scorecardresearch
Friday, 26 April, 2024
होमदेशहीरे की चमक को लेकर मुंबई और सूरत में कंपटीशन, हीरा कारोबारियों को मुंबई छोड़ने के लिए भी लुभा रहा

हीरे की चमक को लेकर मुंबई और सूरत में कंपटीशन, हीरा कारोबारियों को मुंबई छोड़ने के लिए भी लुभा रहा

अभी निर्माणाधीन सूरत डायमंड बॉर्स के तीन-चार महीनों में खुल जाने की उम्मीद है. इसमें करीब 4,400 कारोबारियों के बैठने की जगह होगी लगभग 1.5 लाख लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है.

Text Size:

मुंबई/सूरत: भारत में ‘डायमंड सिटीज’ के तौर पर ख्यात सूरत और मुंबई के बीच पिछले माह तक अपने-अपने काम को लेकर एक स्पष्ट बंटवारा नजर आता था. सूरत की वर्कशॉप में खुरदुरे पत्थरों को बारीकी से तराशकर चमचमाते हीरों की शक्ल दी जाती और इन अनमोल हीरों के वितरण और निर्यात की जिम्मेदारी मुंबई पर होती. लेकिन अब मुंबई को ऐसा लगने लगा है कि सूरत लगातार अपना कद बढ़ा रहा है. दरअसल, गुजरात का यह शहर न केवल एक नया डायमंड एक्सचेंज (एक्सचेंज) खोलने की प्रक्रिया में है, बल्कि कथित तौर पर हीरा कारोबारियों को मुंबई छोड़ने के लिए भी लुभा रहा है.

अभी निर्माणाधीन सूरत डायमंड बॉर्स (एसडीबी) के तीन-चार महीनों में खुल जाने की उम्मीद है जो 66 लाख वर्ग फुट से अधिक क्षेत्र में बन रहा है. और करीब 3,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ तैयार हो रही इस शानदार ‘डायमंड सिटी’ में नौ 16 मंजिले टॉवर होंगे, जिनमें करीब 4,400 कारोबारियों के बैठने की जगह होगी लगभग 1.5 लाख लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है. इसका अपना कस्टम क्लीयरेंस हाउस भी होगा.

सूरत डायमंड बॉर्स (एसडीबी) का एक निर्माणाधीन टावर | फोटो: पूर्वा चिटणीस/दिप्रिंट

सूरत में जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के क्षेत्रीय प्रमुख और एसडीबी कमेटी सदस्य दिनेश नवादिया के मुताबिक, इसके उद्घाटन के लिए एसडीबी समिति न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बल्कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भी आमंत्रित करने की योजना बना रही है.

हालांकि, जिस बात ने मुंबई में सबसे ज्यादा हलचल मचाई है, उसका संबंध एक सर्कुलर से है जिसे सूरत डायमंड एक्सचेंज ने पिछले माह अपने सदस्यों को भेजा था. इसमें कहा गया है कि जो लोग अपना कारोबार मुंबई से यहां शिफ्ट करेंगे और अपने तराशे और पॉलिश किए हुए हीरों की बिक्री सूरत से करेंगे उन्हें ‘अग्रणी सदस्यों’ की सूची में जगह दी जाएगा, और रिसेप्शन एरिया में उन्हें विशाल डिस्प्ले का मौका मिलेगा. इतना ही नहीं, सर्कुलर में यह वादा भी किया गया था कि पहले चरण में एसडीबी से पॉलिश्ड डायमंड ट्रेडिंग शुरू करने वाले कारोबारियों को अगले छह माह तक मेंटीनेंस संबंधी मासिक शुल्क से 100 फीसदी छूट मिलेगी.

ऐसे में, मुंबई के भारत डायमंड बॉर्स की तरफ से यह आशंका जताना लाजिमी ही है कि सूरत का इरादा उसकी चमक छीनने का है और ऐसी भी खबरें आई हैं कि मुंबई के प्रमुख हीरा कारोबारियों ने इस सर्कुलर को ‘आपत्तिजनक’ करार दिया है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

इस बीच, सूरत का कहना है कि यह सिर्फ कारोबार को बढ़ावा देने की एक कोशिश है. नवादिया ने दिप्रिंट से कहा, ‘ये एक सकारात्मक प्रतिक्रिया है… बहुत से लोग तैयार हैं. लेकिन कितने लोग शिफ्ट होंगे यह तो तभी पता चलेगा जब यह शुरू होगा. सर्कुलर लोगों को मुंबई में कारोबार बंद करने के लिए मजबूर नहीं कर रहा है. यह गलतफहमी हो सकती है. यह हमारे कारोबार को बढ़ावा देने की एक आकर्षण योजना है. और जब भी कोई बड़ा बाजार होता है, तो वह दो जगहों पर टिक सकता है.’

