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Wednesday, 22 May, 2024
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व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने के लिए स्वीडिश राजा भारत पहुंचे, कश्मीर पर स्वीडन खड़े कर चुका है सवाल

पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत-नोर्डिक समिट में स्वीडन गए थे. पिछले 30 सालों में वहां की यात्रा करने वाले वो पहले प्रधानमंत्री हैं. उनसे पहले 1988 में राजीव गांधी ने स्वीडन की यात्रा की थी.

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नई दिल्ली: स्वीडन के राजा कार्ल सोलहवें गुस्ताफ तथा रानी सिल्विया सोमवार को पांच दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंचे. राजा गुस्ताफ दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत करने के लिए राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करेंगे. दिल्ली के अलावा शाही दंपत्ति मुम्बई और उत्तराखंड भी जाएगा.

विदेश मंत्रालय द्वारा जारी संशोधित परामर्श के मुताबिक राजा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात कर द्विपक्षीय और पारस्परिक हितों के बहुपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे.

विदेश मंत्री एस जयशंकर भी स्वीडन के राजा से मुलाकात करेंगे.

मंत्रालय के परामर्श के मुताबिक दिल्ली में इस शाही जोड़े के सोमवार को जामा मस्जिद, लाल किला और गांधी स्मृति जाने का कार्यक्रम है.,राजा गुस्ताफ का यह तीसरा भारत दौरा है.

विदेश मंत्रालय ने पहले कहा था कि राजा के साथ एक उच्चस्तरीय कारोबारी प्रतिनिधिमंडल भी आ रहा है. इसमें कहा गया, ‘द्विपक्षीय संब‍ंधों को और मजबूती देने वाले दस्तावेजों पर इस दौरान दस्तखत किए जाने की उम्मीद है.’

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कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति पर स्वीडन ने खड़े किए थे सवाल

स्वीडन के राजा की ये यात्रा उस समय हो रही है जब 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले के बाद मोदी सरकार से अंतरराष्ट्रीय तौर पर कई सवाल पूछे जा रहे हैं.

जर्मनी और फिनलैंड के बाद स्वीडन ही यूरोपियन यूनियन का देश है जिसने जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति पर सवाल उठाए थे और इसपर भारत का रुख जानने की कोशिश की थी.

जानकार मानते हैं कि 1980 के दशक के दौरान बोफोर्स घोटाले के बाद से स्वीडन और भारत के रिश्तों में एक दूरी बनती चली गई. भारत में कई स्वीडिश फर्म काम करती है.

पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत-नोर्डिक समिट में स्वीडन गए थे. पिछले 30 सालों में वहां की यात्रा करने वाले वो पहले प्रधानमंत्री हैं. उनसे पहले 1988 में राजीव गांधी ने स्वीडन की यात्रा की थी.

2010-12 के दौरान स्वीडन में रहे भारतीय राजदूत अशोक साजनहार ने कहा कि इस यात्रा के दौरान कश्मीर की स्थिति पर भी बातचीत हो सकती है लेकिन प्राथमिक फोकस व्यापार और बिजनेस है.

उन्होंने कहा कि स्वीडिश सरकार भारत को ग्रीपन फाइटर्स बेचने के लिए काफी गंभीर है. इस यात्रा से दोनों देशों के बीच राजनीतिक संबंधों के भी आगे बढ़ने के आसार हैं.

निवेश, रोजगार के अवसरों पर जोर देगा स्वीडन का प्रतिनिधिमंडल

स्वीडन के राजा और रानी के साथ एबीबी, आइकिया, एरिक्सन और वॉल्वो जैसी कंपनियों के अधिकारियों समेत 100 कारोबारियों का उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी होगा.

भारत में स्वीडन के व्यापार दूत एंडर्स विकबर्ग ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल दिल्ली के साथ ही मुंबई में भी स्थानीय उद्योग जगत के साथ बैठकें करेगा. उन्होंने कहा कि इस यात्रा से भारत को उच्च गुणवत्ता वाला निवेश मिलेगा जिससे प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण तथा रोजगार सृजन सुनिश्चित होगा.

अभी देश में स्वीडन की 200 से अधिक कंपनियां काम कर रही हैं और दो लाख से अधिक लोगों को रोजगार मुहैया करा रही हैं.

विकबर्ग ने कहा कि स्वीडन की कंपनियों के जरिये भारत में रोजगार के अवसर तथा निवेश में पिछले दो साल में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है.

उन्होंने कहा कि स्वीडन के राजा कार्ल सोलहवें गुस्ताफ तथा रानी सिल्विया की यात्रा के अवसर पर उनके देश के कारोबार जगत का एक प्रतिनिधिमंडल भी दो दिसंबर से पांच दिसंबर तक भारत की यात्रा पर होगा .

उल्लेखनीय है कि चीन और जापान के बाद भारत स्वीडन का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है.

विकबर्ग ने कहा कि विनिर्माण, क्लीनटेक तथा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के आपसी आर्थिक हित हैं तथा ये क्षेत्र दोनों देशों के संबंधों को आगे बढ़ा रहे हैं.

उन्होंने बताया कि आइकिया और एचएंडएम जैसी कंपनियों के कारण भारत में स्वीडन की कंपनियों की खुदरा क्षेत्र में उपस्थिति बढ़ रही है. हाल ही में स्वीडन की मीडिया सेवा कंपनी स्पॉटिफाइ ने भी यहां कारोबार की शुरुआत की.

(नयनिमा बासु और भाषा के इनुपट के साथ)

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