scorecardresearch
Thursday, 2 May, 2024
होमदेशबिहार में जातिगत Census को चुनौती वाली याचिका पर 20 जनवरी को होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

बिहार में जातिगत Census को चुनौती वाली याचिका पर 20 जनवरी को होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

याचिकाकर्ता अखिलेश कुमार ने 6 जून, 2022 को जारी बिहार सरकार की अधिसूचना को रद्द करने का अनुरोध किया है. राज्य में 7 जनवरी से जातिगत जनगणना जारी है.

Text Size:

नई दिल्लीः बिहार में जातिगत जनगणना कराने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 20 जनवरी को सुनवाई करेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई.

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील द्वारा मामले का उल्लेख किए जाने के बाद इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.

पीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई अगले शुक्रवार यानी 20 जनवरी को की जाएगी. गौरतलब है कि जातिगत जनगणना के संबंध में यह दूसरी याचिका है.

अधिवक्ता बरुण कुमार सिन्हा के जरिये दायर जनहित याचिका में बिहार सरकार के उप सचिव द्वारा राज्य में जातिगत जनगणना कराने के लिए जारी अधिसूचना को रद्द करने और अधिकारियों को इस पर आगे बढ़ने से रोकने का अनुरोध किया गया है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

याचिकाकर्ता अखिलेश कुमार ने छह जून, 2022 को जारी बिहार सरकार की अधिसूचना को रद्द करने का अनुरोध किया था.

वहीं, बिहार में सात जनवरी से जाति आधारित जनगणना का पहला चरण शुरू हो गया. राज्य के सभी 38 जिलों में यह गणना दो चरणों में की जाएगी.

पहले चरण का काम, सात जनवरी से शुरू हुआ है जो कि 21 जनवरी तक पूरा हो जाएगा. इसमें राज्य के सभी घरों की संख्या की गणना की जाएगी.

वहीं, सर्वे का दूसरा चरण एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक चलने की संभावना है. इस दौरान, सभी जातियों, उप-जातियों, सामाजिक-आर्थिक स्थितियों से संबंधित आंकड़े जुटाए जाएंगे.

तेजस्वी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर उसकी ‘गरीब विरोधी’ नीतियों के लिए भी निशाना साधा था.

यादव ने कहा था, ‘बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण शुरू हो गया. यह हमें वैज्ञानिक आंकड़े उपलब्ध कराएगा, ताकि उसके अनुसार बजट और समाज कल्याण की योजनाएं बनाई जा सकें.’

उन्होंने कहा, ‘बीजेपी गरीब विरोधी है. वे सर्वेक्षण नहीं होने देना चाहते.’

केंद्र सरकार द्वारा इस कवायद से लगातार इनकार करने के बावजूद नीतीश सरकार ने 18 फरवरी 2019 और फिर 27 फरवरी 2020 को जातीय जनगणना का प्रस्ताव बिहार विधानसभा और विधान परिषद में पास करवा लिया था. बिहार कैबिनेट ने पिछले साल 2 जून को जातिगत जनगणना का फैसला लिया था.

सर्वेक्षण में 38 जिलों में अनुमानित 2.58 करोड़ घरों में 12.70 करोड़ की अनुमानित आबादी शामिल होगी, जिसमें 534 ब्लॉक और 261 शहरी स्थानीय निकाय हैं. सर्वेक्षण का पूरा काम 31 मई, 2023 तक पूरा किया जाएगा.

राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि सरकार राज्य में जाति आधारित जनगणना कराने के लिए पूरी तरह से तैयार है.


यह भी पढ़ेंः बिहार में जातिगत जनगणना शुरू, तेजस्वी बोले- ‘BJP डरी हुई’; नीतीश ने कहा, ‘सरकार पूरी तरह से तैयार’


 

share & View comments