दिप्रिंट ने जीजेईपीसी के अध्यक्ष कॉलिन शाह से संपर्क साधने की कोशिश की, जिनका भारत डायमंड बॉर्स में एक कार्यालय है, लेकिन यह रिपोर्ट प्रकाशित होने तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. दिप्रिंट ने कई हीरा कारोबारियों से भी बात की, जिनमें से कुछ ने कहा कि वे सूरत जाने को तैयार हैं, लेकिन अन्य की शिकायत थी की कि एसडीबी जिस तरह से खुद को संचालित कर रहा है वह ‘सही नहीं’ है.


यह भी पढ़ें: क्या नाम दें? मुख्यालय कहां होगा? AP के जिलों को दोगुना करने के जगन के कदमों का विरोध क्यों हो रहा


कुछ लोगों के लिए ऑफर बेहद आकर्षक

मनोहरभाई संस्पारा, जिनकी कंपनी साहिल स्टार के मुंबई और सूरत के अलावा विदेशों में भी ऑफिस हैं, का कहना है कि वह अपना अधिकांश व्यवसाय सूरत शिफ्ट करने पर विचार कर रहे हैं क्योंकि यह एक ‘कम लागत वाला शहर’ है. वह पहले से ही सूरत में रहते हैं और अभी हफ्ते में दो बार मुंबई आते-जाते हैं.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘खर्चे कम हैं…और यहां सूरत में ऑफिस नो-कॉस्ट-नो-प्रॉफिट पर दिए जाते हैं, इसलिए किराया 60-70 रुपये प्रति वर्ग फुट से अधिक नहीं होता. और यहां लाइफस्टाइल भी बहुत सस्ती है.’ साथ ही यह उम्मीद जताई कि मुंबई में रहने वाले उनके हीरा कारोबारी भाई भी जल्द ही सूरत शिफ्ट हो जाएंगे.

संस्पारा के मुताबिक, सूरत में कई और भी चीजें अच्छी हैं, मसलन कनेक्टिविटी की सुविधा, कम यातायात, जल्द शुरू होने वाली मेट्रो सुविधा, और आर्थिक रूप से अधिक स्थिर जीवनशैली कायम रखने का मौका. उन्होंने कहा, ‘निश्चित तौर पर लोग यहां शिफ्ट होंगे क्योंकि लागत कम है और जीवनशैली अच्छी है.’

हालांकि, उन्होंने कहा कि पूरी तरह कारोबार यहां शिफ्ट होना दूर की कौड़ी है, और दोनों ही एक्सचेंज काम करना जारी रख सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘एक बुलेट ट्रेन भी चलनी है जो इन दोनों शहरों को और करीब लाएगी.’

सूरत डायमंड एसोसिएशन के सचिव दामजीभाई मवानी ने दावा किया कि उनके शहर में आने से कारोबारियों के खर्च का पांचवा हिस्सा कम हो जाएगा.

मवानी ने कहा, ‘अगर कच्चे माल के आपूर्तिकर्ता भी यहां अपने कार्यालय खोल लेते हैं तो व्यापारियों के लिए लागत बहुत कम हो जाएगी, जिन्हें अभी कच्चा माल लेने के लिए दुबई, बेल्जियम जाना पड़ता है.’

हालांकि, हर कोई इस बात से आश्वस्त नहीं है.

‘यह कतई ठीक नहीं है’

मुंबई के हीरा कारोबारी संजय कोठारी ने इजरायल और न्यूयॉर्क का उदाहरण देते हुए कहा कि दोनों शेयर बाजार एक साथ काम कर सकते हैं.

हालांकि, उन्होंने सूरत डायमंड बॉर्स की तरफ से प्रस्तावित प्रोत्साहनों को ठीक नहीं माना. कोठारी ने कहा, ‘यह कतई सही नहीं है. जो जहां कहीं भी सहज है, वह वहां जा सकता है. और छह महीने फ्री मेंटीनेंस का प्रोत्साहन भी सही नहीं है.’

