला इतनी निंदनीय हो जाती है, तो आपको कैथोलिक चर्च की छवि और चर्च के प्रति अपनी जिम्मेदारी के बारे में फिर से सोचना होगा।”

लैटिन चर्च और सिरो-मालाबार चर्च दोनों ही कैथोलिक चर्च के अंतर्गत स्वायत्त चर्च हैं, जो पोप के अधिकार के तहत आते हैं।

‘होली मास’ विवाद को लेकर चर्च में बढ़ते तनाव के बारे में पत्र में कहा गया है कि 16 जून 2024 को स्थिति चरम बिंदु पर पहुंच गई।

पत्र में कहा गया है कि मेजर आर्कबिशप और अपोस्टोलिक प्रशासक का परिपत्र एर्नाकुलम-अंगामाली के आर्चडायोसिस के अंतर्गत 328 चर्च, फिलियल चर्च और पवित्र प्रार्थना केंद्रों में से केवल 10 में पढ़ा गया।

कई जगहों पर तो परिपत्र को जलाया गया जो बढ़ते तनाव को रेखांकित करता है।

भाषा प्रशांत मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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