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सोमवार, 9 जून, 2025
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विपक्षी सांसदों का निलंबन ‘अपरिहार्य’ था, अनुचित व्यवहार के कारण निंलबन कार्रवाई हुई : धनखड़

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नयी दिल्ली, 22 दिसंबर (भाषा) राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने उच्च सदन के सदस्यों के निलंबन को ‘अपरिहार्य’ करार देते हुए न्यायोचित ठहराया है तथा कहा है कि सदस्यों के ‘अति अनुचित व्यवहार’ के कारण उन्हें यह कदम उठाना पड़ा है।

धनखड़ ने यह भी कहा है कि लोकतंत्र के मंदिर को सदस्यों की ‘अवमानना’ से बचाने के लिए उन्होंने निलंबन की कार्रवाई की है।

धनखड़ ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार को लिखे पत्र में संसद में सुरक्षा चूक के मुद्दे पर ‘सामूहिक चिंता’ प्रदर्शित करने के बजाय ‘राजनीतिकरण की व्यापक अवधारणा’ पर अपनी पीड़ा व्यक्त की।

उन्होंने कहा, ‘‘जब लोकतंत्र के मंदिर को अपवित्र किया जाता है तो वरिष्ठ सांसद के रूप में आप निश्चित ही इस बात से सहमत होंगे कि सभापति ने इस अवसर पर उचित कदम उठाये हैं।’’

पवार ने राज्यसभा के सभापति को पत्र लिखकर संसद की सुरक्षा में चूक पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान की मांग की थी तथा तख्तियां दिखाने और नारे लगाने वाले सदस्यों को सदन से निलंबित करने के मामले में उनसे (सभापति से) हस्तक्षेप की मांग की थी।

धनखड़ ने पवार को लिखे पत्र में कहा है, ‘आपके और अन्य नेताओं के प्रति अत्यंत संयमित असहमति जताते हुए कहना चाहता हूं कि (विपक्षी सदस्यों में) इस मामले के प्रति ‘राजनीतिकरण’ की व्यापक धारणा समाहित है। ये सदस्य ऐसे मामलों के लिए सामूहिक चिंता जताने और इससे निपटने के लिए सामूहिक संकल्प प्रदर्शित करने से कोसों दूर रहे।’

पवार ने 19 दिसंबर को राज्यसभा के सभापति को पत्र लिखा था, जिसका जवाब धनखड़ ने उसी दिन दे दिया था।

धनखड़ ने कहा, ‘‘सदस्यों के अति अनुचित व्यवहार और आसन के निर्देशों की लगातार अवहेलना के कारण उनका (सदस्यों का) निलंबन अपरिहार्य हो गया था।’’

भाषा सुरेश रंजन

रंजन

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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