उन्होंने माना, ‘इससे मुंबई के कारोबार पर थोड़ा असर तो पड़ेगा लेकिन हम देखते हैं आगे क्या होता है. कुछ (सूरत) जाएंगे और कुछ नहीं भी जाएंगे. हीरे का कारोबार बहुत बड़ा है, इसलिए दोनों जगह काम चलता रहेगा.’

मुंबई में हीरे की दुकान के मालिक कुमार जैन ने कहा कि उनका शिफ्ट होने का कोई इरादा नहीं है. उन्होंने सवाल उठाया, ‘मैं वहां क्यों शिफ्ट होऊंगा जब मैंने मुंबई में इतने वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद अपने ग्राहक बनाए हैं.’

मुंबई और सूरत : पुराने समीकरण बिगड़ रहे

मुंबई और सूरत दोनों डायमंड हब हैं, लेकिन पारंपरिक तौर पर इस उद्योग से जुड़े अलग-अलग कार्य करते रहे हैं.

अफ्रीका, रूस और बेल्जियम की खदानों से कच्चे हीरे सूरत पहुंचते हैं, जहां उन्हें तराशा और पॉलिश किया जाता है. जीजेईपीसी के मुताबिक, दुनिया के 90 प्रतिशत हीरे सूरत में ही तराशे और पॉलिश किए जाते हैं, और 1960 के दशक से यह शहर इस मोर्चे पर अग्रणी रहा है.

Workers cut and polish diamonds at a factory in Surat, Gujarat | Praveen Jain | ThePrint
गुजरात के सूरत में एक कारखाने में हीरे काटने और पॉलिश करने वाले श्रमिकों की फोटो | प्रवीण जैन | दिप्रिंट

हालांकि, हीरे पॉलिश होने के बाद उन्हें मुंबई भेजा जाता है, जहां से वह देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंचते हैं और उनका निर्यात भी किया जाता है।

मुंबई के कारोबारियों को हीरे भेजने की व्यवस्था 1970 के दशक में शुरू हुई, लेकिन भारत डायमंड बोर्स (बीडीपी) की स्थापना 2010 में जाकर हुई थी. 20 लाख वर्ग फुट में फैले बीडीबी के नौ टावर हैं जिनमें 2,500 कार्यालय हैं. भारत के करीब 98 प्रतिशत हीरों का निर्यात यहीं से होता है.

जीजेईपीसी के मुताबिक, अप्रैल-दिसंबर 2021 के दौरान, कटे और पॉलिश किए गए हीरों का निर्यात बढ़कर 18 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया था.

मवानी ने कहा, ‘पारपंरिक तौर पर सूरत सारा उत्पादन करता रहा है, जबकि सभी कॉर्पोरेट कार्यालय मुंबई में हैं.’ लेकिन पुराने समीकरणों में कई तरह से आने वाले बदलावों के कारण महाराष्ट्र और गुजरात के बीच आमतौर पर सौहार्दपूर्ण रहने वाले रिश्ते कुछ प्रभावित हुए हैं.

खासकर, सिंगापुर की तर्ज पर बिजनेस डिस्ट्रिक बनाने के इरादे के साथ गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (जीआईएफटी) की घोषणा होने के बाद महाराष्ट्र के राजनीतिक वर्ग ने केंद्र सरकार पर मुंबई से व्यवसायों को छीनने और उन्हें गुजरात शिफ्ट करने के प्रयास करने का आरोप लगाना शुरू कर दिया है.

महाराष्ट्र सरकार भी मुंबई में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) को एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) मंजूरी नहीं देने के लिए केंद्र से नाराज है. उसका आरोप है कि गुजरात में गिफ्ट सिटी को तरजीह देने के लिए ऐसा किया गया.

इस सबके बीच, सूरत में नए डायमंड एक्सचेंज की तैयारी ने मुंबई के कारोबारियों को नाराज कर दिया है, जो महसूस करते हैं कि केवल किसी एक एक्सचेंज को प्राथमिकता देने के बजाये दोनों के साथ मिलकर काम करने पर जोर दिया जाना चाहिए.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: डिजिटल चुनाव प्रचार- क्रान्ति या सिर्फ हवा? पिछले 3 महीनों में फेसबुक पर सिर्फ 8 करोड़ रुपए ही हुए खर्च


share & View comments