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Friday, 10 January, 2025
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शीर्ष अदालत ने समझौते का लिया संज्ञान, अडानी के खिलाफ जीयूवीएनएल की क्यूरेटिव याचिका बंद

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नयी दिल्ली, आठ फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने अडानी पावर (मुंद्रा) लिमिटेड और गुजरात ऊर्जा विकास निगम (जीयूवीएनएल) के बीच हुए समझौते पर मंगलवार को संज्ञान लिया और निजी कंपनी की ओर से बिजली खरीद समझौता (पीपीए) रद्द करने को सही ठहराये जाने संबंधी शीर्ष अदालत के 2019 के फैसले के खिलाफ राज्य के सार्वजनिक उपक्रम की क्यूरेटिव (उपचारात्मक) याचिका का निपटारा कर दिया।

प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को जीयूवीएनएल की ओर से अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने बताया कि तीन जनवरी को राज्य के सार्वजनिक उपक्रम और अडानी पावर (मुंद्रा) लिमिटेड के बीच समझौते पर सहमति बन गई है।

वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि समझौते के मद्देनजर क्यूरेटिव याचिका बंद की जा सकती है और उसके अनुरूप ही फैसले में बदलाव किया जा सकता है।

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति यू.यू. ललित, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत शामिल हैं। पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘हम यह दर्ज करते हुए मामले का निपटारा करते हैं कि दोनों पक्ष समझौते के तहत कार्य करेंगे।’’

सुनवाई के प्रारम्भ में, वेणुगोपाल ने समझौते का हवाला देते हुए कहा कि शीर्ष अदालत को इस सीमा तक फैसले को संशोधित करने की जरूरत है कि अडानी समूह द्वारा पीपीए को खत्म करने को प्रभावी नहीं माना जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘दूसरा, न्यायालय को यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि समझौते पर सहमति के कारण अब अडानी पावर (मुंद्रा) लिमिटेड को प्रतिपूरक शुल्क लेने की दी गयी आजादी वापस ली जाए। इसी प्रतिपूरक शुल्क की आजादी के तहत अडानी समूह ने सीईआरसी के समक्ष हम (पीएसयू) पर लगभग 10,000 करोड़ रुपये का दावा दायर किया था।’’

वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘राज्य के सार्वजनिक उपक्रम को नुकसान पहुंचाने वाले पहलुओं को निष्प्रभावी कर दिया गया है और इसलिए दोनों पक्ष मामले को बंद करना चाहते हैं। कृपया समझौता के पहलू को (रिकॉर्ड में) दर्ज करें और फैसले को संशोधित करें।’’

अडानी पावर के वकील ने भी वेणुगोपाल के अनुरोध का समर्थन किया और कहा कि शीर्ष अदालत अपने आदेश में समझौते को रिकॉर्ड कर लेती है तो अडानी समूह की कंपनी जीयूवीएनएल को दो हजार मेगावाट बिजली की आपूर्ति बहाल करेगी।

शुरू में पीठ ने क्यूरेटिव याचिका की सुनवाई दौरान फैसले में संशोधन को लेकर आने वाली दिक्कतों का हवाला दिया। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘जब हमने क्यूरेटिव याचिका पर सुनवाई शुरू कर दी है तो उस याचिका में दिये गये बिंदुओं के आधार पर हम फैसले में जब तक हस्तक्षेप नहीं करते तब तक फैसले को संशोधित कैसे कर सकते हैं?’’

वेणुगोपाल ने संविधान के अनुच्छेद 142 में समाहित असाधारण शक्तियों का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके तहत प्रदत्त शक्तियां पीठ को न्याय हित में फैसले को बदलने का अधिकार प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘शीर्ष अदालत को सुप्रीम कोर्ट नियामवली के तहत जरूरी कदम उठाने के लिए अंतर्निहित शक्तियां भी उपलब्ध हैं।’’

इसके बाद पीठ ने रिकॉर्ड में शामिल किया कि दोनों पक्षों के बीच तीन जनवरी को समझौता हो चुका है, ऐसी स्थिति में वह गुजरात के पीएसयू की क्यूरेटिव याचिका का निपटारा करती है।

गौरतलब है कि 17 सितंबर 2021 को हुई अहम घटना में शीर्ष अदालत से कहा कि वह जीयूवीएनएल की ओर से दायर क्यूरेटिव याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई करेगी जिसमें उद्योग के आकलन के मुताबिक अड़ानी समूह को करीब 10,000 करोड़ रुपये का हर्जाना दिया जाना था।

उच्चतम न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने जुलाई 2019 में फैसला दिया था कि अडानी पावर द्वारा वर्ष 2009 में जीयूवीएनएल को पीपीए को रद्द करने का नोटिस कानूनी रूप से वैध था।

भाषा

सुरेश अनूप

अनूप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.