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Saturday, 21 December, 2024
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370 से जुड़े मामले संविधान पीठ के पास, एससी ने नहीं की फारूक अब्दुल्ला से जुड़ी याचिका पर सुनवाई

ये याचिकाएं बच्चों के अधिकारों, संचार सेवाओं, राज्य में अस्पतालों, सामान्य चिकित्सा सेवाओं और पत्रकारों की बेरोकटोक आवाजाही को बहाल करने के लिए दायर की गई हैं.

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नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं को सुनवाई के लिए एक अलग संविधान पीठ के पास भेज दिया गया है. इसकी अध्यक्षता एवी रमन्ना करेंगे. राज्य में बच्चों के अवैध हिरासत को लेकर एनाक्षी गांगुली और प्रोफेसर शांता सिन्हा की दायर पीआईएल और बाकि अन्य याचिकाओं पर सुनवाई यह पीठ कल से शुरू करेगी. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने वक्त की कमी का हवाला देकर इन मामलों पर सुनवाई से इंकार कर दिया जिसके बाद इन्हें अलग संविधान पीठ के पास भेजा गया है.

बता दें कि एमडीएमके नेता वाइको ने फारूक अब्दुल्ला की हिरासत को लेकर याचिका दायर की थी. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा इसे पीएसए एक्ट के तहत चुनौती दी जा सकती है. ऐसे में याचिका रद्द कर दी गई है. गोगोई ने कहा कि हमारे पास कई मामले पर सुनवाई के लिए समय नहीं है. संवैधानिक पीठ के समक्ष अभी अयोध्या मामले की सुनवाई चल रही है.

अनुच्छेद 370 पर याचिकाएं

सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य याचिका को भी संविधान पीठ को भेजा है जिसे कश्मीर टाइम्स के एग्जिक्यूटिव एडिटर अनुराधा भसीन ने दायर किया है. भसीन ने राज्य में अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद कश्मीर में ठप्प संचार व्यवस्था को बहाल करने, राज्य में पत्रकारों की बेरोकटोक आवाजाही सुनिश्चत करने की मांग की है.

संविधान पीठ की अध्यक्षता करने वाले एनवी रमन्ना कल अनुच्छेद 370 हटाये जाने से जुड़े मामलों की सुनवाई की शुरुआत करेंगे.

वहीं कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र को नोटिस जारी किया है जिसमें सरकार को तुरंत जम्मू-कश्मीर में हाईस्पीड इंटरनेट सेवा और फिक्सड लैंडलाइन फोन सेवाओं, सभी अस्पतालों और मेडिकल सेवाओं को शुरू करने को लेकर निर्देश देने को कहा है.

इससे पहले प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगाई ने अगस्त में याचिकाओं को संविधान पीठ के पास भेजते हुए कहा था कि एक बड़ी पीठ अक्टूबर के पहले सप्ताह से मामले की सुनवाई करेगी.

इस संबंध में कई लोगों ने याचिकाएं दाखिल की हैं. इनमें नेशनल कांफ्रेंस, सज्जाद लोन नीत पीपुल्स कांफ्रेंस और कई लोगों की याचिकाएं शामिल हैं. इसके अलावा मामले में अधिवक्ता एम.एल. शर्मा ने भी याचिका दाखिल की है. शर्मा मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने वाले पहले व्यक्ति थे.

इन याचिकाओं में जम्मू एवं कश्मीर राज्य को जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख के रूप मे दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने के निर्णय को भी चुनौती दी गई है.

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