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शुक्रवार, 13 जून, 2025
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स्वदेशी जागरण मंच विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करेगा

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नयी दिल्ली, 10 जून (भाषा) स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने मंगलवार को कहा कि वह लोगों को स्वदेशी उत्पादों का उपयोग करने और विदेशी सामान का बहिष्कार करने के लिए प्रोत्साहित करने के वास्ते इस सप्ताह एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करेगा। उसने सरकार से चीनी उत्पादों के आयात पर अंकुश लगाने की मांग भी की।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध संगठन ने सरकार से अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौत करते समय राष्ट्रीय हित की रक्षा करने और ई-कॉमर्स की बड़ी कंपनियों का नियमन करने की भी मांग की ताकि वह वस्तु की कीमतों को इतना कम न कर सकें जिससे छोटे व्यापारी प्रभावित हों।

एसजेएम के राष्ट्रीय सह समन्वयक अश्वनी महाजन ने एक बयान में कहा, ‘स्वदेशी सुरक्षा एवं स्वावलंबन अभियान’ को बृहस्पतिवार को एक कार्यक्रम में शुरू किया जाएगा।

उन्होंने व्यापारियों, उद्योगों के प्रतिनिधियों, किसान, छात्रों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों समेत विभिन्न तबकों के लोगों से भारत को फिर से महान बनाने के लिए आंदोलन का हिस्सा बनने की अपील की।

महाजन ने कहा,’उपभोक्ता को एक जागरूक नागरिक बनना चाहिए, न कि केवल एक निष्क्रिय खरीदार। जब कोई एक चीनी आयात पर एक स्थानीय उत्पाद चुनता है, या एक विदेशी डिजिटल एकाधिकार पर एक भारतीय मंच का समर्थन करता है, तो वह राष्ट्र-निर्माण में भाग ले रहा होता है।’

बयान में कहा गया है, “हम सरकार से चीनी उत्पादों के आयात पर अंकुश लगाने और अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों में प्रवेश करते हुए राष्ट्रीय हित की रक्षा करने की मांग करते हैं।”

एसजेएम ने सरकार से स्वदेशी डिजिटल मंचों और भारतीय एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) को ओएनडीसी (डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क) जैसे स्टार्ट अप्स को ‘प्रोत्साहन’ प्रदान करने और उनका समर्थन करने का भी आग्रह किया।

इसने सरकार से ‘भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार और अन्य रणनीतिक उद्योगों’ की रक्षा और बढ़ावा देने का आह्वान किया।

महाजन ने कहा कि भारत का स्वतंत्रता संघर्ष केवल ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से राजनीतिक स्वतंत्रता हासिल करने के लिए एक आंदोलन नहीं था, बल्कि आर्थिक गरिमा, सांस्कृतिक पहचान और सभ्यतागत संप्रभुता का अभिकथन भी था।

महाजन ने कहा, ‘आज, स्वतंत्रता के सात दशक से भी अधिक समय बाद, हम एक बार फिर आर्थिक उपनिवेशवाद के मूक लेकिन खतरनाक स्वरूप का सामना कर रहे हैं।’

उन्होंने दावा किया, ‘चीन लंबे समय से भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है, लेकिन यह संबंध तेजी से एकतरफा और खतरनाक होता जा रहा है। चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है और वर्तमान में 99.2 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है, सस्ता और अक्सर घटिया सामान भारतीय बाजारों में प्रवेश कर रहा है, हमारे एमएसएमई को नुकसान पहुंच रहा है, नौकरियां खत्म कर रहा है और घरेलू विनिर्माण क्षमता कमजोर हो रही है।’ उन्होंने कहा कि तुर्किये मौजूदा राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन के नेतृत्व में भारत विरोधी विमर्श और पाकिस्तान तथा चरमपंथी ताकतों के साथ “नापाक गठजोड़” में लिप्त है और फिर भी, तुर्किये की कंपनियां भारत में स्वतंत्र रूप से निवेश और परिचालन जारी रखे हुए हैं और “हमारे खुले बाजार का लाभ उठाते हुए हमारी संप्रभुता को कमजोर कर रही हैं।’

भाषा नोमान नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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