नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जबरन धर्मांतरण एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है और जहां तक धर्म का संबंध है, नागरिकों की अंतरात्मा की स्वतंत्रता के साथ-साथ देश की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से अपना रुख स्पष्ट करने और धोखाधड़ी से किए जाने वाले धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग वाली याचिका पर हलफनामा दाखिल करने को कहा. SC ने मामले की सुनवाई 28 नवंबर तक के लिए टाल दी है.
Supreme Court says forced religious conversion is a very serious issue and may affect the security of the country along with the freedom of conscience of citizens as far as religion is concerned. pic.twitter.com/rHV2qJEhgz
— ANI (@ANI) November 14, 2022
गौरतलब है कि दक्षिणपंथी संगठन जबरन धर्म परिवर्तन को लेकर लगातार मुद्दा बनाए हुए हैं और अलग-अलग मंचों से इसका विरोध करते रहे हैं.
शिशुगृह केन्द्र में 3 बच्चों का धर्म परिवर्तन? NCPCR ने दिए जांच के आदेश
वहीं एक दिन पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) को मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में सरकारी सहायता प्राप्त शिशुगृह केंद्र में रहने वाले कम से कम तीन बच्चों का कथित रूप से धर्म परिवर्तन कराने की जानकारी मिली है.
एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने शनिवार को ट्वीट किया, ‘रायसेन, मध्य प्रदेश में शिशुगृह के निरीक्षण में तीन बच्चों के नाम व धर्म बदल कर बालगृह संचालक द्वारा नए नाम व धर्म के दस्तावेज बनवा लेने का मामला मिला है. बच्चों के धर्म परिवर्तन का मामला गम्भीर है. जिला प्रशासन को (शिशुगृह) संचालक हसीन परवेज़ के विरुद्ध प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए हैं.’
संपर्क करने पर एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि रायसेन बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के पास रायसेन के गौहरगंज स्थित शिशुगृह केंद्र में रहने वाले तीन बच्चों का न्यायिक अधिकार है. इन तीन बच्चों में से दो लड़कियां हैं, जिनकी उम्र चार और आठ साल है, जबकि एक 11 साल का लड़का है.
उन्होंने कहा, ‘सीडब्ल्यूसी का गठन किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत किया गया है. इसे (न्यायिक) पीठ के रूप में शक्तियां प्रदान हैं. हम उसको अनदेखा कर मामला कैसे दर्ज कर सकते हैं?’ उन्होंने कहा, ‘एनसीपीसीआर को शिशुगृह केंद्र के संचालक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए आगे आना चाहिए.’
अधिकारी ने कहा कि ‘चाइल्ड हेल्पलाइन’ कर्मियों द्वारा दिसंबर 2019 में भोपाल में इन तीनों बच्चों को भीख मांगते हुए पाया गया था और सीडब्ल्यूसी, भोपाल को सूचित किया गया था.
उन्होंने कहा, ‘भोपाल सीडब्ल्यूसी ने प्रक्रिया का पालन करने के बाद इन बच्चों को रायसेन सीडब्ल्यूसी को सौंप दिया क्योंकि बच्चों ने बताया था कि उनका जुड़ाव रायसेन जिले के मंडीदीप क्षेत्र से है.’
संपर्क करने पर महिला एवं बाल विकास विभाग के रायसेन जिला कार्यक्रम अधिकारी दीपक संकत ने कहा कि वे मामले की जांच करेंगे और तदनुसार कार्रवाई करेंगे.
उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी, सीडब्ल्यूसी के सदस्य और अधिकारी नियमित रूप से शिशुगृह केंद्रों का दौरा करते हैं.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, दमोह का एक व्यक्ति तीनों बच्चों का पिता होने का दावा करते हुए शिशुगृह केन्द्र आया था.
उन्होंने कहा कि जब उनसे उनकी पत्नी के बारे में पूछा गया, तो वह एक महिला के साथ दोबारा आये और कहा कि वे बच्चों के माता-पिता हैं. हालांकि, जांच में पता चला कि व्यक्ति की पत्नी और बच्चे दमोह में रहते हैं.
भोपाल सीडब्ल्यूसी की अध्यक्ष जागृति सिंह ने कहा कि उन्होंने पिछले साल ही कार्यभार संभाला है और उन्हें इस मामले के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
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